संपादकीय

“सिंहघोष के संस्थापक स्वतंत्र पत्रकार स्व.श्री शशिकांत शर्मा जी की द्वितीय पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन।।”।।लौट आओ पापा।।

आपके बिना नहीं कटता था एक दिन भी। अब जिंदगी कट रही है ।।
कैसे हो गया इतना कठोर दिल। विछोह से छाती नही फट रही है ।। आपकी यादों का आकाश है ही इतना बड़ा।
जिसकी घनी धूप नही छंट रही है ।। जीना इसी को कहते हैं शायद।
कैसी कैसी अनहोनी घट रही है।। किस्मत है ही ऐसी अपनी।
खुशियों से कभी नही खप रही है।। आपका यूं असमय चले जाने पर। ईश्वर से आस्था हट रही है।।
लौट आओ,लौट आओ पापा। अब तो तबियत भी उचट रही है।।
द्वितीय पुण्यतिथि पर नमन आपको पापा। तारीखें बड़ी जल्द पलट रही है।।
“आपका पुत्र नवरतन”

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