
कन्हैय्या-कन्हैय्या वर्तमान में
जो तुम आर्यावर्त में आओगे,
वचन गीता वाला निभाओगे
तो घर-घर,गली-गली,डगर-डगर
दुर्योधन,दुःशासन,शकुनी पाओगे.
दुर्योधन से’सरपंच’चुनाव हार जाओगे
शकुनी के खिलाफ’विधायक’नही बन पाओगे.
मधुवन कहाँ बचा है भारत में,
कहाँ रास रचाओगे,गौ चराओगे.
कानफोड़ू,कर्कश संगीत के दौर में,
किसे अपनी मधुर मुरली सुनाओगे.
कौन चुराने-छूने देगा तुम्हें अपना माखन,
होगी एफ.आई.आर. जेल जाओगे.
यमुना में जल नही,इसमें नहाता कोई आज कल नही,
कैसे गोपिकाओं के वस्त्र चुराओगे.
आज की अल्प वस्त्राओं को निहार खुद से शर्माओगे.
कालिया नागों उद्योगपतियों से,
पतित पावनी जमुना कैसे बचाओगे.
21वीं सदी की द्रोपदियां स्वयं नंगी होने को उद्धत हैं,
चिर हरण रोकने का चमत्कार क्या बेसबब दिखाओगे.
इंद्र का अहंकार तोड़ नही पाओगे,
गोवर्धन आंदोलन में अकेले खड़े नज़र आओगे.
पूतना,जयद्रथ,जरासंध,शिशुपाल
असंख्य हैं, पॉवरफुल और मालामाल
इन्हें किस विध मारोगे/मरवाओगे.
भीष्म-विदुर कहाँ पाओगे,
अर्जुन और पांडु पुत्रों जैसे आज्ञाकारी
भक्त कहाँ से लाओगे.
पौंड्र-पांचजन्य शंख ध्वनियां किसकी खातिर बजाओगे,
क्या आज के नालायक,भ्रष्ट,दुश्चरित्र
अर्जुन को गीता का ज्ञान/उपदेश सुनाओगे.
हे देवकीनंदन/वासुदेव सूत एक दिन भी भारत में नही रह पाओगे,
यहाँ व्याप्त गंदगी से घबरा तत्काल
अपने धाम भाग जाओगे.
‘शशि’ जानता/मानता है कन्हाई तुम भारत कभी नही आओगे.