रायगढ़

पटवारी और क्रेता ने निजी लाभ के लिए बिक्री दस्तावेज में दी झूठी जानकारी।फर्जीवाड़े का बड़ा मामला..!!

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सिंहघोष/ रायगढ़:- जिले के राजस्व विभाग में पदस्थ भ्रष्ट और बेईमान पटवारियों की करतूतों से आप हम भली भांति परिचित है। पैसों की लालच में बहुतेरे पटवारी न केवल किसी भी स्तर की कूटरचना कर सकते हैं बल्कि शासन को मिलने वाली राजस्व राशि की क्षति भी करवा सकते हैं। जिले के पटवारियों के द्वारा अब तक किए गए तमाम गड़बड़ झालों में से एक मामला पुसौर तहसील के बिंजकोट गांव तक थाना चक्रधरनगर से सामने आया है।जहां ग्राम बिंजकोट में स्थित आदिवासी भूमि खसरा क्रमांक 138/1- रकबा 0.809 हे.भूमि को विक्रेता आनंद राम सिदार आत्मज रनमत सिदार उम्र 55वर्ष निवासी ग्राम झारमुड़ा पुसौर के द्वारा क्रेता चन्द्रभान सिदार आत्मज जय कुमार सिदार पेशा शासकीय सेवक उम्र 29 वर्ष को दिनांक 4 जनवरी 2020 को आपसी सौदे की रकम चार लाख पच्चास हजार रूपए में पंजीकृत बिक्रीनामा के आधार पर बेचा था। जबकि भूमि का बाजार मूल्य 10 लाख लाख 40 हजार 8 सौ रु दर्शाया गया। वह भी तब भूमि मुख्य की दर्शाई गई रकम में तत्कालीन पटवारी एन.के.मिरी के द्वारा बनाये गए विक्रय दस्तावेजों में क्रेता चन्द्रभान सिदार निवासी अतरमुड़ा को अनैतिक लाभ पहुंचाने की नियत से आपराधिक साँठ गाँठ करते हुए,वास्तविकता से बिलकुल उलट महज पांच सागौन के पेड़ का होना उल्लेखित किया गया। जबकि स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा दिखाई गई भूमि पर 2 सौ से अधिक सागौन के जीवित पेड़ मौजूद है। जिनमे से 80 से 100 पेड़ पूरी तरह से विकसित हैं। ग्रामीण बताते है कि यदि आदतन भ्रष्टाचारी और बदमिजाज तत्कालीन पटवारी एन के मिरी ने चंद पेसौं की लालच में भूमि में मौजुद पेड़ों की वास्तविक संख्या को विक्रय दस्तावेजों में लिखा होता तो भूमि का पंजीयन शुल्क काफी बढ़ जाता। जिससे शासन को लाखों रु की अतिरक्त राजस्व राशि प्राप्त होती। इस तरह शासकीय सेवक होकर तत्कालीन पटवारी एन.के.मिरी और क्रेता चन्द्रभान सिदार ने शासन को जानबूझकर राजस्व राशि की क्षति पहुंचाने की नीयत से आपस मे आपराधिक सांठगांठ करते हुए यह फर्जीवाड़ा किया है। इस तरह तत्कालीन पटवारी मिरी ने पहली बार तो गलत जानकारी देते हुए न केवल झूठे बिक्री दस्तावेज बनाए बल्कि पंजीयन दिनांक के कुछ दिनों बात उसी गलत दस्तावेजों के आधार पर की गई रजिस्ट्री का नामांतरण भी करवा दिया गया। इस तरह पटवारी और क्रेता दोनों ने जिला राजस्व विभाग को भी धोखे में रखा।

उक्त गम्भीर अपराध की जानकारी जैसे ही ग्रामीणों को मिली वे लोग कलेक्टर रायगढ़ के अलावा पुलिस को प्रमाणित साक्ष्यों के सांथ लिखित शिकायत कर दी। इधर अपनी चोरी पकड़े जाने की खबर सुनते ही कथित तौर पर क्रेता और पटवारी ने उक्त भूमि में लगे सैकड़ों पेड़ों को काटने की असफल कोशिश की, 15 से 20 पेड़ चोरी छीपे कटवा भी दिए। परन्तु कुछ परन्तु सजग ग्रामीणों के कारण वे लोग ऐसा कर नही पाए।।
बहरहाल शिकायत के महीनों बीत जाने के बाद भी शासन के द्वारा कोई कारवाही न किए जाने पर ग्रामीणों ने पत्रकारों को बुला कर मौका मुआयना करवाया तो पत्रकारों ने पाया कि वाकई बेची गई भूमि पर पांच नही बल्कि सैकड़ों सागौन के पेड़ मौजूद हैं।

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