रायगढ़

मेरी जमीन विवाद को तो छोड़िए अतरमुड़ा और प्राची विहार रोड पर कोटवारी सेवा भूमि और कई एकड़ नजूल भूमि को भी बेच डाला है जमीन दलालों ने- मार्गेट कुजूर

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सिंहघोष/रायगढ़- शहर के जमीन विवादों का केन्द्र रहे अतरमुड़ा क्षेत्र में भू-माफ़ियायों से जुड़े रोज नए खुलासे हो रहे है। अधिकांश भूमि विवादो में क्षेत्र के कद्दावर जमीन दलाल परमानन्द मिश्रा और राजेन्द्र पटेल का नाम ही सामने आ रहा है।फिलहाल जमीन विवाद से जुड़े दो वर्ग जिंसमे एक तरफ पीड़ित कुजूर दम्पत्ति है तो दूसरी तरफ क्षेत्र दबंग जमीन माफिया और विवादित राजेंद्र पटेल शामिल है। इन दोनों पक्षो के बीच एक दूसरे के विरुद्ध आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है।

बहरहाल इस दौर में पीड़ित पक्ष ने मीडिया को बताया कि आप हमारी जमीन के विवाद को छोड़ भी दें तो क्षेत्र में इन माफियाओं ने कई विवाद पाल रखें है। मसलन हमारे घर के ठीक समाने स्थित कई एकड़ कोटवारी सेवा भूमि के अवैध खरीद बिक्री में जमीन दलाल परमानंद मिश्र और राजेन्द्र पटेल का नाम स्पष्ट रूप से सामने आ चुका है। जिला प्रशासन के निर्देश पर तत्कालीन पटवारी मनहरण देवांगन और अन्य ने जो रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी थी। उसमें इन दोनों का नाम दर्ज है। इन दोनों ने अपने अन्य साथियों की मदद से कोटवारी सेवा भूमि को कई टुकड़ों में बेचा था। बाद में अभी कुछ महीनों पहले जब इस सेवा भूमि से लगी बिल्डर नवल अग्रवाल की भूमि को रास्ता देने के लिए न केवल इनके द्वारा बेची भूमि से कुछ मज़बूर खरीददारों से मारपीट कर जमीन खाली करवाई गई थी। तब जब इनके द्वारा सेवा भूमि को अवैध तरीके से कई लोगो को बेचा गया था और बचत भूमि पर अपना कब्जा कर अवैध निर्माण करवाया गया था। इस कोटवारी सेवा भूमि में बने भवन पर आंगनवाड़ी का संचालन कर जमीन दलाल राजेंद्र पटेल किराया तक पाता रहा है। खुद राजेन्द्र पटेल का दो मंजिला घर आंगन और बाड़ी सरकारी नजूल भूमि के बड़े भूखण्ड लगभग 4 हजार वर्गफुट पर बना है। यही नही उस क्षेत्र से लेकर प्राची विहार से बड़े अतरमुड़ा की कई सरकारी नजूल भूमि की अवैध खरीद बिक्री में दोनों लोग शामिल रहे है। इस क्षेत्र में न केवल कई एकड़ नजूल या सेवा भूमि पर बल्कि कई भूमिस्वामी एवं आदिवासी भूमि पर पहले अनैतिक रूप से बल पूर्वक कब्जा कर उसे इन दोनों ने धूर्तता पूर्ण ढंग से बेचा है। बल्कि आप स्वयं पता कर लीजिए कि इस क्षेत्र के अधिकांश जमीन विवादों में भूमाफिया परमानंद और जमीन की दलाली करने वाले राजेंद्र पटेल का ही नाम सामने आएगा।

पीड़ित कुजूर परिवार की महिला सदस्य मार्गेट कुजूर साफगोई से कहती हैं,कि ये दोनों हमारी भूमि में विवाद करके हमें किसी तरह से डराकर जबरन हमारी जमीन के सामने का हिस्सा क्रेता चांदनी मरकाम को देना चाहते है। क्योंकि इन लोगों ने उसे ऐसी जो भूमि बेची है जो सड़क का हिस्सा है,पटवारी त्रिपाठी से मिलकर किसी तरह इन्होंने भूमि का नक्शा काट कर 4 डिसमिल जमीन का टुकड़ा उसे बेचकर उससे 12 लाख रु में सौदा कर लिया और आठ लाख रु नगद ले लिए है। उसे कब्जा देकर शेष 4 लाख रु की रकम अब लेना चाहते है। जबकि हमारी भूमि का विधिवत सीमांकन कई बार किया जा चुका है और हम अपनी जमीन पर शांति पूर्वक काबिज है।

इधर पीड़िता माग्रेट सरकारी जमीन पर अपने कब्जे के आरोप पर कहती है,जिस भूमि को लेकर हम पर आरोप लगे है वो आबादी भूमि है जिसे क्षेत्र के गौंटिया पंचम सिंह ने मलबा समेत हमे वर्ष 1994-95 में 32 हजार रु में बेचा था उसके दस्तावेज मेरे पास सुरक्षित हैं। वही हम पर अप्रत्यक्ष आरोप लगाने वाले वकील राजेंद्र पटेल का खुद का मकान सरकारी जमीन पर ही बना है। अगर उस ओर प्रशासन 152 प्रतिशत की कारवाही करें तो जमीन दलाल राजेंद्र पटेल से लाखों रु.की राजस्व राशि वसूली जा सकती है। वही खुद जमीन माफिया परमानंद ने उसके सांथ मिलकर जगह- जगह नजूल भूमि की खरीद बिक्री की है उसके अलावा दुकानों का निर्माण भी किया है।बेहतर होगा पहले वो अपना हिसाब दे लें फिर हमारी बात करें।।

क्रमश:-

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