ग्राम बड़े अतरमुड़ा की सरकारी जमीनों पर कब्जा रोका जाना जरूरी..। गांव का युवा सरपंच जमीन दलालों और बाहरी लोगों के अवैध अतिक्रमण से परेशान,राजश्च विभाग भी निष्क्रिय…।।

सिंघघोष/रायगढ़- शहर की सरकारी जमीनों पर अवैध अतिक्रमण का दौर अभी खत्म ही नही हुआ था कि शहर के आसपास के गांवों में भूमाफ़ियायों की गिद्ध नजर लग गई। यहां सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वाले लोगों में छोटे-बड़े कारोबारी,पूर्व जनप्रतिनिधि,जमीन माफिया,सरकारी कर्मचारी और कुछ बिल्डर भी शामिल है।अब तक जमीन विवादों और अवैध अतिक्रमणों को लेकर निगम क्षेत्र का वार्ड क्रमांक 26/27 ही सुर्खियों में रहा है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में इन वार्डों से लगा ग्राम पंचायत बड़े अतरमुडा की सरकारी जमीनों पर शहरी जमीन माफियों की गिद्ध नजर लगते ही इस ग्रमीण क्षेत्र में भी अवैध अतिक्रमण जोरो पर है। अच्छी सोंच वाले गांव के युवा सरपंच हीरा खड़िया का कहना है कि उनके ग्राम पंचायत में राजश्व विभाग की लापरवाही की वजह से रिक्त पड़ी शासकीय भूमि पर जबरदस्त अतिक्रमण हुआ है। इस सम्बंध में समय-समय पर वे लोग प्रशासन को चेताते भी रहे हैं परन्तु उनकी तरफ से कोई कारवाही नही होने पर भूमाफियाओं की गतिविधियां काफी बढ़ी हैं। अवैध अतिक्रमण का यह सिलसिला बीते 2 सालों में काफी तेजी से बढा है। आज हालात ऐसे हो गए है कि इस ग्राम पंचायत में न तो पँचायत भवन,न ही गौठान और न ही मांगलिक भवन बनाने के लिए सरकारी जमीन का छोटा सा टुकड़ा तक नही मिल रहा है। शहरी जमीन माफियाओं ने गांव की सरकारी नजूल भूमि तो दूर कोटवारी सेवा भूमि और गौचर जमीनों और छोटे झाड़ जंगल की भूमि को भी नही छोड़ा है। कुछ एक गुंडा प्रवृत्ति के जमीन दलालों ने तो पूरी टीम बनाकर ग्राम पँचायत बड़े अंतरमुड़ा के अंतर्गत प्राची विहार,बड़े अंतरमुड़ा और ग्राम माझापारा की करीब 12/13 से एकड़ कोटवारी सेवा भूमि की खरीद बिक्री और अवैध अतिक्रमण किया है। हम ग्रामीणों की शिकायत के बाद सेवा भूमि में कब्जे को लेकर कई बार नामजद सूचियां बनाई गई । परन्तु ठोस कारवाही के अभाव में परिणाम सिफर रहा। आज सेवा भूमि में कई सरकारी कर्मचारियों,कालोनाइजरों,व्यवसायि-यों के अलावा जमीन दलालों के पक्के निर्माण के सांथ बेजा कब्जा है।
ग्राम पंचायत की एक मात्र सरकारी जमीन खसरा क्रमांक -221/2 रकंबा करीब 4 एकड़ पर तेजी से हो रहा है अवैध कब्जा,इसे समय रहते रोका जाना जरूरी है– हीरा खड़िया(सरपंच)
सरकारी जमीन की अवैध खरीद बिक्री कर पैसे कमाने में लगे कुछ स्थानीय जमीन दलालों ने भूखण्ड 221/2 पर अवैध कब्जा कर के ग्राम पंचायत के एक मात्र 4 एकड़ रिक्त पड़ी भूमि को टुकड़ों में बाहरी लोगों को बेचना शुरू कर दिया है। हाल ही में दो तीन टुकड़े में प्लाट को बेचा गया है। जिस पर तेजी से अवैध निर्माण जारी है। वही बीते कोरोना काल के दौरान गांव की सरकारी भूमि पर तीन बड़े और पक्के निर्माण भी कराये गए हैं। सबसे बड़ी समश्या यह है कि सभी अवैध निर्माणों और बेजा कब्जों की जानकारी तत्कालीन हल्का पटवारी मनहरण देवनागन से लेकर वर्तमान पटवारी विनय त्रिपाठी और आर आई को होने के बावजूद इन्होंने कभी अपने विभाग के वरिष्ठ अधिकरियों को सूचना देकर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों के विरुद्ध कोई जिम्मेदारी नही निभाई। वही वर्तमान पटवारी के विनय त्रिपाठी के ऊपर ग्रामीण सीधे आरोप लगाते हुए कहने लगे कि इनके आने के बाद हमारे क्षेत्र की सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण काफी तेजी से बढा है।