नीली बत्ती की गाड़ी पर केक काटा! छत्तीसगढ़ में डीएसपी की पत्नी का वीडियो वायरल, नियम उल्लंघन पर मचा बवाल

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में एक वीडियो ने प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में पुलिस विभाग की नीली बत्ती वाली सरकारी गाड़ी के बोनट पर एक महिला केक काटती नजर आ रही है। यह महिला कोई और नहीं, बल्कि बालोद पुलिस बटालियन में पदस्थ डीएसपी तस्लीम आरिफ की पत्नी फरहीन खान हैं। घटना को लेकर न सिर्फ सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है, बल्कि अब यह मामला अनुशासनात्मक कार्रवाई की ओर भी बढ़ता दिखाई दे रहा है।
सरकारी गाड़ी बना बर्थडे सेलिब्रेशन का मंच
वायरल वीडियो में फरहीन खान एक पुलिस वाहन के बोनट पर बैठी हुई हैं, जिस पर नीली बत्ती और ‘पुलिस’ का लोगो स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। वह वहां केक काट रही हैं और उनके साथ कुछ अन्य लोग भी जश्न में शरीक नजर आ रहे हैं। वीडियो में सरकारी संसाधनों का निजी उपयोग और सार्वजनिक प्रदर्शन साफ दिखाई देता है, जो नियमों और शासकीय मर्यादा के पूरी तरह खिलाफ है।
नियमों की उड़ाई गई धज्जियां
सरकारी वाहनों का उपयोग केवल शासकीय कार्यों के लिए अनुमत होता है। लेकिन इस मामले में वाहन का प्रयोग घरेलू और निजी समारोह के लिए किया गया। ऐसे में यह घटना न केवल लोक सेवकों की आचार संहिता का उल्लंघन है, बल्कि जनता में गलत संदेश देने वाली भी है।
डीएसपी तस्लीम आरिफ की सफाई
मामला सामने आने के बाद डीएसपी तस्लीम आरिफ ने सफाई दी है कि उन्हें वीडियो की जानकारी नहीं थी और यदि यह सोशल मीडिया पर शेयर हुआ है, तो वह अनाधिकृत रूप से किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे वाहन का उपयोग कभी-कभी घरेलू कामों के लिए करते हैं, परंतु इस प्रकार के खुले उल्लंघन पर यह सफाई प्रभावशाली नहीं मानी जा रही।
उच्च अधिकारियों की नजर में मामला
माना जा रहा है कि बालोद पुलिस अधीक्षक और वरिष्ठ अधिकारी इस पूरे मामले की जांच के आदेश जल्द जारी कर सकते हैं। यह भी संभव है कि संबंधित अधिकारी पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए, ताकि सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग पर स्पष्ट संदेश दिया जा सके।
क्या कहती है जनता?
सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब कानून के रक्षक ही इस तरह के सार्वजनिक नियम उल्लंघन करेंगे, तो आम नागरिकों से क्या उम्मीद की जा सकती है? जनता ने इस घटना को “शासन की गरिमा से खिलवाड़” बताया है।
इस प्रकार की घटनाएं शासन की साख और पुलिस की छवि को प्रभावित करती हैं। ऐसे में अधिकारियों से अपेक्षा है कि वे नियमों का पालन करने में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करें।