संपर्क

देश विरोधी ताकतों से हमेशा युद्ध की बात करने वाले भारत के सुरक्षाबलों में दुःखद व्यवस्था-नितिन सिन्हा की✍️ से…

संसार का आठवां आश्चर्य है भारतीय सुरक्षा बल,यहां जिस पद पर भर्ती हुए उसी से रिटायर होते है कुछ जवान.

सिंहघोष/नई-दिल्ली:- देश इन दिनों गम्भीर आंतरिक और बाह्य चुनौतियों से जूझ रहा है। देश के अंदर आतंकी और नक्सली लगातार केंद्रीय सुरक्षा बलों से उलझ रहे है । तो सीमा पर भारतीय सेना और अर्धसेना बल के bsf और itbp बल के जवान बराबरी की जिम्मेदारी निभा रहे है।। lac आए loc तक दोनों की सक्रियता लगभग एक जैसी है।। पूरा देश इन दिनों थोपे गए अनचाहे युद्ध के प्रति सचेत खड़ा है। लोग सेना और अर्धसेना के जवानों में फर्क तक करना भूल गए है। सेना-अर्धसेना का एक -एक जवान चीन और पाकिस्तान के सैनिक/जवानों से दो-दो हाँथ करने की इच्छा लिए सीमा पर सजग प्रहरी बन कर खड़ा है।

ऐसे में एक ही बात है जो भारतीय अर्धसेना के जवानों को खलती है। वह है, भारतीय अर्धसेना में सबसे निचले पायदान पर कार्यरत कमेरा वर्ग जिसमें कुक जलवाहक नाई धोबी,सफ़ाई कर्मचारी आते है।,उसे इस उत्साह भरे माहौल में थोड़ी सी कसक चुभती है कि काश वे लोग भी लम्बी सेवा अवधि के बीच पदोन्नति और प्रशिक्षण पाकर प्रधान आरक्षक और ए एस आई बन पाते।। हालांकि भारतीय सुरक्षा बलों में यह बड़ी विचित्र विडम्बना रही कि इस बारे में बल के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी (डी जी या अन्य उच्च स्तर के अधिकारी)ने कभी गौर ही नहीं फरमाया ? क्या इस वर्ग को हक नहीं कि वो भी हवलदार या ए एस आई के पदों पर पदोन्नति पाएं ?

सुरक्षा बलों के इस अनछुए विषय की गम्भीरता को देखते हुए महासचिव रणबीर सिंह ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उस वर्ग की आवाज बुलंद की है,जिसे सुरक्षा बल के तमाम बड़े और जिम्मेदार अधिकारियों ने कभी तवज्जो नही दी न ही कभी उनके अधिकारों और सम्मानों की चिंता की है।। रणबीर कहते है कि आपने अक्सर देखा हिगा कि सुरक्षा बलों के सिनियर कैडर अफसरान जिसमें सेवारत एवं रिटायर्ड कमांडेंट,डीआईजी,आईजी,एडीजी ने अपने लिए ऑर्गेनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस एवं नॉन-फंक्शनल फाईनेंशियल अपग्रेडेशन की मांग बराबर उठाते रहे हैं। लेकिन क्या यह जरूरी नही था कि आजादी के बाद से आज तक भारतीय सुरक्षा बल के उच्च अधिकारी कभी अपने ही बल के सबसे निचले पदों पर कार्यरत उन हजारों मैस कुक,जल वाहकों की पदोन्नति बारे में बात करें। जिन लोगों की अथक सेवा भावना के बूते ही उनके बलों ने कई बार इतिहास रचा है।। इस वर्ग में कार्यरत लोग सुबह तीन बजे से उठ कर सैकड़ों जवानों के लिए चाय-नाश्ता तैयार करते हैं और देर रात तक जागने के बाद बिस्तर पर जाते हैं। यही हाल नाई धोबी और सफाई कर्मचारियों का है। जो कि इस कोरोना काल में भी संक्रमण की तमाम सम्भावनाओं को दरकिनार कर जवानों एवं आफिसर्स के बाल संवारने,उनके परिवारों के कपड़े धोने से लेकर कैंपस और आफिसर्स के बंगलों को भी साफ-सुथरा बनाए रखने में जुटे हैं। क्या उनके इस विशेष योगदान को इस तरह नकारा जाना उचित है.?? शायद नही फिर भी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों या सेना में भी इस सेवक वर्ग को कभी भी कोई पद्दोन्नति का लाभ नही मिल पाता है। यही वजह है कि वह सेना या बल का सबसे अहम हिस्सा होकर भी अपने साथियों ने पृथक कहीं दूर अलग-थलग रह जाता है।।

इस बात को लेकर कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन ने आश्चर्य व्यक्त किया कि बल की व्यवस्था सम्हालने वाले जिम्मेदार लोग कैसे गृह मंत्रालय के आदेशों की अवहेलना करते है।

रणबीर यह भी कहते है कि वो व्यक्तिगत रूप से डी जी महोदय सी आई एस एफ को विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहेंगे जिन्होंने फॉलोवर्स यानी अनुचर के पदों पर कार्यरत कमेरे वर्ग को भी हवलदार कोर्स हेतु नामांकित कर पदोन्नति का रास्ता साफ किया है।

उन्होंने सुरक्षा बलों के महानिदेशक महोदय से अपील की है कि सी आई एस एफ की तर्ज पर बाक़ी बलों में भी अनुचरों की भलाई को ध्यान में रखकर अविलंब हवलदार तक पदोन्नति के लिए कोर्सेस की शुरुआत की जाए। ताकि निचले पदों पर तैनात जवानों के मनोबल एवं कार्यक्षमता में विपरीत प्रभाव न पड़े और वे लोग भी पूरी ऊर्जा के सांथ अपना सेवा कार्यकाल पूर्ण करें।।

रणबीर सिंह
महासचिव
कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन।

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button