
माननीय
श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी
प्रधानमंत्री
भारत सरकार।
विषय:- शहीद जवानों के परिवारों के लिए 5 करोड़ सहायता सम्मान राशि एवं राष्ट्रीय शहीद कोष स्थापित करने हेतु ।
मान्यवर यशस्वी प्रधानमंत्री जी एक महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहेंगे जो कि हमारे शहीद हुए जवानों की शहादत से जुड़ा हुआ है। पिछले 40-50 सालों में देश के अंदरूनी कानून व्यवस्था को बनाए रखने व सरहदों की चाक-चौबंद सुरक्षा करते वक्त हजारों की संख्या में सेना व अर्ध-सैनिक बलों के जवानों ने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर सुप्रीम शहादत दी । शहादत का सिलसिला अस्सी से नब्बे के दशक में पंजाब आतंकवाद या 1989 से कश्मीर में (प्रॉक्सी वार) छद्म युद्ध हो या फिर नक्सल प्रभावित राज्यों में शहीद हुए जवान चाहे वो ताड़मेटला-चिंतलनार जहां 76 सीआरपीएफ के जवानों ने शहादत दी या फिर पुलवामा के 40 शहीद जवान या अभी हाल ही में गलवान घाटी लद्दाख में सरहद पर शहीद हुए 20 सेना जवान। आजादी से लेकर आज तक 34 हजार जवानों ने देश के लिए सुप्रीम शहादतें दी। राज्य सरकारें बताए कि शहीद जवानों की बेवाएं, जवान बेटियां व बुढ़े मां बाप किस हालत में जीवन यापन कर रहे हैं , एक जिम्मेदारी निश्चित किए जाने की सख्त आवश्यकता है।
महोदय जी आपका ध्यान शहीद परिवारों को मिलने वाली सुविधाओं व सम्मान राशि की ओर दिलाना चाहेंगे। अभी हाल ही में शहीद हुए जब तेलंगाना सरकार ने शहीद कर्नल के परिवार को 5 करोड़ रुपए सहायता राशी, रिहायशी प्लाट एवं ग्रुप “ए” नौकरी सम्मान के तौर पर दिए जाने की घोषणा की गई । हम तेलंगाना सरकार के फैसले का सम्मान करते हैं। लेकिन दुसरे राज्यों से सम्मान राशि की तुलना अगर करें तो कहीं पांच लाख कहीं दस, बीस ओर पचास लाख । दो राज्य दिल्ली व मध्यप्रदेश जहां ये सहायता राशि एक करोड़ रुपए की गई जोकि बड़ी बात है। महोदय जी पीड़ा होती है जब शहादत सम्मान राशि वितरित करते वक्त रैंक यानि पदों को तवज्जो दी जाती है इस तरहां के भेदभाव का उदाहरण पिछले दिनों हंडवाडा काश्मीर में शहीद हुए राष्ट्रीय राइफल्स कर्नल आशुतोष परिवार को उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा पचास लाख दुसरी तरफ उसी एनकाउंटर में शहीद नायक राजेश कुमार को पंजाब सरकार द्वारा मात्र दस लाख ओर हाल ही में गलवान घाटी लद्दाख में शहीद हुए बीस सेना के जवानों के साथ इस तरह का भेदभाव राज्यों में देखने में आया।
प्रधानमंत्री जी, हालांकि शहादत का कोई मोल नहीं होता ओर ना ही इसे तराजू में तौला जा सकता लेकिन जब केंद्रीय सरकार या राज्य सरकारें एक खिलाड़ी को देश के लिए पदक जीतने के एवज में एक से तीन से पांच करोड़ रुपए विजेता के तौर पर राशि देते हैं जबकि दूसरे तरफ इस तरह की सम्मान राशि उन वीर शहीदों के परिजनों को नहीं मिल पाती जिन्होंने देश के लिए जान कुर्बान कर दिया। अन्य राज्य सरकारें भी देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले शहीद बांकुरों के परिवारों को तेलंगाना सरकार की तर्ज पर 5 करोड़ रुपए की सहायता सम्मान राशि, आवास एवं नौकरी दी जाए ओर शहादत में भेदभाव ना बरता जाए। महोदय, सेना एवं अर्धसेना शहीद परिवारों को दी जाने वाली सहुिलयतें, सुविधाएं, सम्मान राशि पर एकमत निति केंद्रीय सरकार बनाएं एवं राष्ट्रीय शहीद सुरक्षा कोष की स्थापना की जाए एवं राज्य सरकारों को इस संबंध में दिशा निर्देश जारी कि जाएं । इससे बड़ी सच्ची श्रद्धांजली उन वीर बांकुरों के लिए भला ओर क्या हो सकती है जिन्होंने देश के लिए जान की बाजी लगा दी। जयहिंद सर
रणबीर सिंह
महासचिव
कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन
कॉन्टेक्ट नं 9968981467