सालासर के कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री सहित जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से लगाया गुहार,चालू फैक्ट्री को बन्द कर सरकार की मंशा पर भी कुठाराघात,कर्मचारियो ने कहा समझिए बेरोजगार हुए कर्मचारियो के परिवार की व्यवथा

रायगढ़।
सालासर के कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र कहा जो कम्पनी सरकार को राजस्व दे रही थी उसे बन्द कर संरकार की मंशा पर कुठाराघात किया है। मुख्यमंत्री भुपेश बघेल सहित कलेक्टर रायगढ़, जिला पुलिस अधीक्षक, सहित रायगढ़ विधायक को भी पत्र प्रेषित किया है। पत्र में कर्मचारियों द्वारा उल्लेख किया गया है सरकार उनकी व्यवथा को समझे और प्लांट को शुरू करवाए ताकि स्थानीय स्तर के 300 परिवार कोरोना काल के आगोश में जाने से बच सकें।

बता दें कि गेरवानी स्थित सालासर में पावर, स्पंज व स्टील बिलेट बनते हैं। जिसे एनसीएलटी के आदेश पर बैंक द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया और चालू प्लांट को बन्द कर दिया गया इससे हजारो कर्मचारियों के आजीविका पर सीधे सीधे प्रहार किया गया है जो कम्पनी लोगों को रोजगार दे रही थी और उससे सरकार को राजस्व प्राप्त हो रहा था उसे बन्द कर बैंक द्वारा सरकार की मंशा पर भी कुठाराघात किया है। चूंकि एनसीएलटी के आदेश पर यहां बैंक के एक प्रतिनिधि को अधिकृत अधिकारी के तौर पर बैठा दिया गया है जिन्होंने बिना सोचे समझे चालू फैक्ट्री को बन्द करने का फरमान जारी कर दिया गया और कर्मचारियों को वेतन देना बंद कर दिया गया जो कि अन्याय पूर्ण कार्रवाई है। कर्मचारियो ने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि जनवरी माह का वेतन अभी लॉक डाउन के दौरान दिया गया वह भी काफी मशक्कत के बाद दिया गया दिये गए वेतन में कई तरह की कटौती के साथ दिया गया है।
मुख्यमंत्री, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को लिखे पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि शासन का स्पष्ट निर्देश है कि लॉक डाउन के दौरान फैक्ट्री के अंदर फंसे कर्मचारियो के खाने पीने की व्यवस्था करना है लेकिन बैठाए गए अधिकारी के द्वारा खाने पीने की व्यवस्था तक करने से इनकार कर दिया गया यहां तक कि वेतन भी नही दिया गया जिससे कर्मचारी अपने पैसे से खाने पीने का बंदोबस्त कर सकते थे। प्रशासन द्वारा फैक्ट्री के अंदर यदि खाने पीने के पैकेट नहीं बंटवाये होते तो कर्मचारियो को भूखे मरने की स्थिति उत्पन्न हो जाती।
कर्मचारियों ने पत्र में यह भी उल्लेख किया है एनसीएलटी के आदेश पर बैठे अधिकारी द्वारा पहले चालू प्लांट को बन्द कराया फिर वेतन देने में आनाकानी शुरू किया फ़रवरी माह में सभी कर्मचारियों को वेतन के रूप में 10-10 हजार दिया गया और मार्च माह से वेतन नही दिया गया और वेतन में मिलने वाले प्रमुख अलाउंस की कटौती के साथ वेतन देने कहा गया और यह कटौती के साथ वेतन तब देने कहा गया जब फैक्ट्री बिक जाएगी। तो क्या ऐसे में तब तक कर्मचारी भूखे मरता रहे और जब ऐसे समय मे देश के हालात लॉक डाउन की वजह से ऐसी बनी हुई है कि कही दूसरे कम्पनी में रोजगार मिलना सम्भव नहीं है औऱ ऐसी स्थिति में प्लांट कब बिकेगा कहना मुश्किल है।
मुख्यमंत्री सहित जिला प्रशासन जनप्रतिनिधियों को लिखे पत्र में कर्मचारियों ने यह भी उल्लेख किया है कि चालू हालात में बन्द किये गए फैक्ट्री को सख्त हिदायत देते हुए चालू करवाए और वे भी आश्वस्त करते हैं कि पूरे तनमन से फैक्ट्री के उत्पादन को नियमित करते हुए काम करेंगे। अब देखना है कि ऐसे हाल में जब देश विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है तब इन कर्मचारियों की गुहार का असर कितना होता है। ऐसी स्थिति में जब देश के हालात ऐसे हो और सरकार फैक्टरियों को चालू रखने आर्थिक मदद भी दे रही है ऐसे में चालू फैक्ट्री को एनसीएलटी के आदेश पर बन्द किये जाने की स्थिति में कर्मचारियो की गुहार पर चालू कराया जाता है या यह गुहार कही फाइल के पन्नो में दबकर रह जाती है।
कुछ भी कहने से किया इनकार/
इस सम्बंध में सालासर के एक प्रमुख अधिकारी अशोक मालानी से जब कर्मचारियो कि स्थिति और उनके वेतन को लेकर जानने की कोशिश की तो उन्होंने कुछ भी बात करने से मना कर दिया।