रायगढ़

तहसील आफिस में दो पक्षों हुए विवाद के बाद का ताजा अपडेट:-बार रूम में घण्टो चली अधिवक्ताओं की मीटिंग खत्म,आगे की रणनीति तय..।।

सिंहघोष/रायगढ़-12.02.22-बीते कल तहसील कार्यालय में घटी विवाद की घटना को लेकर आज जिला सत्र न्यायालय भवन के बार रूम में जिले भर से आए अधिवक्ताओं की घंटो चली बैठक शाम 4 बजे खत्म हो गई है। जिंसमे जिले भर से आये अधिवक्ताओ ने भाग लिया। बैठक के बाद संघर्ष समिति का गठन किया गया है। समिति की तरफ से मीडिया को ब्रीफ देने तथा सँघर्ष को लेकर आगे की रणनीति तय करने के लिए तीन वरिष्ठ सदस्यों को अधिकार दिया गया।समिति के लिए चुने गए तीन जिम्मेदार सदस्यों में वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष कुमार नन्दे,अशोक पटनायक और विजय सराफ के नाम शामिल है।

संघर्ष समिति के गठन उपरांत वरिष्ठ सदस्यों ने बार रूम में एक प्रेस वार्ता आययोजित की। जिंसमे उन्होने बैठक में हुए निर्णयों और संघर्ष को लेकर उनकी आगे की रणनीति के सम्बंध में विस्तार से जानकारी दी। मीडिया से मुखातिब होते हुए अधिवक्ता सुभाष कुमार नन्दे ने कहा कि तहसील कार्यालय में चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ आगे लड़ाई और तेज की जाएगी। विवाद को लेकर श्री नन्दे ने कहा कि 10 फरवरी के दिन किसी मामले की पैरवी के लिए अधिवक्ता जितेंद्र शर्मा तहसीलदार रायगढ़ के डेस्क में गए थे वहीं पैरवी के दौरान तहसीलदार सुनील अग्रवाल ने न्यायालय की गरिमा के विपरीत व्यवहार करते हुए अपने मातहत कर्मियों को आदेश देकर श्री शर्मा को सरे आम बेइज्जत किया। यह पहली बार नही था,पहले भी श्री अग्रवाल अन्य अधिवक्ताओं से इस तरह का दुर्व्यवहार कर चुके है।

यहां तक कि 10 फरवरी के दिन तहसीलदार के आदेश उनके लिपिक और चपरासी ने अधिवक्ता से हाथापाई की गई थी। दूसरे दिन जब हम इस घटना के विरोध में वरिष्ठ अधिकारियों से बात करने वहां गये थे, तब उनके द्वारा इंटेसनली वाद-विवाद कर मारपीट का एक एडिटेड वीडियो बना लिया गया। जिसमें उनकी तरफ से की गई गाली गलौज और हाथापाई को नही दिखाया गया। पूरे मामले मे दुःखद यह रहा कि प्रशासन के दबाव में पुलिस ने एक-पक्षीय कार्यवाही की है। जबकि माननीय सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश है कि किसी अधिवक्ता के विरुद्ध सीधी एफ आई आर नही की जाएगी। हमने वीडियो बनाकर धमकी और गाली गलौज करने वाले लिपिक गोंविद प्रधान के विरुद्ध शिकायत की तो उस पर कोई कार्यवाही नही की गई। इसके लिए हमने यह तय किया है कि जब तक विवाद का न्याय पूर्ण समाधान नही निकल जाता तब तक जिले भर के राजस्व/तहसील न्यायालयों का सम्पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा। कोई भी अधिवक्ता राजस्व न्यायालयों में पैरवी के लिए नही जाएगा। दूसरी बात यह है कि कौन नही जानता है कि तहसील कार्यालय में पटवारी आर आई से लेकर वहां सालों से एक टेबल पर जमे लिपिक बिना रिश्वत के कोई काम नही करते हैं। उनके द्वारा सेवा के नाम पर बतौर घुस ली गई रकम को किन-किन अधिकारियों में बाटा जाता है।

दरअसल में अधिवक्ता व तहसील कर्मियों के बीच हुए विवाद की मूल वजह तहसील कार्यालय में चल रहा भ्रष्टाचार है। क्योंकि इस कार्यालय के बाबू तहसीलदार के इशारे पर मोटी रकम लेते है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब कोई अधिवक्ता भी इस कार्यालय जाता है तो उसे भी दस्तावेज जांच करने के पहले बाबू को 200 रुपए देने पड़ते है नही देने की स्थिति में काम ज्यादा होने का बहाना तैयार रहता है। भ्रष्टाचार के इन मामलों में वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका हमेशा सन्दिग्ध रहती है। कई बार हम अधिवक्ताओं ने बाबुओं के इस आचरण की शिकायत उनके अधिकारियों से की है,मगर उनके द्वारा कुछ नही किया जाता है। हमारी सबसे महत्वपूर्ण मांग यह है कि सबसे पहले विवादित तहसीलदार सुनील अग्रवाल जिनके विरुद्ध भ्रष्टाचार की कई शिकायतें है और सालों से जमे बाबुओं चपरासियों को जिले से बाहर अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए। वही वकीलों को धमकाने वाले तहसील कर्मी गोंविद प्रधान जिनके खिलाफ हमारे अलावा पुर्व में भी थाने में एक गम्भीर मामले की लिखित शिकायत दी गई है साथ ही जिला सत्र न्ययालय में उसके दो-तीन अन्य प्रकरण भी लंबित है,उनमें तत्काल निर्णय लिया जाए।

प्रेस वार्ता के दौरान श्री नन्दे ने यह भी बताया कि हमारे प्रतिनिधि मंडल को अपर कलेक्टर करुवंशी ने 5 बजे बुलाया है। हम उनसे चर्चा करने के बाद अपनी इन मांगों का लिखित ज्ञापन उन्हें सौपेंगे। इसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि जिले भर के अधिवक्ताओं के विरुद्ध कहीं भी दबाव या अन्याय पूर्ण आचरण पेश किया गया तो उसके खिलाफ संगठित होकर संघर्ष करेंगे।

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