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महाजेंको कोल ब्लॉक और MDO कम्पनी के प्रभावितों की ग्राम सभा में लिए एतिहासिक निर्णय

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पेसा कानून के तहत मिले अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ेंगे …औद्योगिक दबाव अब और नहीं पर लिया गया ये फैसला …

  रायगढ़ । जिले के तमनार ब्लॉक में स्थित महाजेंको कोल ब्लॉक प्रभावितों द्वारा सोमवार को तकनर ब्लॉक के प्रमुख स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित प्रभावित गांव के हर प्रभावित घरों के मुखिया स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मुड़ागांव में एक अहम बैठक रखी गई। जिसमें एम डी ओ कम्पनी अडानी की प्रताड़ना और स्थानीय प्रशासन तंत्र की बेरुखी को लेकर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एक अहम बैठक रखी गई। जिसमें ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए रूपरेखा को मूर्त रूप दिया गया।


आदिवासी प्रभावित क्षेत्र जहां अनुसूची 5 पेसा कानून के तहत ग्राम सभा में पारित निर्णय अहम होगा और सर्व सम्मति से लिया गया निर्णय जिससे वे सदियों से जुड़े आएं हैं। अपनी धरोहर संस्कृति को बचाने अब एक नए सिरे से आंदोलन करना होगा सर्व सम्मति से जो एतिहासिक फैसला लिया गया उसमे  जल, जंगल, जमीन की रक्षा कैसे करें इसके साथ बढ़ते औद्योगिक दबाव की वजह से पर्यावरण को भारी क्षति हो रही है इस पर चर्चा निर्णय लिया गया।


ग्रामीणों द्वारा लिया गया यह निर्णय पूरी तरह से सरकार द्वारा प्रदत्त अधिकारियों और पेसा एक्ट कानून के तहत फैसला लिया गया है।पेसा एक्ट कानून के तहत प्राप्त कानून के अनुसार ग्राम सभा सर्वोच्च सभा है। और इस सभा में यह निर्णय क्षेत्र की पर्यावरणीय, सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है। महाजेंको और एमडी ओ कम्पनी द्वारा दिखाए जाने वाले फर्जी ग्राम सभा पर कठोर कार्रवाई की मांग जोरदार तरीके से सभा में गूंजी।

आदिवासियों सहित स्थानीय निवासियों द्वारा मुडागांव में आयोजित इस सभा का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में बढ़ते औद्योगिक दबाव और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को लेकर सभा में चर्चा हुई। तमनार ब्लॉक, जो कोयला खनन और औद्योगिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है, में स्थानीय समुदाय लंबे समय से अपनी जमीन, जंगल और जल स्रोतों के नुकसान को लेकर चिंतित रहा है। बीते दिवस जिस तरह से महाजेंकों के एम डी ओ कम्पनी द्वारा बल और छल कूट रचना कर खनन करने हर हथकंडे अपना रही है।

इससे कैसे बचा जाए इस पर ग्राम सभा में बृहद चर्चा हुई। कोयला खदानों और पावर प्लांट्स के कारण पर्यावरणीय क्षति, विस्थापन और आजीविका का नुकसान स्थानीय लोगों के लिए प्रमुख मुद्दे बन गए हैं। मुड़ागांव में आयोजित ग्राम सभा में जल, जंगल, जमीन की रक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण, आजीविका की सुरक्षा, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान, विस्थापन का विरोध, सामुदायिक एकता, कानूनी और नीतिगत सहायता और इन सबके लिए जागरूकता अभियान चलाने जैसे एतिहासिक निर्णय लिए गए हैं।

क्या कहते हैं सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी/-

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में पेसा कानून लागू होता है पेसा कानून के तहत ग्राम सभा का निर्णय अंतिम होता है जिससे अनुविभागीय दण्डाधिकारी अधिकारी ग्राम सभा आयोजित होने के 15 दिवस पूर्व पत्र जारी करेगा जिसमें तिथि समय स्थान एवं मुद्दे का निर्धारण होगा भू अर्जन से संबंधित ग्राम सभा में कलेक्टर के प्रतिनिधि के रूप में कम से कम नायब तहसीलदार का होना अनिवार्य है। साथ ही वन भूमि पर वन विभाग के एसडीओ या रेंजर कों होना चाहिए और ग्राम सभा का विडियो फोटो ग्राफी होना चाहिए जों कोयला प्रभावित क्षेत्र के पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में नहीं किया गया है। जो पेसा कानून का उलंघन है। कम्पनी के फर्जी ग्राम सभा को लेकर ग्रामीणों की हुई ग्राम सभा में उठी मांग जायज है और उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।

क्या कहते हैं अमृत भगत, सरपंच मुड़ागांव/-

बैठक में फर्जी ग्राम को लेकर चर्चा हुई और उस फर्जी ग्राम सभा को लेकर एसडीएम घरघोड़ा को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की गई है। जब तक फर्जी तरीके से लगाया गया अनुसूचित जनजाति पेसा एक्ट 5 अंतर्गत ग्राम सभा की जांच करके रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से नहीं रखी जाएगी तब तक कोई भी खदान में उत्खनन संबंधित कार्य करने नहीं दिया जाएगा।

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