रायगढ़

सरकार बदली अधिकारी बदले पर टिमरलगा और गुडेली के ग्रामीणों के हालत जस के तस रहे..। अवैध खनन और नियमित ब्लास्टिंग से क्षेत्र में प्रदूषण और जानलेवा बीमारियां बढ़ी..।।

चुनाव जीतने के बाद विधायक और सांसद दोनों ने ग्रामीणों को उनके ही हाल पर छोड़ा।

सिंहघोष/रायगढ़:- पैसों की भूख इंसान को इस हद तक असंवेदनशील और गैरजिम्मेदार बना देती है कि वह अपने फायदे के लिए एक बड़े जनसमुदाय की जान खतरे में डाल देता है। इस पर अगर लालची इंसानो की एक पूरी समूह सिर्फ अपने फायदों के लिए काम करने लगे तो एक पूरे क्षेत्र के लिए यह समश्या बहुत विकराल रूप धारण कर लेती है।

कुछ ऐसा ही माहौल रायगढ़ जिले के टिमरलगा और गुड़ेली के पत्थर खदान क्षेत्र की है। बीते 2 दशकों से इस क्षेत्र के हालात ऐसे बने हुए हैं कि अवैध खनन से जुड़े तमाम खनिज माफियाओं सहित रसूखदार क्रेशर संचालकों के अलावा उन्हें संरक्षण देने वाले भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारियों और गैरजिम्मेदार जन-प्रतिनिधियों की वजह से क्षेत्र के स्थाई निवासियों में से एक बड़ी आबादी कैंसर,दमा ,स्किन एलर्जी,सिलिकोशिस और दमघोंटू रोग से ग्रसित हो चुकी है। क्षेत्र में क्रेशर डस्ट के प्रदूषण से होने वाली स्वास्थ्यगत समश्याओं का दायरा भी दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। परन्तु इसे विडंबना ही कहिए कि इस क्षेत्र के लोगों की समश्याओं से तक सत्ता धारी पार्टी के जनप्रतिनिधियों,खनिज और पर्यावरण विभाग को कोई मतलब नही है। स्थानीय लोगों की माने तो यहां दोनों प्रमुख पार्टियों के जनप्रतिनिधि चुनाव प्रचार के बाद दोबारा झांकने तक नही आए न ही उनसे लगातार निवेदन के बाद उन्हें समश्याओं से मुक्ति मिली। बीमारी और हादसों से असमय मौत उनका भाग्य बन चुका है। इधर क्षेत्र के प्रख्यात पर्यावरण विद एवं एक्टिविष्ट राजेश त्रिपाठी की माने तो जिले में लीगल ई-लीगल माइनिंग से जुड़ी
करीब 30 हजार भारी एवं बहुत भारी वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। जिनसे जिले की सड़कें तो टूट फुट रही ही हैं बल्कि सड़क हादसों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। ओवरलोड वाहनों के कारण उड़ने वाली धूल से भी जिले के लोगों के स्वास्थ्य में बुरा असर पड़ रहा है। टीमरल गुड़ेली और छाल बरौद माइनिंग से प्रतिदिन सड़कों पर एक टन जहरीला कचरा निकल रहा है।
परिवहन विभाग की लापरवाही से करीब 5 हजार कंडम वाहन भी खनिज परिवहन में लगे है।
यही नही माइनिंग के वजह से रायगढ़ जिले में 2 से 3 हजार पेड़ प्रतिवर्ष काटे जा रहे है।इनमें से 1 हजार पेड़ तो अकेले टिमरलगा,गुडेली और कटन्गपाली में काटे जाते है। इस क्षेत्र में उड़ने वाले क्रेशर डस्ट में विषाक्त रसायनिक तत्व सल्फर डाई ऑक्साइड और एनओएक्स नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड गैस की मात्रा 80 माईक्रोग्राम प्रति घनमीटर पाई जाती है। जो कि ठंड के दिनों में में 100 से ज्यादा हो जाती है। यह मात्रा वाकई में जानलेवा है। परन्तु उस तरफ जिम्मेदार विभाग से लेकर जनप्रतिनिधि कोई ध्यान नही देता है।

प्रभावित ग्रामीण बताते है कि टीमरलगा/गुड़ेली की अधिकांश खदानें और क्रेशर बस्तियों के आसपास और सड़कों से लगी हुई है है। इनमें ब्लास्टिंग कर पत्थर तोड़ने और क्रशिंग की प्रक्रिया से आसपास के घरों में दरारें पड़ना और धूल का आना दिन भर लगा रहता है । दरअसल जब ब्लास्टिग करके पत्थर तोड़ा जाता है तो लगभग दो किलोमीटर की एरिया में ब्लास्टिग से जमीन में कंपन होता है। इससे आसपास के मकानों में दरारे पड़े रही है। साथ ही तमाम हैंडपंप और बोर खराब हो रहे है।या तो इनसे उ पानी नहीं निकलता है या निकलता है तो वह इस्तेमाल करने लायक नही रहता।
दूसरी तरफ सांरगढ़ विधायक की तरफ से प्रवक्ता सूरज तिवारी का कहना है कि स्थानीय लोगों की समश्याओं की तरफ खनिज विभाग को ध्यान देना चाहिए लगता है वह सही ढंग से काम नही कर रहा है। अगर लोगों ने विधायक के सामने अपनी समःया रखी है तो समाधान किया जाएगा।।

इधर दो दिनों से लगातार प्रयास के बाद भी जिला खनिज अधिकारी या विभाग के अन्य जिम्मेदार कुछ कहने को तैयार नही है। अलबत्ता माननीय राज्य सभा सांसद महोदया के पत्र की दुहाई देते हुए कारवाही की बात कह रहे हैं।

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