रोजमर्रा के जीवन में आने वाले तनाव से निपटने के लिए हुई कार्यशाला…।नर्सिंग की छात्राओं ने सीखे आत्महत्या को रोकने के गुर…।।

सिंहघोष/रायगढ़ 13 सितंबर 2022,“आत्महत्या को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग कई कदम उठा रहा है। तेजी से भागती हुई जिंदगी में विकास के साथ तनाव भी उसी अनुपात में बढ़ा है लेकिन लोग तनाव प्रबंधन या तनाव को दूर करने की कोशिश नहीं कर बस आगे बढ़ने में लगे रहते हैं यही तनाव कब अवसाद बन जाता है और इसी अवसाद में व्यक्ति अपनी जिंदगी खत्म करने की कोशिश करता है। इसलिए हम तनाव को कम करने पर ज्यादा ध्यान देते हैं और इसी को लेकर सारे कार्यक्रम तय किये जाते हैं। “ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसएन केसरी ने आत्महत्या रोकथाम सप्ताह समाप्त होने के बाद यह बाते कहीं।
विदित हो कि जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत आत्महत्या रोकथाम के लिए वर्कशाप और सेमिनार का आयोजन इस बार जिला स्तर पर कई जगहों पर किया गया। मंगलवार को जिला मानसिक स्वास्थ्य की टीम ने शासकीय नर्सिंग कॉलेज की छात्राओं को गेट कीपर की ट्रेनिंग दी। गेट कीपर वह होता है जो अपने आसपास के लोगों के व्यवहार में हो रहे बदलाव पर नजर रखता है और आत्महत्या करने जैसे लक्षणों वाले व्यक्तियों को तुरंत पहचान कर उसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देता है जिससे उस व्यक्ति की उचित समय पर काउंसिलिंग की जा सके।
मेडिकल कॉलेज कैंपस स्थित नर्सिंग कॉलेज की 60 छात्राओं, प्रोफेसर और स्टाफ को कार्यस्थल पर तनाव प्रबंधन एवं आत्महत्या रोकथाम की ट्रेनिंग के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य लोगों के मध्य तनाव के प्रबंधन को समझाना एवं आत्महत्या रोकथाम के लिए रोग पहचान कर उचित परामर्श के लिए स्वास्थ्य विभाग से संपर्क करने की सलाह देना था।
कार्यशाला की जानकारी देते हुए नर्सिंग ऑफिसर और मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार अतीव राव ने बताया: “नर्सिंग की छात्रों को आगे चलकर अस्पताल में अपनी सेवाएं देनी है। जहां आत्हमत्या के मामले आते हैं तो उन मरीजों से उन्हें कैसा बर्ताव करना, साथ ही कई बार लंबी बीमारी से जूझ रहे मरीजों में भी आत्महत्या करने के ख्याल आते हैं या आत्महत्या कर लेते हैं तो ऐसे लोगों को कैसे संभाले इसकी जानकारी दी गई। जिले में मानसिक स्वास्थ्य इकाई के माध्यम से कार्यस्थल पर तनाव का प्रबंधन एवं आत्महत्या रोकथाम के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है । कार्यशाला के माध्यम से कार्य का उचित प्रबंध करना और तनाव को कम करने के बारे में जानकारी दी गयी साथ ही सहयोगी साथियों द्वारा एक दूसरे की भावनाओं को समझ कर आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम उठाने से रोकने के बारे में बताया गया।“
साइकेट्रिक नर्स निशा पटेल ने कार्यशाला में बताया: “किस प्रकार तनाव के बढ़ने से अवसाद की स्थिति निर्मित होती है । जब भी अवसाद अपनी चरम सीमा पर हो जाता है तब व्यक्ति को चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा नजर आने लगता है । उसे उम्मीद की कोई भी किरण नजर नहीं आती तब उसे लगता है, उसको जीने से अच्छा है, मर जाना ज्यादा आसान है। इसलिए हमें समय रहते अपनी तनाव का प्रबंधन करना बहुत जरूरी हैं।‘’
नर्सिंग कॉलेज की अस्सिटेंट प्रोफेसर संगीता शीत ने कहा “इस प्रकार के प्रशिक्षण छात्रों के साथ कर्मियों के लिए भी फायदेमंद होते हैं। तनाव प्रबंधन के तरीके को समझना सभी की जरूरत है। खासकर नर्सिंग की छात्राओं को क्योंकि इन्हें भविष्य में मरीजों का भी ख्याल रखना होता है।”