
पीडित दम्पत्ति ने लगे आरोपो के जवाब में मुखर शब्दो में बताया किं-दूसरों पर क्षेत्र की सरकारी जमीन पर कब्जे का आरोप लगाने वाला ग्राम अतरमुड़ा सरपंच मोती खड़िया खुद भी एक बड़ा जमीन दलाल है। वह स्थानीय भूमाफियाओं परमानंद मिश्र और राजेंद्र पटेल से साझेदारी कर मेडिकल कालेज रोड में स्थित करीब दो एकड़ भूमि KH No.177,178 एतवार सिंह ग्राम अतरमुड़ा माझा पारा को 45 से 50 लाख रु में खरीदा। जबकि मोती खड़िया रोजाना करीब 12 से 15 लीटर दूध बेचने और खेती बाड़ी करने वाला साधारण किसान है। स्थानीय लोग बताते है कि उसकी इतनी आर्थिक क्षमता ही नही है कि वो इतने पैसे खर्च कर 2 एकड़ भूमि खरीद ले,और न ही उसका इतना रशुख है कि बिना उपयुक्त सरकारी अनुमति (कॉलोनाइजर नियमो)के अवैध प्लाटिंग कर उस भूमि के 12 से 15 छोटे-छोटे टुकड़े कर अलग-अलग लोगों को 3 सौ से 4 सौ रुपए फुट में बेच दे। दरअसल में यह पूरा खेल इन भूमाफ़ियायों ने मोती खड़िया वर्तमान सरपंच के कंधे का इस्तेमाल करते हुए खेला है।। यही नही मोती खड़िया के नाम पर क्षेत्र की कई और जमीनों की खरीद बिक्री की गई है जो जांच का विषय है।वही मेडिकल कालेज रोड में 2 एकड़ जमीन खरीद कर बिना शासकीय अनुमति के अवैध प्लाटिंग करने और बेनामी सम्पत्ति खरीद बिक्री के दौरान मोती सरपंच के बैंक खातों में लाखों रुपयों का बेनामी लेन देन किया गया है। उक्त भूखण्ड से माफियाओं के द्वारा नक्शे में हेर-फेर कर जबरन विस्थापित किए गए पीड़ित सरपंच मोती खड़िया सहित जमीन दलाल परमानंद मिश्रा और राजेंद्र पटेल के कृत्यों की जांच का मांग कर रहे है। पीड़ित शिकायतकर्ताओं के दस्तावेज का पहले नजर में देखकर कोई भी बता सकता है कि ईमानदारी से इस प्रकरण की जांच हुई तो जा सकती है ना केवल सरपंच की कुर्सी खतरे में आ सकती है बल्कि बेनामी लेन देन और आदिवासी जमीन की अवैध खरीद बिक्री को लेकर जमीन माफिया नापे जा सकते हैं।।