अमान्य अस्पताल में इलाज, प्रसव के बाद महिला की मौत : जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित

कांकेर । कांकेर जिले में निजी अस्पताल की कथित लापरवाही के चलते एक प्रसूता की मौत का सनसनीखेज मामला सामने आया है। मृतक महिला की डिलीवरी एक ऐसे अस्पताल में करवाई गई, जिसकी मान्यता 6 साल पहले ही रद्द हो चुकी थी। मामले के सार्वजनिक होते ही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है और जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने जांच के आदेश देते हुए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है।
क्या है मामला
तालाकुर्रा गांव निवासी चंद्रकांत टांडिया ने 31 मई को अपनी गर्भवती पत्नी किरण टांडिया को पहले शासकीय जच्चा-बच्चा अस्पताल में भर्ती कराया था। चिकित्सकीय स्थिति को देखते हुए किरण को ‘मदर मैरी अस्पताल’ रेफर कर दिया गया, जहां उसी दिन महिला ने एक संतान को जन्म दिया।
परिजनों के अनुसार, 4 जून तक किरण की हालत सामान्य थी। लेकिन 5 जून को अस्पताल प्रबंधन ने अचानक उसकी तबीयत बिगड़ने और पीलिया होने की सूचना दी। दुर्भाग्यवश, 6 जून की सुबह महिला की मृत्यु हो गई।
छह साल से बिना लाइसेंस चल रहा था अस्पताल
जांच में जो तथ्य सामने आए, वे बेहद चौंकाने वाले हैं। ‘मदर मैरी अस्पताल’ का लाइसेंस वर्ष 2019 के बाद नवीनीकृत नहीं हुआ था, क्योंकि प्रबंधन ने नर्सिंग होम एक्ट के अंतर्गत आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए थे। इसके बावजूद यह अस्पताल जिला मुख्यालय में पिछले 6 वर्षों से संचालित हो रहा था, और प्रशासन को इसकी जानकारी तक नहीं थी।
स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई शुरू
मामले के प्रकाश में आते ही जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. महेश सांडिया ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 5 सदस्यीय जांच दल का गठन किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि,
जांच रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद दोषियों के विरुद्ध नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
प्रमुख सवाल जो उठ रहे हैं
बिना लाइसेंस अस्पताल 6 साल तक कैसे संचालित होता रहा?
प्रशासनिक निगरानी में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई?
मृतका की मौत के लिए जिम्मेदार कौन?
इस मामले ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं और प्रशासनिक निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजन अब न्याय की मांग कर रहे हैं और जिले में स्वास्थ्य संस्थानों की कार्यप्रणाली को लेकर सार्वजनिक नाराज़गी भी देखने को मिल रही है।