संपादकीय

हे दशरथों तुमने ये क्या किया बापू की आत्मा को तड़पा दिया-शशिकांत शर्मा

दशरथों तुम्हारे पास किस बात की कमी है करोड़ों में खेल रहे हो,गल्ला किराना व्यापार के जिले के तुम लोग सबसे बड़े होल सेलर हो.
मेरे आकलनानुसार तुम लोगों में से एक की तो रोजाना बिक्री चार-पांच लाख रुपये से कम की नही है.उसके बाद भी तुम मुद्राराक्षस इतनी खोटी और ओछी नियत के निकलोगे कि तुम लोगों ने नमक जैसी अनिवार्य जीवनपयोगी परंतु अति सामान्य सी चीज का ब्लैक कर डाला.नमक के महत्व को समझने वाले राष्ट्रपिता महत्मा गांधी ने अंग्रेजों की खिलाफत ऐतिहासिक दांडी पद यात्रा कर स्वयं नमक बनाने के शंखनाद को जनांदोलन बना दिया.
वह नमक जिसे हाथ में लेकर कसम खाने तक की कोई हिम्मत नही कर पाता उसकी कालाबाजारी,जमाखोरी,
मुनाफाखोरी कर तुम पातकियों ने कुम्भीपाक नरक में जाने का रास्ता खोल लिया है.
अरे दशरथों तुम लोग तो विराट आर्यवीर,महान हिन्दू हितरक्षक,कट्टर राष्ट्रवादी,खाँटी देशभक्त के लेबल चस्पा किये हुए हो रे.
पर तुम मुखौटाधारियों के कर्म तो रावण जैसे निकले.उस नमक को दबा दिया,उस वस्तु की ब्लैक मार्केटिंग करने लगे जिसे व्यापारी दुकानों के अन्दर नही रखते,ताले में बंद नही रखते.खुले में ही रखकर छोड़ देते हैं.कोई गिरा से गिरा चोर भी नमक की बोरी तो क्या आधा किलो तक नही चुराता है.
पर वाह रे!!अधम दशरथों तुम लोगों ने नमक तक कि कालाबाजारी करने की नीचता कर डाली.
“साहब नमक गोदाम तो अलग है उसे सील कर दो,दुकान काहे सील कर रहे हो,साहब थोड़ा उधर तो चलिए.”
ऐसी तमाम कोशिशें इस जवाब से नाकाम हो गई कि “हमने नमक दुकान से ब्लैक करते पाया है,दुकान से ही जप्ती बना रहे हैं तो दुकान ही सील करेंगे गोदाम नही”.
मानना पड़ेगा धाकड़ शासकीय अधिकारियों की टीम को जो वे कर्तव्यनिष्ठ अफसर तुम लोगों के किसी भी झांसे,कुतर्कों,अप्रत्यक्ष
प्रलोभन के मकड़जाल में नही फंसे. तुम्हारी कुचेष्टाओं को दरकिनार करते हुये तुम लोगों पर भारी जुर्माने तो ठोंके ही.साथ ही तुम्हारी दुकानों को सील करते हुये यह साबित कर दिया कि ईमानदारी दम जरूर तोड़ रही है किन्तु मरी नही है.
इस प्रकरण का सर्वाधिक शर्मनाक पक्ष यह है कि एक स्वनामधन्य संस्था उसके परमानेंट 2,3 प्रागैतिहासिक कालीन पदाधिकारी एकाएक कब्रों के मुर्दों की भांति नमूदार हो गए.
एक एरिये विशेष के चंद मौसेरे भाई भी इस जन हितार्थ की गई शासकीय कार्यवाही का कायराना अंदाज़ में विरोध करने की निर्लज्जता तथा ढीठता प्रदर्शित कर रहे हैं.
उन्हें जन भावनाओं,जनाक्रोश का अंदाज़ नही है.

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button