रायगढ़

क्या हैं सर्वसमाज का भूत? क्या ऐसे संगठन का कोई औचित्य हैं…??

सीधी बात नो बकवास-नवरतन शर्मा

सिंहघोष-21.09.23- “सर्वसमाज” सभी समाजों का एक संगठन जो शहर के विभिन्न समस्याओं का हल करने एक साथ शहर में शांति व खुशहाली के लिए संकल्पित हो। लेकिन रायगढ़ शहर में जो सर्वसमाज बनाया गया है उसमें हमेशा से कुछ विशेष लोगों ने अपना दबदबा कायम कर रखा है। चाहे पार्टी कोई भी हो समय-समय पर सर्वसमाज के नाम पर शक्ति प्रदर्शित करते रहते हैं।

क्या सर्वसमाज औचित्य है ? जब स्वहित के लिए ही सर्व समाज का नाम का उपयोग करना है तो एकांत मे बैठक कर स्वयं को महिमामंडित करती हुई फोटो,विज्ञप्ति जारी कर स्वयं को मानसिक शांति देना अलग बात हैं लेकिन बात जब सभी समाजों की हो तो उनको भी बोलने का समय देना चाहिए। कलेक्ट्रेट परिषद में जो देखने को मिला उससे कहीं नहीं लगता कि इस सर्व समाज ने सभी समाजों को विधिवत मीटिंग की जानकारी व अपने एजेंडा के बारे में जानकारी दी थी जिस तरह से कलेक्ट परिषद में किसी के इंतजार कर ज्ञापन में देरी होने की वजह से विरोध किया गया और कुछ स्वयंभू और सर्व समाज के नेता इससे नाराज होकर अभद्र भाषा का प्रयोग किया इससे तो साफ दिख रहा था ये आगामी चुनावों के मद्देनजर महज राजनीति थी।अगर ऐसे ही सर्व समाज एक है तो शहर में सर्व समाज के तथाकथित पदाधिकारियों को चुल्लू भर पानी में डूब मारना चाहिए जब भी शहर में कोई बड़ी घटना घटती है उसके बाद यह सर्व समाज का भूत/जिन्न अचानक अपने चिराग से निकालकर स्वयं को शहर का रहनुमा बताने में लग जाते हैं।

हे सर्व समाज वालों किसी के घर का चिराग बुझा है,किसी परिवार पर वज्रघात हुवा हैं आने वाले दिनों में कोई दूसरी घटना न हो ये प्रयास करने की बजाए,फोटो खिंचवाने मुंडी घुसाने,कलेक्टर चेंबर में घुसने के लिए जोर लगाने,विज्ञप्ति मे नाम ठेलवाने मे अपनी ताकत का प्रदर्शन करने मे लगे हो।

क्या सर्वसमाज कोई रजिस्टरड संस्था हैं?आज तक इस सर्व समाज की कितनी बैठक हुई? क्या एजेंडा था? क्या कार्रवाई हुई? कितने समाज से हमेशा जुड़े रहते हैं? कितने अनशन,भूख हड़ताल,धरना प्रदर्शन किये? इसकी जानकारी भी शून्य ही है क्योंकि यह स्वयंभू सर्व समाज के कर्ताधर्ता जिनको अपने वाताअनुकूलित चेंबर से निकलने में तकलीफ हो वह शहरहित,जनहित के कार्य ही नहीं सकते ऐसे सर्व समाज से तो सभी समाजों को दूरी ही बना लेनी चाहिए जहां स्वयंभूओ के अलावा ना किसी को बोलने की आजादी है ना किसी को सलाह देने की आजादी तो क्यों ऐसी बैठकों में बैठ अपनी इज्जत को रसातल पर ले जाएं।।

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