आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ..- इंस्पेक्टर प्रमोद तिवारी itbp

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नितिन सिन्हा की🖋️से

सिंहघोष-रायपुर/नारायणपुर- छ ग राज्य का नारायणपुर जिला जिसका नाम सुनते ही सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच जारी हिंसा का चित्र खुद ब खुद आँखों मे उतर आता है। आए भी क्यों न क्योंकि हकीकत भी कुछ इससे हट कर नही है।। परन्तु यह भी सही है कि समय के सांथ-सांथ अब यहां बदलाव की बयार भी बह निकली है।। बीते 4 दशकों से बारूद के ढेर में सुलग रहे बस्तर सम्भाग का नारायणपुर जिला अब साधन-सुविधाओं से लबरेज होने लगा है। ये अलग बात है कि विकास की रफ्तार बहुत धीमी होने के कारण आज भी बहुत से क्षेत्र/लोग बुनियादी सुविधाओं/जरूरतों से वंचित है। जिले के 50 फीसदी हिस्से पर केंद्रीय या राज्य सुरक्षा बलों का कैम्प या माओवादियों का साम्राज्य कायम है। जिनके बीच वर्चस्व और सिद्धांतों की लड़ाई आज भी जारी है।। वस्तुतः इस संघर्ष की सबसे बड़ी कीमत स्थानीय गरीब ग्रामीण चुका रहे हैं।एक तरफ जल जगंल सहित स्थानीय संस्कृति और विरासतीय धरोहर बचाये जाने की आड़ में हथियार बन्द दस्ता खड़ा है तो दूसरी तरफ सरकारी विकास को गति देने के लिए सुरक्षा बल के हजारों स-शस्त्र जवान लगें हैं।। इस तरह से प्रतिरोध और प्रयास के बीच जरूरत मन्द ग्रामीण ही पिस रहे हैं।। ये वही ग्रामीण हैं जिनकी जरूरतें इतनी कम है कि अगर उन्हें उतनी ही मिल जाएं तो भी उन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं होगी। मगर विडम्बना देखिए कि आज देश को आजाद हुए करीब 73 साल होने को हैं,परंतु नारायणपुर और उस जैसे दर्जनों जिलों के करीब 70 फीसदी गांवो में’सड़क,बिजली,पानी,सड़क,अस्पताल और स्कूल नही बन पाए हैं।।रोजागार और बाजार तो बहुत दूर की बात है।। आज भी यहां के लोग अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए 15 से 50 किमी दूर पैदल चलकर बाजार आते-जाते हैं।।इसके बाद भी सरकार सशस्त्र बलों से कहती है विकास करने के लिए नक्सली हटाना जरूरी है,और नक्सली ग्रामीणों से कहते है,अपना अस्तित्व बचाने के लिए सरकार से लड़ना ही पड़ेगा ।। इन दोनों के द्वंद में बदहाल ग्रामीणों की जरूरतों का ख्याल कोई करने को तैयार नही है।।

हालाकि इन हालातों में भी आधुनिक शस्त्रों से सु-सज्जित हर तरह की युद्ध कला में माहिर केंद्रीय सुरक्षा बलों के कई अधिकारी और जवानों का मानना है कि बिना स्थानीय लोगो का दिल और विश्वास जीते नक्सलवाद से लड़ाई अधूरी है।। ऐसी ही सोंच रखने वाले एक युवा सुरक्षा अधिकारी है प्रमोद तिवारी जो नरायणपुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित सोनपुर itbp कैम्प में पदस्थ है।। उनके द्वारा सुरक्षा सेवा के कार्य को बखूबी अंजाम दिए जाने के अलावा तमाम खतरों को दरकिनार करते हुए कई बार स्थानीय जरूरतमंद ग्रामीणों की मदद और सेवा की गई है।। उनकी इसी खूबी और संवेदनशीलता से प्रेरित होकर नारायणपुर के कई युवा उन्हें अपना आदर्श मानते हुए स्थानीय ग्रामीणों के सुख-दुख और उनकी जरूरतों के लिए उठ खड़े हो चुके है।। हिंसा मुक्त हिन्दुस्तान की यह टीम के युवा इंस्पेक्टर प्रमोद तिवारी और 53 बटालियन भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल सोनपुर कैम्प से प्रेरित हुए है।। आपने कोरोना काल और उसके पहले के हालातों में माड़ के दर्जनों पहुंच विहीन गावों में ग्रामीणों के बीच पहुंच कर न केवल संवाद स्थापित किया बल्कि उनकी समश्याओं के समाधान के लिए जिला प्रशासन तक उनकी बात पहुंचाई।। इधर स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और व्यक्तिगत साफ सफाई के प्रति स्थानीय ग्रामीणों में जबरदस्त काम अभियान चलाया। वही कोरोना लाकडाउन काल मे भी पहुंचविहीन गावों में ग्रामीणों तक अनाज,सेनेटाइजर, साबुन,कपड़े,मास्क और दूसरी आवश्यक वस्तुएं पहुंचाई।।

इधर वायरल वीडियों में आप खुद देख सकते हैं कि किस तरह सोनपुर itbp कैम्प के जवान इंस्पेक्टर प्रमोद तिवारी के नेतृत्व में स्थानीय ग्रामीणों के बीच परस्पर दुख-सुख बांट रहे हैं।। उन्हें भोजन,कपड़े चप्पल देकर उनसे अपनो की तरह मिल जुल रहे है।। दर-असल में itbp सोनपुर के जवान पूर्ति सतर्कता बरतते हुए ग्रामीणों के बीच परस्पर सौहाद्र और भरोसे का माहौल बनाने में लगे हुए हैं।। जिनका मानना है कि नक्सलवाद से लड़ाई सिर्फ बन्दूक और गोली से सम्भव नही है।। हमें ग्रामीणों के बीच उनसे अच्छी छवि अपनी बनानी पड़ेगीं। तब जाकर हिंसा मुक्त बस्तर का सपना साकार होगा।

बहरहाल इस वीडियो सन्देश को देखकर आप इंस्पेक्टर प्रमोद तिवारी सहित सोनपुर itbp कैम्प के जवानों की सेवा भावना की मुक्त कंठ प्रशंसा करेंगे ही,बल्कि माड़ के हमारे साधन-विहीन ग्रामीण भाई-बहनों से कम संसाधनों के बीच खुद को खुश रखने का सलीका भी सीखने को मिलेगा।

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