कोरोना काल में भी जारी है एड्स को लेकर लोगों की काउंसिलिंग”वर्ल्ड एड्स डे” 1 दिसंबर को ब्लॉक स्तर पर होंगे एड्स जागरूकता कार्यक्रम..।

बीते 10 साल में जिले में मिले 369 एड्स के मरीज
सिंहघोष/रायगढ़ 30 नवंबर 2020.दुनियाभर में हर साल एचआईवी संक्रमण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है। हर साल विश्व एड्स दिवस की थीम अलग-अलग रखी जाती है। 2020 में विश्व एड्स दिवस की थीम “एचआईवी/एड्स महामारी समाप्त करना: लचीलापन और प्रभाव” रखी गई है। विश्व एड्स दिवस पहली बार 1988 में मनाया गया था। हर साल, दुनिया भर के संगठन और लोग एचआईवी महामारी की ओर ध्यान दिलाते हैं, एचआईवी जागरूकता और ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रयास करते हैं, एचआईवी के बारे में बात करते हैं, और बढ़ती प्रतिक्रिया को रोकने के लिए कदम उठाते हैं।
कोरोना संक्रमण के मद्देनजर इस बार जिले में व्यापक स्तर पर एड्स के प्रति के लिए जागरूकता कार्यक्रम नहीं चलाए जा रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग ब्लॉक स्तर पर छोटे-छोटे कार्यक्रम जरूर आयोजित कर रहा है। शहरी क्षेत्रों में जन-जागरूकता संबंधित पर्चे बांटे जाएंगे क्योंकि शहरी क्षेत्र में कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं मिली। इस कोरोना समय में भी 9,000 से अधिक लोगों की काउंसलिंग की जा चुकी है और इनमें से सभी का टेस्ट कराया गया है। एड्स के प्रति जागरूकता ही एकमात्र बचाव है क्योंकि एड्स की बीमारी का काफी देर बाद पता चलता है और मरीज भी एचआईवी टेस्ट के प्रति सजग नहीं रहते, इसलिए अन्य बीमारी का भ्रम बना रहता है। इस गंभीर समस्या से बचाव का सबसे पहला चरण एड्स के लक्षण पहचानना है। एड्स का पूरा नाम है ‘एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम’ होता है। सबसे पहले विश्व एड्स दिवस को वैश्विक स्तर पर मनाने की शुरूआत डब्ल्यूएचओ में एड्स की जागरुकता अभियान से जुड़े जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर नाम के दो व्यक्तियों ने अगस्त 1987 में की थी। शुरुआती दौर में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था।
तीन टेस्ट के बाद आता है परिणाम
इंटीग्रेटेड काउंसिलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (आइसीटीसी) रायगढ़ की काउंसलर कांति तिवारी ने बताया कि एचआइवी की संभावना वाले व्यक्ति को तीन तरह का टेस्ट कराना पड़ता है। इससे ही उसके पॉजिटिव या निगेटिव होने की पुष्टि होती है। अगर वह व्यक्ति संक्रमित पाया जाता है तो उसका नियमित तरीके से इलाज शुरु किया जाता है। संक्रमित व्यक्ति के बारे में किसी को नहीं बताया जाता है। इसको गुप्त रखा जाता है।
कोरोना काल में घबराएं नहीं लोग : नोडल अधिकारी डॉ. टोंडर
जिला एड्स नियंत्रण समिति के नोडल अधिकारी डॉ. टीके टोंडर ने बताया कि एड्स के प्रति लोगों को जागरुक किया जा रहा है। एड्स का बचाव ही इसका इलाज है। सरकार व विभाग इसके रोकथाम के लिए बेहद सजग है। सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर पुरुषों के लिए कंडोम की व्यवस्था भी की गई है। असुरक्षित यौन संबंध से बचना है और सजग रहना है। सभी जगहों पर इसकी जांच की जाती है। संक्रमित मरीजों को मुफ्त दवा दी जा रही है। डॉ. टोंडर बताते हैं कि कोरोना संक्रमण काल में भी एड्स नियंत्रण की पूरी टीम सक्रिय है। हम काउंसिलिंग के सदैव तैयार हैं लोगों को किसी भी प्रकार से हिचकना नहीं है।
बीते दस सालों में जिले में मिले 369 मरीज
जिला एड्स नियंत्रण समिति से मिले आंकड़ों के अनुसार बीते 10 सालों में जिले में 369 एड्स के मरीज मिले हैं। इनमें से 277 लोगों को ही लिंक कराया जा सका है यानी दवा चालू हो गई है। सबसे पहले आईसीटीसी में रजिस्ट्रेशन होता है फिर एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी (एआरटी ) लिंक बनता है। मेन एआरटी बनने के बाद उसे 6 महीने की दवा मिलती है, जिले से लिंक हो जाने का अर्थ है एंटी रेट्रोवायरस थेरेपी चालू हो गया है यानी मरीज को नियमित रूप से दवा मिलने लगी है। विभाग की माने तो टेस्ट में पॉजिटव मिले मरीजों को 100 फीसदी लिंक करना है लेकिन कुछ लोग गलत पता दे देते हैं और जानबूझकर लिंक नहीं कराते हैं ऐसे मरीज़ रह जाते हैं।
क्रम संख्या वर्ष एचआईवी काउंसिलिंग टेस्ट पॉजिटिव लिंक
1 2010-11 7456 6952 16 16
2 2011-12 9060 8569 14 11
3 2012-13 14080 13947 38 25
4 2013-14 25522 24465 34 21
5 2014-15 27941 27364 48 32
6 2015-16 12848 10856 25 22
7 2016-17 14570 14318 35 21
8 2017-18 16203 14809 57 38
9 2018-19 28883 28826 50 43
10 2019-20 27646 27646 52 48