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अलविदा शशिकांत…जिन्दगी की कलम से सूख गई साँसों की स्याही !-प्रो.अम्बिका वर्मा


रायगढ़ सहित देश के प्रख्यात कारखानों में इस्पात बनता है। लेकिन शशिकांत शर्मा नाम का एक शख्स ऐसा भी था, जिसके भीतर के इस्पात जैसा, कोई भी कारखाना नहीं ढाल सका है। शशि, तुम जन्मना इस्पाती थे। जाने के बाद भी तुम्हारे इस्पाती लेखन और विचारणों की दहकती आँच से नये कलमकार, अपने भीतर के लोहे को इस्पात में तब्दील करते रहेंगें।

तुमसे मिलकर..”
तुमसे मिलकर तुमसे बातें कर, तुम्हारे विचार सुन कर मन खुश हो जाता था ! बकौत शायर ”तेरा मिलना ऐसा होता है/ जैसे कोई हथेली पर/ एक वक्त की रोजी रख दे।केलो प्रवाह के युवा संपादक हेमंत ने तुम्हें घनी मार्मिकता से याद किया है ”चट्टानी इरादे, खुशनुमा व्यक्तित्व, जिन्दादिली इतनी कि किसी भी को तुमसे इश्क हो जाए। माँ सरस्वती की विशेष कृपा, वाणी में मुखरता, अपनी शर्तों पर जीने वाला व्यक्त्वि, सम्बन्धो को निबाहने के लिये सब कुछ कुर्बान कर देने का माद्दा रखने वाले, जन आंदोलन के प्रणेता, संघर्ष की कोख से उपजा ऐसा नायक जिसका जीवटता के उनके विरोधी भी कायल जैसे सच्चे खरे शीर्षकों से तुम्हारे संघर्ष-मुखर व्यक्तित्व को रूपांकित भी किया है।

तुम्हारी कलम के कायल..”
तुम्हारी कलम के कायल आमजन से लेकर बुध्दिजीवी, राजनीतिज्ञ और तुम्हारे धुर विरोधी रहे। तुम कौन सी स्याही इस्तेमाल करते थे शशि कि कभी उससे आक्रोश की चिनगारी निकलती। कभी बेहद पैने, बेहद धारदार व्यंग्य के नुकीले बाण तुम्हारी नायाब स्याही से भींग कर निकलते। तुम्हारे अग्निधर्मा व्यक्तित्व की संवाहिका तुम्हारी कलम थी। तुम्हारे ओजस व्यक्तित्व की प्रतिनिधि तुम्हारी वाणी थी। तुम्हारी ललकार, तुम्हारा यलगार अब खामोशी की घाटी में विलीन हो गये हैं। तुम्हारा जाना बहुत तकलीफ भरा है शशि। सूरज तो शाम को ढलकर, सुबह किरणों की दस्तकों के साथ आ ही हाता है। लेकिन शशि, तुम तो हमारे ऐसे सूरज हो गये, जो हमारी उम्मीदों की पूरब दिशा को, सदा के लिये सूनी कर गये।

नयी कलम के ये एकलव्य..”
एक नयी कलम के शब्द तुमसे शेयर करता हूँ। राकेश नारायण बंजारे तुम्हें याद करते हैं ”हम कभी उनसे मिले नही। लेकिन उनके विचार उनके सृजन से उनके व्यक्तित्व को जाना। हमारे जैसे कितने नवकलमकार उन विचारों को पढ़कर एकलव्यीय दीक्षा से दीक्षित हो रहें हैं।इसे पढ़कर तुम्हें अच्छा लगा होगा। ऐसे अनदेखे, अनचीन्हे एकलव्यों के लेखन में तुम हमेशा धड़कते रहोगे शशि। एक सृजन धर्मी रचनाकार के लिये यह संतोष और गर्व की ही बात है।

एक आंदोलन के इतिहास का अंत”
तुम्हारी जीवटता, तुम्हारा बड़े कलेजे का होना, पूरी दमदारी से सिंहघोष करना तुम्हें एक अलग पंक्ति में थोड़ी ऊँचाई पर स्थान देता है। आलोक सिंह कहते हैं कि तुम्हारे जाने से पत्रकारिता के एक युग का ही अंत नहीं हुआ है बल्कि एक सतत आंदोलन के इतिहास का भी अंत हुआ है। एक ऐसे बड़े कलेजे का अंत हुआ है जिसके संवाद के समक्ष बड़े से बड़े अधिकारी और राजनीतिज्ञ भी चुप रहने में अपनी भलाई समझते थे। जनकर्म के अमित शर्मा तुम्हारी आत्मीय प्रशंसा में लिखते है ”साप्ताहिक सिंह घोष में शशिकांत शर्मा जी की लेखनी को पढऩे के लिये लोग अखबार के प्रकाशन का इंतजार किया करते थे। वे हमेशा जनहित के मुद्दों को प्राथमिकता देते। मुकेश जैन तो तुम्हारे खाँटी फैन निकले शशि। वे तुम्हें अनेक खूबसूरत विशेषणों से याद करते हुए चौबीस केरेट वाली एक खरी बात कहते हैं ”शशिकांत शर्मा के इस तरह चले जाने से रायगढ़ ने अपना प्यारा दोस्त खो दिया। क्रांतिकारी संकेत के रामचन्द्र की मार्मिक टिप्पणी है- ”निर्भीक पत्रकारिता का एक सूरज: हमेशा के लिये अस्त हो गया। वरिष्ठ पत्रकार एवं छत्तीसगढ़ क्रानिकल के सम्पादक हरेराम तिवारी अपने संवेदना भीगे शब्दों में तुम्हारे इस तरह चले जाने को पत्रकारिता की अपूरणीय क्षति बताते हैं। वरिष्ठ पत्रकार अनिल पाण्डेय तुम्हारे भीतर के पिता को नमन करते हुए दिवंगत अभिषेक के स्वास्थ्य के लिए तुम्हारे उन दिनों के संघर्ष को बहुत भीगे मन से याद करते हैं।

सूखी आँखों में दर्द का छलकता खामोश समुंदर
गीली या भीगी आँखों से रूदन सबने देखा है। लेकिन उर्मिला बहू के देहान्त पर, तुम्हारी सूनी-सूखी आँखों में दर्द को, पूरे समुंदर को, खामोशी से छलकते हुए मैंने देखा था शशि। अपनी जीवनसंगिनी के उन अंतिम दिनों में तुम्हारी सेवा-जतन, उर्मिला बहू के प्रति अशेष प्रेम का महाकाव्य ही था।”

मेरी अमूल्य धरोहर तुम शशि!”
तुम्हारे इस जनम दिन पर मैंने तुम्हे शुभकामनाऐं दी थी तुमने प्रत्युत्तर में लिखा आपका आशीर्वचन मेरे लिये अमूल्य धरोहर है! ”मेरी अमूल्य धरोहर तो तुम हो शशि और सदा रहोगे। तुम्हारे इस तरह जाने से सब स्तब्ध और उदास हैं। रायगढ़ की पूरी पत्रकार बिरादरी तुम्हारे इस अप्रत्याशित निधन से दुखी और क्षुब्ध भी है। अपन दोनों में तय हुआ था जो पहले जायेगा, दूसरा उसके लिए स्मृति लेख लिखेगा। बहुत भीगे मन से वायदा निबाहते हुए तुम्हें स्थायी स्नेह के साथ यह शब्दांजलि शशि !

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