उमस में न हों बेबस और लू से बचें…। पीलिया,टायफायड जैसी बीमारियों के होने की प्रबल संभावना…। शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें : डॉ नीरज मिश्रा

सिंहघोष/रायगढ़ .10.06.22.
जिले में महीने भर से तापमान 40 से 46 डिग्री के आसपास चल रहा है| मौसम विभाग की मानें तो अगले तीन दिन तक उमस में भी बढ़ोतरी की संभावना है| अगले मंगलवार से मौसम बदलने की संभावना है। मॉनसूनल से पहले की बारिश के कारण जिन दिनों मौसम ठंडा रहता है, इस बार लू चलने की स्थिति है। ऐसे में लोगों को धूप में निकलने से पहले उससे बचने के पूरे जतन करने होंगे।
अशर्फी देवी चिकित्सालय के प्रमुख डॉ रूपेंद्र पटेल (एमडी मेडिसिन) कहते हैं :”बारिश ठीक से न हो और धूप तेज पड़े तो माहौल में उमस काफी बढ़ जाती है। ऐसे में सिरदर्द, घबराहट, बेचैनी, उलटी-दस्त, गले में खराबी, जुकाम और बुखार की चपेट में लोग तेजी से आ जाते हैं। उमस के दिनों में कई बार लोग शरीर में पानी की कमी की वजह से बेहोश हो जाते हैं। बेहोशी की मुख्य वजह दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन का कम होना है। पसीना ज्यादा आने, बीपी लो हो जाने, शरीर में शुगर लेवल कम हो जाने और नब्ज या धड़कन कम हो जाने की शिकायतें भी बेहोशी या चक्कर खाकर गिर पड़ने के कारण हैं।”
उमस ज्यादा बढ़ने से घुटन के कारण बेहोशी के मामले ज्यादा होते हैं। घुटन से बीपी लो हो जाता है। पल्स तेज हो जाती है। शरीर में नमक, पानी और पोटैशियम आदि इलेक्ट्रॉलाइट्स की कमी हो जाती है। दिल और दिमाग पर भी असर पड़ जाता है। इससे भी बेहोशी आती है, क्योंकि हमारा इम्यून सिस्टम फौरन सक्रिय होकर शरीर की रक्षा में लग जाता है।
मौसम के बारे में प्रोफेसर रितेश शर्मा बताते हैं: ” धूप तेज़ है और बीच-बीच में बादल के कारण तापमान में कमी ज्यादा तो नहीं आएगी लेकिन बादलों के कारण उमस बढ़ जाएगी, ऐसे में लोगों को उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ सकता है, ऐसे में गर्मी से बचने के लिए भरपूर पानी, शीतल पेय और फलों के रस का सेवन करते रहें, ताकि आपको किसी प्रकार की दिक्कत या लू का सामना नहीं करना पड़े। फिलहाल प्रदेश में मौसम शुष्क है। चार दिन बाद जिले में बारिश के आसार हैं।”
बेहोशी के अलावा भी हैं तकलीफें
जिला आयुर्वेदिक अस्पताल के आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ नीरज मिश्रा के अनुसार: “उत्तरायण शब्द उत्तर एवं अयन, इन दो पदों से बना है। इसका भाव है- सूर्य की उत्तर की ओर गति। चैत्र से भाद्रपद उत्तरायण में आते हैं। यह आदान काल भी कहलाता है, क्योंकि इस समय प्रचण्ड सूर्य रस (जलीय तत्त्व) का आदान (ग्रहण) करता है। सूर्य की किरणें प्रखर और हवाएँ तीव्र, गर्म और रूक्ष होती हैं, ये पृथ्वी के जलीय अंश को सोख लेती हैं। इसका प्रभाव सभी औषधियों के साथ-साथ मनुष्य के शरीर पर भी पड़ता है। इससे शारीरिक शक्ति में कमी होने लगती है और व्यक्ति दुर्बलता का अनुभव करता है। पानी में इनफेक्शन की वजह से टायफाइड, पीलिया, दस्त के मरीज बढ़ जाते हैं। फल सब्जियों में भी कीड़ा लग जाता है, जिससे पेट खराब होने का डर रहता है। कई लोगों को सफाई न होने की वजह से गन्ने के रस से भी इनफेक्शन हो सकता है। माहौल में उमस बढ़ने की वजह से थकावट जल्दी आती है।”
इन्हें हो सकती है ज्यादा परेशानी
- जो पहले से ही हार्ट, किडनी या लिवर के रोगी हों, उन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। उमस में उनकी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। हार्ट और किडनी के कुछ मरीजों को ज्यादा पानी पीने से मना किया जाता है, ऐसे में वह डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- शुगर, हाई बीपी व अनीमिया के मरीजों के अलावा जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर है।
- मोटापा, सांस या दमा की तकलीफ वालों को भी इस मौसम से तकलीफ हो सकती है।
ऐसे तमाम मरीजों को बतौर सावधानी हमेशा साफ-सुथरा रहना चाहिए। खुली हवा में रहना उनके लिए लाभकारी है। शरीर में नमक और पानी की कमी न होने पाए, इसका ध्यान रखना चाहिए।
लू और गर्मी से बचने के उपाय
-भरपूर मात्रा में पानी पीएं।
-शीतल पेय प्रदार्थ और फलों के रस का सेवन करें।
-पूरी आस्तीन के कपड़े पहनकर बाहर निकलें।
-दिन में कहीं जाना है तो सिर और मुहं को ढ़ककर निकलें।
-धूप में से आने के बाद सीधे एसी और कूलर में नहीं बैठे, थोड़ी देर रूकने के बाद ही ठंडाई वाले कक्ष में जाएं।
-हरी सब्जियों और ताजा भोजन करें।
-फिर भी कोई समस्या हो तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं