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त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति मिनीमाता– राकेश नारायण बंजारे

छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद ममतामयी मिनीमाता का जन्म 13 मार्च 1913 (होलिकादहन की रात्रि) में असम के नौगांव जिले में हुआ था। मिनीमाता के बचपन का नाम मीनाक्षी था। मिनीमाता छत्तीसगढ़ की पहली महिला सांसद थीं। वे वर्ष 1952 के उपचुनाव में विजयी हुईं तत्पश्चात 1957,1962,1967 और 1971 में जांजगीर लोकसभा से लगातार संसद के लिए चुनी जातीं रहीं। छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद को उनके मानव समाज के प्रति किए गए अतुलनीय योगदान के लिए याद किया जाता है। समाज की विभिन्न समस्याओं को उन्होंने अपने जीवन काल में स्वयं ही गहराई से अनुभव किया था इसलिए जब देश के सर्वोच्च पंचायत में कार्य करने का अवसर मिला तो सक्रियता से उस दिशा में आगे बढ़ कर कार्य करने लगी। उनकी सामाजिक सक्रियता और सेवा भावना की तत्कालीन प्रधानमंत्री भी कायल रहीं। संसद में छुआछूत समाप्ति,मजदूर हितैषी,किसान हितैषी प्रावधानों के निर्माण में मिनीमाता का विशेष योगदान रहा। पीड़ित समाज को मिनीमाता के रूप में समाज का एक अभिभावक मिल गया था। जनता उन्हें प्यार और सम्मान से ममतामयी मिनीमाता कहती थी। एक तरफ जहां राजनेता के रूप में संसद में उनकी भूमिका सर्वोत्कृष्ट रही तो दूसरी ओर गुरु माता के रुप में सम्पूर्ण समाज का मार्गदर्शन किया। सतनामी समाज के स्वाभिमान के लिए किए गए उनके कार्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने 1955 में मानवीय गरिमा की रक्षा के लिए संसद में अस्पृश्यता बिल को पास कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं। इसके अलावा बाल विवाह,गरीबी और अशिक्षा जैसे तमाम बुराइयों को दूर करने के लिए वे लगातार आवाज उठाती रहीं। उन्होंने 1967 में हसदो महानदी परियोजना, 1962 में भिलाई इस्पात संयंत्र स्थापना, 1967 में दहेज निवारण कानून, 1961 में छत्तीसगढ महाविद्यालय भिलाई, मिनीमाता बांगो बांध,बालको कोरबा, बैलाडीला बचेली किरंदूल के विस्तार आदि के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। 11 अगस्त 1972 को एक विमान दुर्घटना में असमय मिनीमाता की मृत्यु हो गई और लाखों करोड़ों जनता को यूँ ही बिलखते हुए छोड़कर चलीं गईं। छत्तीसगढ़ शासन प्रतिवर्ष उनकी याद में महिलाओं के उत्थान के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिला को "मिनीमाता सम्मान" प्रदान करता है। उनके सम्मान में छत्तीसगढ़ विधानसभा भवन का नाम मिनीमाता रखा गया है। आम जनता की सेवा के लिए दिन-रात सक्रियता एवं इमानदारी पूर्वक कार्य करने वाले राजनेताओं की जब भी बात होती है, ममतामयी मिनीमाता का नाम ससम्मान लिया जाता है।

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