रायगढ़

पर्यावरण दिवस पर जनकारवां की अनोखी मुहिम शहर में रही सबसे चर्चित…। अनाथ बच्चों की तरह पौधों को का किया गया एडॉप्शन…। रखा गया नाम..। बच्चों की तरह होगी अब पौधों की परवरिश….।।

सिंहघोष/रायगढ़- आज 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस है। साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का फैसला किया गया। इसके पीछे एक बड़ी वजह थी पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागरूकता लाना। 5 जून से 16 जून तक चले विश्व पर्यावरण सम्मेलन में साल 1974 में विश्व का पहला पर्यावरण दिवस मनाया गया था। आज की स्थिति में विश्व के करीब 147 देश आज के दिन इस महापर्व को मनाते हैं।
पर्यावरण दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य था कि लोगों को यह समझाया जाए कि पर्यावरण को बचाना क्यों जरूरी है, हमें पर्यावरण की सुरक्षा क्यों करनी चाहिए। पूरे विश्व में ग्लोबल वार्मिंग, इंसानों की बढ़ती आबादी, वाइल्ड लाइफ का कम होते जाना, मरीन पॉल्यूशन, उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण ऐसे कई मुद्दे हैं। जो विश्व को आहिस्ता आहिस्ता धीमे जहर की तरह खाते जा रहे हैं।

जन कारवां की अनोखी मुहिम..
देखा जाए तो आज पूरा विश्व इस पर्व को मना रहा है। रायगढ़ शहर में कई सामाजिक संगठन है। जो अपने अपने स्तर पर प्रयास करते हैं मगर आज के दिन रायगढ़ में खास मुहिम दिखाई दी, जो बाकी सबसे हटकर थी। जीवन में पेड़ों का महत्व समझाने के लिए सामाजिक संगठन जन कारवां द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर एक आयोजन किया गया। यह आयोजन जूट मिल क्षेत्र के अंतर्गत गोगा मंदिर के पास रखा गया था। इस आयोजन में लोगों को पौधे दिए गए मगर इसकी खास बात यह है कि उन्हें पौधा नहीं बल्कि घर के एक सदस्य के रूप में उसे सहेजे जाने, उसकी देखभाल करने का वादा भी लिया गया यह सब कुछ ठीक वैसा ही था जैसा कि किसी अनाथ बच्चे को गोद लिया जाता है। इन पौधों का नामकरण किया गया कुछ का नाम संस्था ने अपनी तरफ से रखा था। तो कुछ पौधों का नाम उन पौधों को लेने आए जागरूक लोगों ने अपने-अपने पसंद के हिसाब से रखा।

जनकारवां संगठन के नरेंद्र चौबे ने बताया कि पर्यावरण की सुरक्षा हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। आज से करीब 30 साल पहले के रायगढ़ और आज के रायगढ़ में पर्यावरण की दृष्टि से देखा जाए तो काफी कुछ बदल गया है। विकास के नाम पर उद्योग लगे, लोगों को रोजगार मिला मगर इसके साथ ही इससे होने प्रदूषण ने हमारे स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालने शुरू कर दिए हैं। लोगों को पर्यावरण के प्रति भावनात्मक रूप से जुड़ने के लिए आज या एक मुहिम शुरू की गई है। संगठन के द्वारा एक छोटा सा प्रयास था लेकिन आज के कार्यक्रम की सफलता के बाद हमारा उत्साह दुगना हो गया है और भविष्य में भी यह अनवरत जारी रहेगा।

इस पूरे कार्यक्रम के दौरान लोगों का उत्साह देखने के लायक था। लोग जिस हिसाब से उन पौधों का नाम रख रहे थे, एक अलग ही आत्मीयता, अपनत्व और स्नेह की अनुभूति हो रही थी।

राजीव गांधी नगर के रहने वाले तुषार चौहान ने एक आंवला पेड़ गोद लिया जिसका नाम उन्होंने बड़े ही प्यार से बंटी रखा। इसी प्रकार सीएम नामदेव मधुबन पारा ने एक आम का पेड़ जिसका नाम उन्होंने दिव्यांश रखा। मोहम्मद नदीम पैलेस रोड निवासी ने अपने पौधे का नाम फैजान है। अभिमन्यु साहू ने अनार के पेड़ का नाम माही रखा। कोतवाली टीआई मनीष नागर ने भी एक पौधा अडॉप्ट किया जिसका नाम उन्होंने कर्तव्य रखा। जूटमिल चौकी के यूएस विश्वाल ने अपने आम के पौधे का नाम संस्कार रखा। अशोक कुमार गबेल ने कान्हा, बृजमोहन अग्रवाल ने शुभम, राजकुमार अग्रवाल ने अमायरा, सिद्धि जैन ने जोजो रखा। जुगल किशोर पंडा ने अपने पौधे का नाम अमृत रखा। इसके अलावा और बहुत से लोगों ने अपने अडॉप्ट किये हुए पौधों का प्यारा सा नाम रखा है। जिन्हें पूरा लिख पाना हमारे लिए अभी संभव नहीं है। पौधों के प्रति लोगों का यह प्यार और इसने आज पूरे शहर में चर्चा का विषय रहा।

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