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BSF जवान ने अधिकारी समेत दो को गोली मारी व फिर समर्पण किया।

देश के सीमाओं की रक्षा करने वाले अर्द्ध सैनिक बलो मे आत्महत्या व शूटआउट का दौर थम नहीं रहा है यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी पिछले दस दिनो मे 8 जवान आत्महत्या या फिर शूटआउट से मर चुके है , लेकिन देश के हूकमरानो व जनता के पैसो पर ऐसो आराम करने वाले भ्रष्ट व तानाशाह अफसरो ( काले अग्रेजो) पर इसका कोई फर्क नही पड़ रहा है।

जब हमारा एक जवान दुश्मन की गोली से शहीद हो जाता है तब ये मौका परसत नेता है तानाशाह ऑफिसर घड़ीयली आँसू बहाते है, लेकिन पिछले 6 वर्ष मे आॅफिसरो की तानाशाही व सरकार की उदासीनता के कारण 700 जवान आत्महत्या कर चुके है लेकिन इन जवानो का दर्द सुनने व इनकी सूध लेने का किसी हुकमरान के पास वक्त नहीं है क्योंकि इनका कोई वोट बैक नहीं है और न ही इनके पास ऐसा कोई संगठन है जो इनकी बात सुन सके व इनका दर्द जान सके। सरकार सिर्फ उच्च अधिकारी तक ही सीमित है व जोर जुल्म से ऑफिसर द्वारा जवानो के मुँह पर ताला लगाकर इनकी आवाज व दर्द को दबा रही है इसी घुटन के कारण जवान हर रोज आत्महत्या कर रहे हैं ।

लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि इन जवानो के लिये इस देश मे ना कोई मानवाधिकार व ना कोई बुद्धिजीवी जो इनकी आवाज को उठा सके व सरकार से सवाल कर सके??? इस देश मे बिना कोई मुद्दे पर सदन मे हंगामा हो सकता है लेकिन जवानो मौत पर सन्नटा छा जाता है, ऐसा देश है हमारा जहाँ हुये जवान की अर्थी उठाने वाले मिल जाते है लेकिन जब वो जिन्दा होता है तब कोई सहारा देना वाला भी नहीं होता हैं ।

ताजा मामला BSF की 146 बटालियन का हैं जहाँ एक जवान ने एक ऑफिसर समेत दो लोगो को गोली मार दिया व फिर खुद सरेडर कर दिया , अगर वो जवान चाहता तो और लोगो को मार सकता था लेकिन उसने सिर्फ दोषी थे उन्ही को मारा और ऐसा काम कोई जवान तब करता है जब उसे कही से न्याय की उम्मीद न हो, और ऐसा ही आजकल अर्द्ध सैनिक बलो मे हो रहा है । क्योंकि इनमे खासकर निचले तपके (ors) को न्याय की उम्मीद नहीं है और न ही उनके साथ न्याय होता हैं क्योंकि ऑफिसर की सोच तानाशाही व अग्रेजो से प्रेरित होती है और वो हर जवान को जवान को जवान न समझ कर एक गुलाम समझते इसी के कारण या तो जवान आत्महत्या करते है फिर साथियो पर गोलिया चलाते है । यह मेरा निजी अनुभव है व समय आने पर जवानो के आत्महत्या के मामले को हम सुप्रीम कोर्ट मे लेकर जायेगे अगर वहा भी न्याय नहीं हुआ तो फिर इस मामले को विश्व मानवाधिकार के अन्तराष्ट्रीय न्यायलय मे इस मामले को उठायेगे हा मुझे पता है ऐसा करने से मेरे प्यारे देश भारत की छवी खराब होगी लेकिन अब मजबूरी हो गयी है कि आखिर कब तक अर्द्ध सैनिक बलो के जवान आत्महत्या करते रहेगे व हम तमाशा देखते रहेगे??? हमे जगना तो होगा लेकिन अगर समय से जग जाये तो ठीक होगा वर्ना इस देश का बहुत नुकसान हो जायेगा। जय हिन्द

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