रायगढ़

एमसीएच में तैयार हो रहा पीडियाट्रिक आईसीयूसंभावित तीसरी लहर में बच्चों व गर्भवतियों को हो सकता है ज्यादा खतराबच्चों को संक्रमण से पालक बचा सकते हैं :- डॉ.लक्ष्मणेश्वर सोनी

सिंहघोष/रायगढ़- कोरोना की संभावित तीसरी लहर के लिए डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल (मदर एंड चाइल्ड हॉस्पिटल) को तैयार किया जा रहा है। इसमें नवजात से 14 साल के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को ज्यादा खतरा हो सकता है ऐसी सम्भावना जताई जा रही है। इसके मद्देनजर कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में सभी जरूरी संसाधन जुटाए जा रहे हैं। कोविड के सामान्य या हल्के गंभीर मरीजों को अब मेडिकल कॉलेज कोविड यूनिट में रखा जाएगा। इसके लिए एमसीएच में विशेषज्ञ डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाएगी।

बीते सप्ताह और दो दिन पहले इस संदर्भ में राज्य स्तरीय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उच्चाधिकारियों ने तैयारियों का जायजा लिया और आवश्यक निर्देश दिए। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार संक्रमण की दूसरी लहर में इंफेक्शन बहुत ज्यादा हुआ है। पहले और दूसरे दौर के संक्रमण में बच्चों के संक्रमित होने की दर एक ही जैसी थी तो यह नहीं कहा जा सकता कि कोरोना संक्रमण की दर दूसरे दौर में बच्चों में ज्यादा हुई क्योंकि मामले भले ही बढ़े हों पर दर एक जैसी ही थी। इसलिए संभावित कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के लिए युद्धस्तर पर तैयारियां की जा रही है।
इन तैयारियों के पीछे स्वास्थ्य महकमा यह भी कहता है कि 18 साल से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है पर जिन्हें अब तक वैक्सीन लगाने के निर्देश नहीं मिले हैं उनमें बच्चे और गर्भवती महिलाएं हैं।
एमसीएच के प्रभारी और कोविड के नोडल अधिकारी डॉ. वेद प्रकाश घिल्ले बताते हैं, “कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर की तैयारियों को लेकर राज्य स्वास्थ्य विभाग से निर्देश मिले हैं जिसके अनुसार मानव संसाधन, मशीन, बेड और दवाइयों का इंतजाम किया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज के शिशु और स्त्री रोग विभाग से तैयारियों के संदर्भ में जानकारी मांगी गई है। दोनों विभाग के डॉक्टरों ने पूरा प्लान बनाकर प्रबंधन को दिया है। वर्तमान में एमसीएच में नवजात शिशु के पांच बेड और गायनिक वार्ड के लिए अभी 25 बेड हैं। संभावित तीसरी लहर की आशंकाओं को देखते हुए इसे बढ़ाकर 50 बेड की प्लानिंग की गई है। इसके अलावा कुछ जरूरी उपकरण भी मांगे गए हैं। हॉस्पिटल में डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को भी बढ़ाने के लिए कहा गया है”।

बच्चों के लिए 52 बेड और 38 डॉक्टर की आवश्यकता
मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मणेश्वर सोनी ने बताया, “नियोनटाल इन्टेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) यानी नवजात बच्चों के लिए गहन चिकित्सा इकाई के 12 बेड, पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) यानी छोटे बच्चों के लिए 10 बेड और 30 बेड आक्सीजनयुक्त कम गंभीर बच्चों के लिए बनाने के लिए कहा गया है। यहां शून्य से लेकर 14 साल के तक बच्चों का इलाज किया जाएगा। गंभीर बच्चों के साथ उनकी माताओं के रहने की यहां व्यवस्था की जाएगी। बीमार मां के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी। बच्चों के लिए तैयार हो रहे इस 52 बेड की इकाई में 8 बच्चों के डॉक्टर, 30 मेडिकल ऑफिसर (जेआर), 50 स्टाफ नर्स की आवश्यकता और कार्य संचालन के जरूरत के अनुसार वर्ग-3 और वर्ग-4 के कर्मियों के टीम की मांग की है”।

पालक रहें बेहद सतर्क :डॉ. लक्ष्मणेश्वर सोनी
डॉ. लक्ष्मणेश्वर सोनी ने कहा “पालकों को अपना पहले ख्याल रखना होगा। बच्चों के लिए पालक ही संक्रमण का स्त्रोत है क्योंकि स्कूल और खेल के मैदान के बंद होने से बच्चे घर में ही हैं। जो आने-जाने वाले हैं वह पालक ही है। उनके साथ ही संक्रमण आता है। पालक सैनेटाइजर, हैंडवाश, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का इस्तेमाल करें। देखने में आया है कि बच्चों में साइटोकाइन स्टॉर्म यानी बड़ी बीमारी उनकी इम्युनिटी (इम्युनो मॉडुलेशन) की वजह से बच जा रहे हैं। यह बच्चों को ज्यादा प्रभावित नहीं कर रही है। अभी यही उम्मीद करेंगे कि आगे भी स्थिति ऐसी बनी रहे”।
सेकेंड वेव के बाद ऐसा देखा गया है कि मां-पिता संक्रमित हो रहे हैं पर बच्चों का टेस्ट नहीं करवा रहे हैं। ऐसे बच्चों में बुखार आता है जो एक दो दिन में ठीक हो जाता है। इन बच्चों में वायरस तो अंदर है और वह प्रतिक्रिया कर रहा है जिसे हम मल्टी सिस्टम इनफैंट्री सिंड्रोम इन चाइल्ड (एमआईएससी) कहते हैं ऐसे केसेस के साथ बच्चे राज्य में देखे जा रहे हैं पर जिले में अभी तक एक भी ऐसा केस नहीं मिला है। ये ऐसे बच्चे हैं जो कोरोना टेस्ट से छूट गए थे या इनका जांच नहीं हो पाई थी लेकिन इनमें कोरोना वायरस था। बच्चों को अभी भी बचाया जा सकता है क्योंकि वह घर में ही है।“

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