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बेरोजगारी का हिमालय मोदी सरकार की उपलब्धि।लॉकडाउन में सड़कों पर भूखे चलते भारतीयों की संख्या नही बीजेपी के पास?-अनिल

बीजेपी के मंत्री नही जानते कि सड़कों पर चलते-चलते कितने मजदूर मृत हुये?

भारत के पहले प्रधानमंत्री मोदी ही है जो स्वंय की बीजेपी सरकार के बेरोजगारी पैदा करने के आंकड़ों को तोड़ रहे है और तो और बीजेपी सरकार को इस बात की भी जानकारी नहीं है कि कोरोना महामारी के कारण देश भर में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान कितने प्रवासी मजदूरों की मौत हुई जबकि लॉकडाउन के बीच मजदूरों की मौत को लेकर पूरे देश में मोदी सरकार की असंवेदनशीलता सबके सामने जगजाहिर थी।
प्रदेश कांग्रेस के सचिव अनिल अग्रवाल ने कहा कि 24 मार्च से 04 जुलाई के बीच लगभग 971 मजदूरों की जानें गई और उनके पास प्रतिदिन के मौत के आँकड़े सार्वजनिक है पर मोदी सरकार घोषणा करें कि मृत मजदूरों को समुचित मुआवजा दिया जाए।पिछले दिनों सोमवार से संसद का मॉनसून-सत्र शुरू हुआ है जिसमें विपक्ष ने लिखित रूप में श्रम मंत्रालय से सवाल पूछे कि लॉकडाउन के दौरान क्या हजारों मजदूरों की मौत हुई थी?कितने मजदूरों को मुआवजा दिया गया?कितने भारतीय बेरोजगार हुये? अगर ऐसा है तो इसकी विस्तृत जानकारी दी जाए पर जवाब में बीजेपी के केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने संसद में कहा कि सरकार के पास ऐसा कोई ब्यौरा नहीं है का मतलब साफ है कि मजदूरों से मोदी सरकार पूरी तरह से पल्ला झाड़ना चाहती है। इतना ही नहीं मोदी सरकार के पास लॉकडाउन के कारण जिनकी नौकरियों चली गई के गंभीर विषय में भी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। जबकि तत्कालीन समय पर मोदी को बेरोजगारों ने वोट देकर प्रधानमंत्री बनाया था।
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने बीजेपी सरकार के बिना तैयारी के लगाए गए 24-25 मार्च को देश भर में लॉकडाउन पर सवाल भी समयानुसार उठाया था और मोदी सरकार से सुझाव भी खुले तौर पर साझा किए पर मोदी सरकार ने नजरअंदाज किया जिसका नतीजा आज सब के सामने है।
प्रदेश कांग्रेस के सचिव अनिल अग्रवाल ने कहा कि बीजेपी सरकार ने पहले कोरोना से लड़ने के लिए डिजास्टर एक्ट का सहारा लिया और फिर बाद में एपीडेमिक एक्ट लगाया जिसका उपयोग से पूर्व संविधान विशेषज्ञों से चर्चा करनी थी के बावजूद मोदी सरकार इसके सहारे नैया पार करने की सोची नतीजन आज प्रतिदिन 90 हजार से भी ज्यादा कॅरोना संक्रमण के मामले आ रहे हैं, 24 मार्च से 4 जुलाई तक आंकड़े लगभग में है जो कि निम्नानुसार है 971 मजदूरों की मौतें हुईं जिसमे 216 लोग भूख से, 209 लोग अपने घरों को जाते हुए रास्ते में दुर्घटनावश, लगभग23 मजदूर रेल हादसे से, 33 थकान की वजह से, 80 मजदूर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में और लगभग133 लोगों ने आत्महत्या की तो लगभग 277 मजदूरों की अन्य कारणों से मौंतें हुईं। वहीं इस बीच लगभग 12 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी जिससे ये बेरोजगार हो गए।
प्रदेश कांग्रेस सचिव अनील अग्रवाल ने कहा कि मोदी की बीजेपी सरकार के द्वारा समयानुरूप कार्यवाही ओर इंतजाम नही करने से पूरे देश में कोरोना महामारी के चलते जिस तरह से पूरे देश में करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए जिससे मोदी सरकार ने बेरोजगारी का हिमालय ही बनाया। जिसमे निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ के लोग भी प्रभावित हुए हैं जिसके जिम्मेदारी बीजेपी की मोदी सरकार को लेना चाहिए और केंद्र सरकार के पास छत्तीसगढ़ के नागरिकों की सरकार के विभिन्न मदों की राशि जमा है के साथ अतिरिक्त राशि प्रदेश को वापस दें जिससे छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल की सरकार बीजेपी की गलतियों से पैदा हुईं बेरोजगारी को समाप्त करने की योजना लागू कर सके।

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