आइये जाने क्या होता पुलिस का टार्चर और कस्टडी में मौत(हत्या)
हालांकि प्रस्तूत घटना राम-राज(ऊ.प्र) 2018 की है परंतु इस घटना की प्रासंगिकता आज भी ठीक वैसी ही बनी है।।
हाल ही में सथानकुलम पुलिस थाने के निरीक्षक श्रीधर और उसके सहयोगी पुलिस अधिकारी जिनमें दो उप-निरीक्षक, बालकृष्णन और रघुगणन शामिल हैं,इन्होंने 19 जून को अपने पदस्थापना वाले थाने में 19 जून 2020 को एक अधेड़ मोबाइल व्यपारी औऱ उसके जवान बेटे को पूरी निर्ममता से पीट-पीट कर मारा डाला था।।
थाने के अंदर पुलिस कस्टडी में हुई इस निर्मम हत्या को लेकर पूरे देश मे पुलिस के खिलाफ गहरे आक्रोश को देखकर कर्नाटक सरकार ने इस हत्या की जांच cbi को सौप दी है।। cbi ने प्राथमिक जांच में ही थाना प्रभारी सहित 6 अन्य पुलिस कर्मियों को दोषी पाते हुए मुख्य आरोपी दरोगा को गिरफ्तार कर लिया है।। वहीं हेड कांस्टेबल मुथुराज और मुरुगन के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई।उल्लेखनीय है कि व्यापारी पी. जयराज और उनके पुत्र जे. बिनिक्स को पुलिस ने लॉकडाउन का उल्लंघन करके दुकान खोलने के आरोप में 19 जून को गिरफ्तार किया था। थाने में उनके साथ बेरहमी से मारपीट की गई। हालत बिगड़ने पर दोनों को 22 जून को कोविलपट्टी के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसी रात बिनिक्स की मौत हो गई और उसके पिता ने 23 जून को दम तोड़ दिया।। इस हत्याकांड ने देश प्रदेश को हिला कर रख दिया।। देश भर के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भारतीय पुलिस के ऐसे आचरण पर सीधे सवाल खड़े करने शुरू कर दिए।। उनकी माने तो हमारे देश मे एक पुलिस अधिकारी खुद को सरकारी सेवक मनाने को तैयार नही होता है।। उसे अपनी जिम्मेदारियों से ज्यादा उन्हें मिले बेजा अधिकारों की चिंता होती है।। ऐसा तब होता है जब उन पर कोई जवाबदेही नही होती है, इन्ही कारणों से भारतीय पुलिस का चेहरा निरन्तर हिंसक और बर्बर होता जा रहा है।। यही नही गहराई से जाएंगे तो आप पाएंगे कि सरकारी विभागों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार और भर्राशाही भी यहीं देखने को मिलेगा ।।
तमिलनाडु में घटी घटना ने वर्ष 2018 में देश के रामराज्य (उ प्र भदोही) की देशभक्त पुलिस के उस कु-कृत्य की याद दिला दी जिसका जिक्र हम उपर कर चुके हैं।। उप्र भदोही जिले की गोपीगंज पुलिस ने आज ही के दिन 2 जुलाई 2020 को गांव में दो भाइयों के बीच सम्पत्ति विवाद को लेकर की गई कारवाही में दोनों भाइयों को थाने में बुलाकर उनके परिजनों के सामने इस कदर अमानवीय ढंग से मारा था,कि बड़े भाई मृतक की दहसत और चोट से मौत हो गई।। बाद में जब मामले ने तूल पकड़ा तो मृतक की बेटी रेनू मिश्रा की तहरीर पर मारपीट करने वाले थानेदार सुनील वर्मा के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज किया गया था।। दोनों घटनाएं शर्मसार करने वाली है।। परंतु औसतन देश मे ऐसी घटनाएं नियमित रूप से आज भी घट रही है।। पोस्ट लिखे जाने तक देश के किसी न किसी थाने में कोई न कोई व्यक्ति पुलिस टार्चर(टेरर) का दुष्परिणाम भुगत रहा होगा।। हो सकता है इस टार्चर में इसकी मौत भी हो जाए।। हमारा छ ग राज्य भी पुलिसिया टेरर से मुक्त नही रहा है।। हाल ही में सरगुजा सम्भाग में मरहूम अजित बेक की पुलिस कस्टडी में मौत की घटना आपके जेहन में ताज़ा होगी।।
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यह भी ध्यान दीजिए..
तमिलनाडु राज्य के
तुथुकुडी जिला जज की न्यायिक रिपोर्ट में पाया गया कि पिता-पुत्र जयराज और बेनिक्स की हत्या के आरोपी अधिकारियों द्वारा कुछ समय पहले सथनकुलम पुलिस स्टेशन में एक नाबालिग सहित आठ लोगों को प्रताड़ित किया गया था.जिसमें में से एक कि अस्पताल में मौत हो गई थी।। इधर बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए सम्बन्धित मामले की जांच कर रहे मजिस्ट्रेट को पुलिस अधिकारियों के द्वारा धमकाने का मामला सामने आया है।। हालांकि धमकी देने का वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।।
कोर्ट ने ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट को धमकी देने वाले ए एस पी डी कुमार, डीएसपी प्रतापन और कांस्टेबल महाजन के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू की है । गृह विभाग ने इन्हें सजा की प्रतीक्षा सूची में रखा है। इसके 24 घंटे के भीतर ही इन्हें नई पोस्टिंग मिल गई है। डी कुमार को नीलगिरी में पीईडब्ल्यू के ए एस पी के रूप में तैनाती दी गई है। वहीं प्रतापन को पुधुकोट्टई में डीएसपी की तैनाती मिली है।
नितिन सिन्हा
सम्पादक
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