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मितानिन दिवस के उपलक्ष्य पर डीडीसी तुलसी विजय बसन्त ने क्षेत्र के समस्त मितानिनों का किया अभूतपूर्व सम्मान..।रंग गुलाल के साथ वन्दन कर साड़ी,श्रीफल और मिठाई दिया भेंट…।।

सिंहघोष/छत्तीसगढ़ में “मितानिन” कार्यक्रम को दो दशक का समय हो गया। ‘मितानिन’ मतलब देश के अन्य राज्यों में “आशा कार्यकर्ता”। जब आज से 20 वर्ष पहले, अविभाजित दुर्ग जिले ( आज है दुर्ग, बालोद, बेमेतरा जिला ) के ही गुण्डरदेही विकासखण्ड को ही ‘मितानिन’ मॉडल कार्यक्रम के लिए चुना गया था। आज यह सफलता पूरे छत्तीसगढ़ में एक लाख से अधिक ग्रामीण और शहरी ‘मितानिनों’ की सच्ची निष्ठा और लगन से काम का ही नतीजा है।
पिछले दो दशक में ‘मितानिन’ सिर्फ सेवा ही तो कर रही है। जीवन के लिए स्वास्थ्य बड़ी जरूरत है। ऐसे जीवन जिया जाये जिससे बीमार ही न पड़े। बीमार होने का मूल कारण जीवन यापन में बदलाव का नतीजा है। खानपान में बदलाव, प्रदूषित जीवन के कारण बीमार हो रहे है। आधुनिकतावाद, भौतिकवाद, दिखावा और पाश्चात्य जीवन शैली से बचना चाहिए। यही जागरूकता का काम छत्तीसगढ़ में ‘मितानिनें’ कर रहीं है।
बीमार होकर दवाई खाने के बजाय बीमार ही न पड़े। ऐसे जीवन व खान पान को अपनाना होगा। इसके लिए सभी परिवारों और लोगों को ग्रामीण संस्कृति व जीवनशैली को अपनाना होगा। स्वास्थ्य सबके लिए सर्वोपरि है और इसके लिए सभी लोगों को सभी परिवारों को सचेत होकर जागरूक होना होगा। यह कार्य बेहतर तरीके से ‘मितानिन’ ही तो कर रहीं हैं।
छत्तीसगढ़ में ‘मितानिन’ बहनें बहुत बेहतरीन ढंग से ग्रामीण स्वास्थ्य के क्षेत्र में सेवा दे रही है। ‘मितानिन’ हमेशा आगे आकर काम करती हैं। हमेशा उदारतापूर्वक काम करतीं है। ‘मितानिन’, गाँव में स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहत्तर कार्य कर रही है। गर्भवती माताओं को समुचित व बेहत्तर स्वास्थ्य व उपचार में अपना अमूल्य योगदान दे रही है। जो समाज के बेहत्तरी के लिए अमूल्य कृति है।
‘मितानिन’, हमेशा कार्य के प्रति समर्पित रहीं है और आगे आकर काम करती रही हैं। जो समाज के अन्य क्षेत्रों में कार्य कर रहे लोगों के लिए अनुकरणीय उदाहरण है। वे अपना सेवा उदारता व सेवा भाव से करती हैं। गाँवो में स्वास्थ्य की दिशा में सराहनीय कार्य कर रही है। उनके इस प्रयास से गाँवों में स्वास्थ्य बेहत्तर हुआ है। ‘मितानिनों’ के सेवा से ही गाँवों में अनेक प्रकार की योजनाओं और सेवाओं को आम जनता तक पहुँचाने में भी मदद मिली है। यह “मितानिन” छत्तीसगढ़ में पिछले दो दशक से एक अनुकरणीय उदाहरण है।

तुलसी विजय बसंत ने दिया अपने क्षेत्र के मितानिनों को सम्मान:-

कोरोनकाल में भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुवे मितानिनों ने जो भागेदारी निभाई है उससे अभिभूत होकर क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय नेता और वर्तमान जिलापंचायत सदस्य श्रीमती तुलसी विजय बसन्त ने मितानिन दिवस के उपलक्ष्य में क्षेत्र के समस्त मितानिनों को गुलाल, चंदन लगाकर सम्मान दिया।
सम्मान की कड़ी को आगे बढ़ाते हुवे उन्होंने समस्त मितानिनों को श्रीफल,के साथ साड़ी और प्रत्येक मितानिन को मिठाई भी भेंट स्वरूप दिया। तथा उनके समाज के योगदान को सराहा।

क्या कहती हैं तुलसी विजय बसन्त:-
रायगढ़ जिला पूरे प्रदेश में कोरोना का गढ़ बन गया है। जिस समय लोग घर से बाहर तक निकलने में हिचकते थे उस दौर में भी ये मितानिन अपनी जान में खेलकर स्वास्थ्य विभाग के कंधे से कंधा मिलाकर चले। अपने परिवार को त्यागकर पूरे गाँव को ही अपना परिवार समझकर सभी बच्चे और महिलाओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखा। इनके सम्मान में हमने यह कार्यक्रम रखा था। और हम आगे भी इन मितानिनों के साथ हर घड़ी साथ रहेंगे।

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