रायगढ़

बिना एप्रोच नही होता सलेक्शन,रायगढ़ जिला क्रिकेट एसोशिएशन मजाक बनकर रह गया है-साकेत पांडे

रायगढ़ जिला क्रिकेट एसोशिएशन के चयन में हर साल हो रही धांधली,
खिलाड़ियों का कर रहे मॉरल डाउन,
ट्रायल नहीं देने वालो का हो जाता है सलेक्शन,
अपने बच्चे को देते है प्राथमिकता-साकेत पांडे

सिंहघोष/रायगढ़-20.7.21-प्रतिवर्ष अंडर 19 हो अंडर 16 हो या सीनियर हो प्रतिवर्ष यहाँ खिलाड़ियों को संघ के नीति नियमो से परेशान होना पड़ता है।जो खिलाड़ी नहीं आते है उनका भी चयन गुपचुप तरीके से कर दिया जाता है। संघ के अध्यक्ष रबर स्टाम्प बनकर रह गए है।जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारी अपने बच्चो को ही प्राथमिकता दे रहे है।यहाँ भी स्पोर्ट्स नेपोटिजम हावी है।जिला क्रिकेट संघ प्रतिवर्ष चयन का नाटक कर ऐसे खिलाड़ियों की टीम रायगढ़ से भेजती है जो पहला गा दूसरा मैच हारकर वापस आ जाते है।प्रतिभावान खिलाड़ी मुँह तकते रह जाते है और एप्रोच वाले बिना ट्रायल दिए ही टीम में जगह बना लेते है। पिछले वर्ष तीन खिलाड़ी ऐसे थे जो ट्रायल ही नहीं दिए और उनका सलेक्शन हो गया।उसका रीजन दिया गया कि वे मेडिकल रीजन से बाहर है. मेडिकल रीजन था तो उन्हें टीम में क्यों लिया गया फिट खिलाड़ी लिए जाते ये तीनो खिलाड़ी एप्रोच वाले थे एक खिलाड़ी तो जिंदल स्कूल के बहुत बड़े अधिकारी से संबंध रखता थ बहुत से अभिभावक इनके इस रवैये को चुपचाप सहते है इससे इनके हौसले और भी बुलंद हो जाते है।हाल ही में अंडर 19 के चयन में दो खिलाड़ी ट्रायल में नहीं आये थे वो चयनित हुए वही जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों के सुपुत्र का चयन होना किसी भी खिलाडी के गले नहीं उतर रही थी।जिला क्रिकेट के प्रारम्भिक चरण में ही खिलाड़ी नेपोटिज्म व एप्रोच वाले खिलाड़ियों से डिप्रेस हो रहे है।

कोई गतिविधि नहीं होती है जिला क्रिकेट संघ में-अंडर 14-16-19 व सीनियर खिलाड़ियों के ट्रायल लेकर अपने अनुसार टीम बनाकर बिलासपुर रायपुर टीम बनाकर भेजने के अलावा इनके पास वर्ष भर और कोई आयोजन नहीं रहता है। वही अन्य जिलों में क्रिकेट को बढ़ावा देने जिला क्रिकेट एसोशिएशन कई प्रकार के आयोजन करते है अगर इसी तरह चलता रहा तो रायगढ़ के क्रिकेट खिलाड़ियों का भविष्य निश्चित तौर पर अंधकारमय रहेगा।

भारी अव्यवस्थाओ के बीच होता है ट्रायल-जिला क्रिकेट संघ को प्रतिवर्ष एक निश्चित मद आता है वो खिलड़ियों के हित के लिए होता है।लेकिन यहाँ तो खिलाड़ियों को पीने का पानी भी संघ मुहैया नहीं करवा पाती। अंडर 19 के ट्रायल में केवल एक बोरा पानी पाउच आया था।बच्चे स्कूल के टंकी के पानी के भरोसे थे अंडर 16 में यह बढ़कर केवल दो बोरा हुआ। जिस पिच में ट्रायल हो रहा गई वहा चूना डालकर बॉलिंग क्रीज भी नहीं बना सकती संघ भारी अव्यवस्थाओ के बीच हो रहा ट्रायल पुरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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