दुश्मन की गोली जब शहीद को बिना फर्क किए लगती है तो सरकार शहीदों में भी शर्मनाक अंतर क्यों करती है.?- रणबीर सिंह(पूर्व अर्धसेना अधिकारी)

हंदवाड़ा मुठभेड़ में सेना के चार सैनिक और तीन सीआरपीएफ के जवान सहित जम्मू-कश्मीर पुलिस से एक जवान की सहादत हुई थी..
एक ही जगह पर एक ही समान हालात में शहीद होने वाले सैनिको और जवानो की सहादत के बाद मिलने वाली सम्मान राशि और शहीद के दर्जे में फर्क से गहरा उठा अर्धसैनिकों का दर्द..
नितिन सिन्हा की🖋️ से..
नई-दिल्ली:-आज की परिस्थितियों में देश के सुरक्षा बल चौतरफा चुनौतियों का सामना कर रहे है।। जिनमे अर्धसैनिक बलों का योगदान इस कोरोना काल मे किसी भी मायनों में भारतीय सेना से कमतर कर के नही आंका जा सकता है।।
भारतीय सेना जहां आतंकवाद और सीमा पर उत्तपन्न चुनौतियों से लड़ रही है,तो वही अर्धसेना के जवान कोरोना वारियर्स की भूमिका के अलावा कश्मीर में आतंकी हमलों,चीन तथा पाकिस्तान के द्वारा सीमा पर किए जा रहे उत्पात के अलावा बस्तर में नक्सल हमलों का सामना भी बखूबी कर रहे हैं।। यही नही अर्धसैनिक देश के कई राज्यों में पुलिस के साँथ मिलकर कानुन व्यवस्था को भी सुचारू बनाने में योगदान दे रहे है।।
इन परिस्थितियों में हम अगर जम्मू-कश्मीर की बात करें तो यहां भी अर्धसैनिक सेना के जवानो के साँथ मिलकर सीमापार से आने वाले आतंकियों और स्थानीय उपद्रवियों से बराबरी की लड़ाई लड़ रहे हैं।। इस लड़ाई में अर्धसेना के जवान सेना की अपेक्षा ज्यादा सहादत भी दे रहे है।।
जम्मू-कश्मीर में अभी हाल में घटी दो लगातार आतंकी घटनाओं में आतंकियों से हुए
एनकाउंटर के दौरान सेना और अर्धसेना के जवानो ने लगभग बराबर का बलिदान तक दिया है।। जहां पहले एनकाउंटर में भारतीय सेना ने दो आतंकियों को मार गिराया जबकि सेना के दो अधिकारियों सहित चार सैनिक और एक जम्मू पुलिस के सब इंस्पेक्टर भी शहीद हुए,तो दूसरे दिन हुए आतंकी हमले में गश्ती पर निकले केंद्रीय सुरक्षा बल की एक टुकड़ी पर आतंकियों ने घात लगाकर हमला कर दिया।। जिसमें सी आर आई एफ के तीन जवान शहीद हुए जबकि मुठभेड़ में जवानो ने एक आतंकी को भी ढेर कर दिया।। यहां आतंकियों से लोहा लेते हुए सीआरपीएफ के सी टी संतोष मिश्रा,सीटी चंद्रशेखर और सीटी अश्विनी कुमार यादव शहीद हो गए. वहीं एक नागरिक भी क्रॉस फायरिंग में मारा गया था।। जबकि पहले एनकाउंटर (उत्तर कश्मीर के हंदवाड़ा) में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने लश्कर के कमांडर हैदर और सहयोगी को ठिकाने लगा दिया था।। बताया गया कि हैदर पाकिस्तान का रहने वाला था। इसके अलावा एक और आतंकी भी मारा गया जो स्थानीय था।
इस मुठभेड़ में सेना के सी ओ 21-आर आर कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज सूद, पुलिस सब इंस्पेक्टर शकील काजी, एक लांस नायक और एक राइफलमैन शहीद हो गए थे।। दो क्रमवार घटनाओ में 8 सैनिको की शहादत की खबर से देश मे सरकार और आतंकियों के प्रति गहरा आक्रोश देखा गया।। लोग पाकिस्तानी आतंकी शिविरों में एक और सफल सर्जिकल स्ट्राइक की मांग करते देखे गए।। वही सहादत के बाद जब सेना अर्धसेना के जवानों और सैन्य अफसरों का शव उनके गृह राज्य उनके घर पहुंचा तो वहां की सरकारों के बीच जवानों की सहादत में तोल मोल करते देखा जाना दुःखद रहा।। जहां एक तरफ पंजाब सरकार के द्वारा हंदवाड़ा में शहीद हुए राष्ट्रीय राइफल्स के नायक राजेश कुमार के परिवार को दस लाख की सम्मान सहायता राशि देने का ऐलान किया जबकि उसी घटना में उतर प्रदेश सरकार द्वारा शहीद कर्नल परिवार को पचास लाख सहायता देने का ऐलान किया। ण यह तो हुई सेना की बात जबकि अर्धसैनिक जवानों की सहादत के हफ़्ते भर बाद भी किसी तरह की कोई सम्मान राशि के दिये जाने की घोषणा कहीं नही की गई।। ऊपर से सी आर पी एफ के इन शहीदों को पेंशन की सुविधा भी नही मिलनी है।। सरकारों के द्वारा सहादत में किए जाने वाले इस फर्क को लेकर लम्बे समय से लड़ाई लड़ रहे कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने एक प्रेस नोट जारी कर सहादत में इस तरह की असमानताओं को दूर किए जाने की मांग की है।।
प्रैस विज्ञप्ति-
आपके लोकप्रिय समाचार पत्र व मिडिया के माध्यम से केंद्रीय सरकार व राज्य सरकारों का ध्यान शहीदों को दी जाने वाली सम्मान राशि की ओर दिलाना चाहता हूं। पिछले पांच दिनों में हंडवारा काश्मीर में दहशतगर्दों द्वारा दो दिल दहलाने वाली घटनाओं को अंजाम दिया गया जिसमें सेना कर्नल आशुतोष शर्मा समेत 5 जवानों ने देश के लिए सुप्रीम शहादत दी। दुसरा वाक्या ठीक पहली घटना के दो दिन बाद 92वी बटालियन सीआरपीएफ जवानों के साथ घटा जिसमें तीन जवान देश के लिए कुर्बान हो गए।
रणबीर सिंह महासचिव ने कहा कि शहादत कोई वस्तु नहीं जो तराजू में तौली जाए ओर ना ही इसका कोई मोल होता है । पंजाब सरकार के द्वारा हंदवाड़ा में शहीद हुए राष्ट्रीय राइफल्स के नायक राजेश कुमार के परिवार को दस लाख की सम्मान सहायता राशि देने का ऐलान किया जबकि उसी घटना में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शहीद कर्नल परिवार को पचास लाख सहायता देने का ऐलान किया गया। अब सवाल यह है कि अलग-अलग राज्यों में शहीद परिवारों के साथ सम्मान सहायता राशि में इस तरह का भेदभाव वाला व्यवहार क्यों.?? एक तरफ़ सरकार खेलों में पदक लाने वाले खिलाड़ियों को एक करोड़ से तीन करोड़ राशि की भरपाई करती है तो दुसरी ओर जो जवान देश के लिए सर्वस्व न्योछावर कर रहे है उन्हें बराबर की सम्मान राशि तो छोड़िए उनके परिवारों को भी किसी प्रकार की सहायता नहीं मिलती है । ऐसी हालत में कौन करेगा शहीद अर्धसैनिक के बुढ़े मां-बाप,विधवा असहाय बीवी और बच्चों की देखभाल। कौन लौटाएगा उसके चांद को जिससे वो घंटों बतिया कर उल्हानें दिया करती कि इस बार सावन में जरूर आना । ये कैसी फूलों की वर्षा सम्मान स्वरूप आसमान से हो रही है । अब समय आ गया है कि सरकार शहीद परिवारों के शिक्षा, स्वास्थ्य ,पुनर्वास,जवान बेटियों की शादियां व अन्य भलाई संबंधित योजनाओं के लिए एक बेहतर कल्याण योजना को अंजाम दिया जाए ताकि भविष्य में इस तरह के भेदभाव शहीद परिवारों के साथ ना घटे। साथ ही मांग करते है कि सभी राज्य सरकारें शहीद के परिवारों को कम से कम एक करोड़ सहायता स्वरूप सम्मान राशि मदद के तौर पर दे यही सच्ची श्रद्धांजली होगी।
रणबीर सिंह
महासचिव
कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन कॉन्टेक्ट नं 9968981467
ऐसी परिस्थियों के लिए रणबीर सिंह जहां सरकारी नीतियों का दोष मानते है तो वही उनका यह भी मानना है कि खुद अर्धसेना के आला अधिकारी जवानो के अधिकारों की बात को लेकर सहयोगी व्यवहार नही अपनाते है।। इस वजह से उनकी लड़ाई लम्बी खींच रही है।। जबकि सी आर पी एफ से रिटार्यड हुए एक जवान ने ताज़ा तरीन एक घटना का उल्लेख कर बताया कि-
खुद अर्धसेना के अधिकारी भी अपने जवानों के साथ दोहरा व्यवहार करते है,उनको मिलने वाली थोड़ी बहुत सरकारी सुविधाओं में भी भर्राशाही और भ्रष्टाचार करना आम बात हो चुकी है..
यह घटना इस बात का प्रमाण देती है कि जब विभाग को ही अपने जीवित सैनिक/जवानों की चिंता नही रहती तो शहीद जवानों को कौन पूछेगा.??
उनका कहना हैं कि इस घटना से जुड़ा सन्देश और वीडियों तेजी से अर्धसैनिक जवानों के बीच शेयर किया जा रहा है.जिसके अनुसार..
194 बटालियन सी आर पी एफ के कमांडेंट द्वारा कोरोना पोसिटिव जवानों का ये हाल बना दिया गया है आप वीडियो में देख सकते है कोरोना सेन्टर बनाने के लिए डिपार्टमेंट से मिले सारा फंड का गबन कर लिया और जवानों को खुले आसमान के नीचे सोने के लिए मजबूर किया जा रहा है ओर अब तक 500 से ज्यादा कोरोना केस 194 बटालियन दिल्ली में हो चुके है.जिसको कमांडेंट द्वारा कथित रूप से छिपाया जा रहा है। जिससे उसके खिलाफ कोई करवाई न हो.सभी से अपील है इसको फैलाया जाए जिस से आँख ओर कान बंद किये बैठे सीनियर अधिकारियों को इसका पता चले..
बहरहाल आज की परिस्थितियों में यह अत्यंत जरूरी हो गया है कि अर्धसेना के अंदरूनी हालात सुधारे जाने के अलावा सेना और अर्धसेना के जवानो/अफसरों की सहादत में होने वाले अंतर को अविलंब दूर किया जाए।।