अनाथ, विधवा, निराश्रित महिलाओं का सहारा बना सखी वन स्टाप सेंटर…। 1,345 प्रकरणों में से 1,308 को हो चुका निदान…।।

एक ही छत के नीचे हर समय पीड़ितों को मिलती है सहायता : डीपीओ जाटवर
सिंहघोष/रायगढ़.13.08.22. सुमन (बदला हुआ नाम) और उसकी दो सहेलियों को परिचित व्यक्ति द्वारा घरेलू कार्य दिलाने का आश्वासन देकर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान ले जाकर बेच दिया गया। सुमन उनके चंगुल से जैसे-तैसे बचकर सखी सेंटर रायगढ़ आई। उसने अपने और सहेलियां के साथ हुए घटनाक्रम को बताया जिस पर तत्काल संबंधित थाने में सूचना देकर हरियाणा वन स्टॉप सेंटर के सहयोग से पीड़िताओं को वापस लाया गया। ऐसी कई महिलाओं, बच्चों और बेसहाराओं का मददगार है सखी सेंटर।
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी टिकवेंद्र जाटवर बताते हैं: “सखी वन स्टाप सेंटर अनाथ, विधवा, निराश्रित महिलाओं को सहारा प्रदान करता है। जिलास्तर पर पीड़िताओं को लाभ दिलाने के लिए सरकार द्वारा सखी वन स्टॉप सेंटर खोले गए हैं। जिनकी देखरेख, संचालन महिला और बाल विकास विभाग की मदद से की जाती है। वन स्टॉप सेंटर योजना भारत सरकार ने एक अप्रैल 2015 को हिंसा प्रभावित महिलाओं का समर्थन करने के लिए लागू की थी। यह योजना मूल रूप से सखी के नाम से जानी जाती है। रायगढ़ में इसे 10 मार्च 2017 को शुरू किया गया था। महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एक ही छत के नीचे दिवस 24*7 कार्य करते हुये विभिन्न प्रकार की सहायता, परामर्श सहायता ,पुलिस सहायता, चिकित्सा सहायता, विधिक सहायता, व अल्पकालीन आश्रय उपलब्ध करवाई जाती है।“
महिला संरक्षण अधिकारी चैताली राय कहती हैं : “समाज में आज भी कई ऐसी बालिकाएं और महिलाएं हैं, जो किसी न किसी रूप में अपराध का शिकार बनती हैं। अगर उन्हें किसी मदद की जरूरत पड़ती है तो उनकी मदद करने वाला कोई नहीं मिलता। ऐसी महिलाओं, युवतियों और बालिकाओं को ‘वन स्टॉप सेंटर’ के माध्यम से मदद मुहैया कराई जाएगी। जिसमें वह जाकर अपने साथ हुई घटना का जिक्र कर सकेंगी और इसी सेंटर में पीड़िताओं को हर तरह की सलाह दी जाती है।”
महिला एवं बाल विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार साल 2017 से वर्तमान तक सखी वन स्टॉप सेंटर रायगढ़ महिला एवं बाल विकास में कुल 1,345 प्रकरण प्राप्त हो चुके है जिसमें 1,308 प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है और 37 प्रकरण लंबति हैं। जिसमें घरेलू हिंसा के 585 प्रकरण प्राप्त हुए हैं जिसमें से 558 प्रकरणों का निराकरण हो चुका है व इनमें से 47 प्रकरणों में महिला संरक्षण अधिकारी द्वारा घरेलू हिंसा फाईल किया जा चुका है व 25 प्रकरणो में जिला विधिक प्राधिकरण के माध्यम से भरण पोषण प्रदान करने में सहायता उपलब्घ कराई गयी है। 486 प्रकरणों में आपसी सहमति से दोनों पक्षों का निराकरण किया गया है। इसी तरह भटकती अवस्था के वर्तमान तक 110 प्रकरण प्राप्त हुए है जिसमें सभी का निराकरण हो चुका है व कई पीडि़ताओ को उनके गृह ग्राम की पतासाजी कर पंजाब, महराष्ट्र, झारखंड, आंध्र प्रदेश, भेजा जा चुका है। इसी तहर 410 महिलाओं और 114 बच्चों को आश्रय सुविधा उपलब्ध कराया गया जिसमें से स्थाई आश्रय हेतु 13 प्रकरणों को नारी निकेतन व 3 प्रकरणों को स्वधार गृह भेजा गया। सखी सेंटर रायगढ़ द्वारा 109 पीड़िताओं को पुलिस सहायता उपलब्ध कराया गया है जिसमें से 21 प्रकरणों में एफ.आई.आर दर्ज कराने में सहायता उपलब्ध कराया गया।
समय पर मिल रहा न्याय
पुष्पा (बदला हुआ नाम) का 4 साल से एक युवक के साथ प्रेम संबध था। युवक द्वारा उसको शादी का झांसा देकर शारीरिक शोषण किया गया। पुष्पा ने विवाह करने को कहा तो युवक ने विवाह करने से इंकार कर दिया और पीड़िता के घर आकर उसके परिजनों से गाली गलौज करने लगा। तत्पश्चात उस युवक के खिलाफ कानूनी कार्यवाही हेतु वह थाना गई थी, परंतु प्राथमिकी दर्ज नही होने पर वह सखी सेंटर रायगढ़ की सहायता से थाने जाकर युवक के खिलाफ धारा 376 दर्ज करते हुए अपराध पंजीबद्ध किया गया।
इसी तरह महिला हेल्प लाईन (181) की सूचना के आधार पर 112 वाहन द्वारा संज्ञा (बदला हुआ नाम) को आश्रय हेतु सखी सेंटर रायगढ़ लाया गया। वह मराठी भाषा में बात कर रही थी, जिस कारण से मराठी भाषा के जानकार व्यक्ति के सहयोग से समस्त जानकारी ली गई व संबंधित थाने से संपर्क कर परिजनों का पता किया गया। परिजनों ने बताया कि वह पिछले 6 वर्षो से लापता थी। काफी प्रयासों के बाद पीड़िता के परिजनों की जानकारी मिली व परिजन को सखी सेंटर रायगढ़ से समझाईश देते हुये सुपुर्द किया गया।
हर स्तर पर हो रही है मदद
उमा (बदला हुआ नाम) को थाने से आश्रय हेतु सखी सेंटर रायगढ़ लाया गया, उसके माता का देहांत हो चुका था व पिता शराब का सेवन कर उससे मारपीट करता था। इससे आजिज आकर वह काम की तलाश में रायगढ़ आई। फिर एक अज्ञात महिला ने उसे 4 व्यक्तियों के हाथों बेच दिया। इन 4 व्यक्तियों द्वारा पीड़िता से शरीरिक संबंध बनाया जाता था। वे उसे हरियाणा ले जा रहे थे तभी मौका देखकर वह रास्ते में रायपुर से बच निकली। फिर पुलिस की सहायता से उमा को सीडब्लूसी लाया गया। स्वास्थ्य परीक्षण में वह गर्भवती मिली। सखी सेंटर की सहायता से आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। महिला संरक्षण अधिकारी द्वारा पीड़िता को क्षतिपूर्ति राशि दिलाने की प्रक्रिया की शुरूआत की गई। उसके रहने की व्यवस्था न होने पर नारी निकेतन भेजा गया एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायगढ़ द्वारा क्षतिपूर्ति राशि दिलवाया गया।