दो दिन के अंदर कोई नतीजा नहीं निकला तो रायगढ़ इस्पात उद्योग संघ जिंदल गेट में करेगा आर्थिक नाकेबंदी

पूर्व के समझौते के अनुरूप की जा रही विद्युत आपूर्ति:- जेएसपीएल
पूंजीपथरा इंडस्ट्रियल पार्क के 42 प्लांट की टूटी कमर,सभी बंद होने के कगार पर,50 दिनों से बंद है उद्योगों की बिजली…।।
सिंहघोष/रायगढ़-25.04.22- पूंजीपथरा इंडस्ट्रियल पार्क के 42 प्लांट बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं ऐसे में 10,000 प्लांट कर्मियों की नौकरी भी दांव पर लग गई है। इन प्लांटों को बिजली आपूर्ति नहीं की जा रही है। रायगढ़ इस्पात संघ ने जेएसपीएल को चेतावनी देते हुए कहा कि अब वे आर पार की लड़ाई को तैयार है। संघ जिंदल प्लांट के सामने धरना प्रदर्शन और आर्थिक नाकेबंदी करने वाले हैं।
जेएसपीएल द्वारा स्थापित पूंजीपथरा इंडस्ट्रियल पार्क के उद्योग इन दिनों पावर कट की समस्या से जूझ रहे हैं । जिंदल ने 50 दिनों से इन उद्योगों की बिजली काट दी है। रायगढ़ इस्पात उद्योग संघ के सदस्यों ने आज पत्र वार्ता कर बताया कि पूंजीपथरा इंडस्ट्रियल पार्क में हर साल पावर कट की समस्या उत्पन्न की जाती है। जब जब बिजली दरों में इजाफा होता है तब तब जिंदल बिजली कट कर उद्योगों का उत्पादन ठप करने की कोशिश करता है। जिंदल अपने मनमाने दर पर बिजली की सप्लाई देना चाहता है। जबकि बिजली की दर नियामक आयोग तय करता है बावजूद इसके जिंदल अपनी मनमानी वर्षों से कर रहा है। सीएम से लेकर के कलेक्टर और उद्योग सचिव तक ने जिंदल प्रबंधन को तत्काल बिजली सप्लाई चालू करने और अपना बिजली दर नियामक आयोग में पेश करने का निर्देश दिया है, बावजूद इसके जिंदल प्रबंधन अपनी मनमानी पर उतारू है। 72 घंटे में 8 घंटे की बिजली प्लांटों को दी जा रही है ऐसे में उद्योग पूरी तरह से ठप हो गए हैं, यदि ऐसा ही कुछ दिन और चलता रहा तो इंडस्ट्रियल पार्क के सारे उद्योग बंद हो जाएंगे। इससे यहां काम करने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 10000 लोग बेरोजगार हो जाएंगे। वही उद्योगों के चलने से जीएसटी के रूप में जो करोड़ों का रेवेन्यू सरकार को मिलता है वह भी नहीं मिलेगा। सरकार के नुकसान के साथ उद्योगपतियों का नुकसान और काम करने वाले कर्मचारी का भी नुकसान होगा। इस साल 50 दिनों के पावर कट से उधोगपतियों की कमर टूट गई है। जिंदल की मनमानी से संघ ने आर पार की लड़ाई शुरू करने का मन बना लिया है। जिंदल को 28 अप्रैल तक की समय सीमा दी गई है। इसके बाद हमारा प्लांट नहीं चलेगा तो वे जिंदल का भी प्लांट नहीं चलने देंगे। संघ ने कहा कि वे जिंदल प्लांट के सामने धरना प्रदर्शन और आर्थिक नाकेबंदी करेंगे जिसके लिए जिंदल प्रबंधन जिम्मेदार होगा
वहीं इस मामले में जेएसपीएल प्रबंधन का कहना है कि औद्योगिक पार्क में पूर्व के समझौते के अनुरूप विद्युत आपूर्ति की जा रही है। विद्युत की दर का निर्धारण प्रदेश का विद्युत नियामक आयोग करता है। अभी तक दर का निर्धारण नहीं हो सका है, इसलिए आपसी समझौते में तय दर पर इंडस्ट्रीयल पार्क के उद्योगों को आपूर्ति करनी पड़ी। इन सब स्थितियों की वजह से लम्बे समय से रेगुलेटरी कमिशन, फिर दिल्ली स्थित अपटेल अथॉरिटी, प्रदेश के उच्च न्यायालय तथा सुप्रीम कोर्ट में वाद-विवाद चल रहा है। हाल ही में करीब दो महीने से अपटेल अथॉरिटी में चल रही सुनवाई में औद्योगिक पार्क के रायगढ़ इस्पात औद्योगिक संघ ( आरआईयूएस) ने यह लिखित में दिया है कि उन्हें समझौते की दर पर विद्युत लेना मान्य नहीं है। आरआईयूएस के इस इनकार और कोयले की अनुपलब्धता व लगातार बढ़ती कीमतों के कारण विद्युत आपूर्ति असंभव हो गई है। आरआईयूएस बढ़ी हुई दरों पर विद्युत आपूर्ति के लिए राज़ी नहीं है, फिर भी कंपनी रोटेशन प्रणाली के तहत सभी को विद्युत आपूर्ति का प्रयास कर रही है। कंपनी को इसका नुक़सान भी उठाना पड़ रहा है। इस समस्या के त्वरित समाधान के लिए जेएसपीएल ने प्रदेश के विद्युत रेगुलेटरी कमिशन में सभी न्यायिक प्रक्रियाओं के समाप्त होने तक और अंतिम विद्युत दर तय होने तक अंतरिम दर तय करने के लिए आवेदन भी दे दिया है। आयोग द्वारा तय दर और दिशानिर्देशों के पालन के लिए कंपनी प्रतिबद्ध है। जिंदल स्टील एन्ड पॉवर लिमिटेड अपने विद्युत वितरण लाइसेन्स के दायित्वों को पूर्ण रूप से समझता है और उसे पूर्ण करने के लिए वचनबद्ध भी है। कंपनी छोटे उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए हमेशा से प्रयासरत रही है और भविष्य में भी यह क्रम जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।