“शकुनि मामा की रक्षा करने दुर्योधन ने फेंके पासे,

जिला प्रशासन को आतंकित करने
कर रहे बचकाने खेल-तमाशे”.#
भइये समझ में नही आ रहा है कि परसों कुछ कालाबाज़ारियों पर प्रशासनिक कार्यवाही होते ही चेंबर ऑफ कॉमर्स की जिला इकाई एक-ब-एक इतनी सक्रिय-बलशाली-
क्रुद्ध क्यों हो गई??
क्या लॉक डाउन के दरमियान यह पहली प्रशासनिक जांच-पड़ताल-
दाण्डिक कवायद थी??
नही नही,इस अवधि में ऐसी कार्यवाही कई दुकानदारों पर हो चुकी है.उस समय कहाँ था,क्या कर रहा था,किस मांद में दुबका हुआ था चेंबर और इसके पुरातन पदाधिकारी??
क्या चेंबर के आकाओं ने प्रशासनिक कार्यवाही की खिलाफत,दुकानों को बंद करने के निर्णय लेने हेतु कोई आपातकालीन बैठक आयोजित की??किन मुट्ठी भर लोगों ने आनन फानन में यह जन विरोधी निर्णय लेकर पुलिस कप्तान साहब से भेंट करने का हौसला दिखा दिया??
चेंबर के इस शोषकों के समर्थन वाली पहल से इसके परमानेंट प्रोप्राइटरों के विरुद्ध नागरिकों के साथ साथ संगठन में भी गहन आक्रोश व्याप्त है.
2,4 लोगों की भयानक ग़लती ने चेंबर को नाहक ही घोर विवादों की गहरी खाई में धकेल दिया है.