रायगढ़ का ऐतिहासिक चक्रधर समारोह विवादों में घिरा

चयन समिति के फैसलों पर उठे सवाल, छत्तीसगढ़ी कलाकार नितिन दुबे ने किया किनारा
रायगढ़। रायगढ़ का ऐतिहासिक चक्रधर समारोह जिसकी प्रतीक्षा कला प्रेमी जनता पूरे वर्ष करती है, इस बार अपने पहले ही दिन विवादों में घिर गया है। यह समारोह अपनी परंपरा, भव्यता और कला संस्कृति की विविध विधाओं के लिए देश-विदेश तक ख्याति प्राप्त है। दस दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में नृत्य, संगीत, शास्त्रीय एवं लोक कलाओं की अद्भुत प्रस्तुतियां देखने और सुनने को मिलती हैं।
प्रशासन की मेहनत सराही गई, मगर चयन समिति पर सवाल
जिला प्रशासन ने आयोजन एवं व्यवस्थाओं में कोई कमी नहीं छोड़ी। मंच, सजावट, सुरक्षा और बैठने की सुविधा को लेकर प्रशासन की मेहनत की सराहना की जा रही है। लेकिन कलाकार चयन समिति के निर्णय और रवैये के कारण समारोह की छवि धूमिल होती नजर आ रही है।
समारोह के पहले दिन ही प्रसिद्ध कवि डॉ. कुमार विश्वास और उनके दल ने प्रस्तुति दी। हालांकि, श्रोताओं को यह कार्यक्रम उम्मीदों के अनुरूप नहीं लगा। दर्शकों ने यह सवाल उठाया कि लगातार तीन वर्षों से एक ही कलाकार को मोटी रकम देकर बुलाना कितना उचित है। दर्शकों का कहना था कि अब वह कार्यक्रम एकरूपता लिए हुए है और नयापन न होने से निराशा मिली। इसके अलावा, डॉ. विश्वास के लंबे भाषणनुमा कार्यक्रम ने भी माहौल को हल्का कर दिया।
नितिन दुबे की नाराज़गी
सबसे बड़ी चर्चा छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय लोकगायक नितिन दुबे की नाराज़गी को लेकर है। कार्यक्रम की रूपरेखा के अनुसार 1 सितंबर को उनकी प्रस्तुति रखी गई थी। पूरे शहर में उनके नाम के बैनर और पोस्टर लगाए गए। शुरू में समिति और गायक के बीच फीस को लेकर सहमति बनी थी।
नितिन दुबे ने समारोह की भव्यता को ध्यान में रखते हुए अपने मेहताने में 25 प्रतिशत कटौती करते हुए कार्यक्रम में भाग लेने का निर्णय लिया था। लेकिन, कार्यक्रम से ठीक एक दिन पहले चयन समिति ने अचानक उनकी फीस में 50 प्रतिशत की कमी कर दी और फंड की कमी का हवाला दिया।
असमानता पर उठे सवाल
नितिन दुबे ने आरोप लगाया कि जहां बाहर से बुलाए गए बड़े कलाकारों को 35 से 40 लाख रुपये तक का भुगतान किया जा रहा है, वहीं छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय कलाकारों को उसकी 20 गुना कम राशि देने की पेशकश की गई। समिति का रवैया यह रहा कि तय रकम पर वह कार्यक्रम करें, अन्यथा मंच छोड़ सकते हैं।
नितिन दुबे ने छत्तीसगढ़ी कलाकारों की अस्मिता और सम्मान का प्रश्न मानते हुए मंच पर जाने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर अपनी पीड़ा व्यक्त की। उनके इस कदम को छत्तीसगढ़ी कला जगत से जुड़े लोगों का व्यापक समर्थन मिला है।






