रायगढ़

निजी स्कूल साधुराम विद्या मंदिर की मनमानियां चरम पर,फीस के बिना उत्तरपुस्तिका देने से पालक को किया इंकार…।।

सिंहघोष/रायगढ़:- कोरोना महामारी के बीच निजी स्कूल संचालको की मनमानियाँ इतनी बढ़ गई हैं,कि उन्हें शासन और न्यायपालिका के द्वारा दी गई गाइड लाइन का ध्यान भी नही रहा है।

गौरतलब हो कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण निजी एवं सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले पालकों की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए,स्कूल फीस को लेकर देश- प्रदेश की सरकारों ने स्कूल प्रबंधन के लिए विभिन्न तरह के आदेश(गाइड लाइंस)जारी की थी। जिसका एक मात्र उद्देश्य पैसों के अभाव में बच्चों का भविष्य खराब न हो यह था। जबकि कुछेक निजी स्कूल संचालकों की ढिठाई के खिलाफ पालकों ने न्यायपालिका की शरण भी ली थी। यहां से भी निजी स्कूल संचालको को स्पष्ट निर्देश जारी हुआ था कि वे न तो स्कूल फीस में वृद्धि करेंगे न ही ट्यूशन फीस के अलावे पालकों से कोई अतिरिक्त पैसे लेंगे। यही नही एक अन्य महत्वपूर्ण आदेश में न्यायपालिका ने यह भी कहा है कि स्कूल प्रबंधन पूरी तरह से यह सुनिश्चित करे कि स्कूल फीस में विलंब की वजह से किसी छात्र को ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा से वंचित न रहना पड़े।इधर शासन के तमाम आदेशों को दर किनार कर रायगढ़ जिला मुख्यालय से महज 5 किमी दूर कोसमनारा में स्थित साधुराम विद्या मंदिर ने फीस में विलंब की बात को लेकर 6 वीं क्लास की छात्र को उत्तर पुस्तिका देने से इंकार करते हुए पालक से बदतमीजी की है।

घटना के सम्बंध में विस्तार से बताते हुए पीड़ित पालक मेदिनी नेगी ने कहा कि साधुराम विद्या मंदिर के प्रबन्धन ने क्लास 6 में अध्यनरत उनके बेटे की उत्तर पुस्तिका देने से उन्हें यह कह कर इंकार कर दिया कि इस सत्र की स्कूल फीस अब तक जमा नही हुई है। पहले फीस जमा करें फिर आन्सर शीट ले जाये। इस बात से आहत पालक मेदिनी नेगी(जो वर्तमान में खरसिया विधायक और केबिनेट मंत्री के प्रतिनिधि हैं)उन्होंने भी स्कूल प्रबंधन को फोन कर छात्र की उत्तर पुस्तिका देने तथा फीस की रकम दो दिन बाद देने की बात कही। इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन ने साफ शब्दों में उत्तरपुस्तिका देने से मना कर दिया। स्कुल प्रबन्धन के इस तरह के व्यवहार से छुब्द होकर पालक मेदिनी नेगी ने मीडिया को घटना की जानकारी दी। यही नही उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को फोन और स्कूल प्रबंधन आचरण की बात बताई। मेदिनी कहते है। इस सत्र की फीस देने में उनसे सिर्फ इसलिए देरी हुई क्योंकि करीब-करीब 2 महीने तक हमारा गांव कोरोना संक्रमण की वजह से परेशान रहा। ऊपर से प्रदेश में ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे स्कूल प्रबंधन को कोरोना काल में फीस देना है या नही इस विषय पर काफी लम्बे समय से कई पालक निजी स्कूल प्रबंधनों के विरुद्ध उच्च न्यायालय में लड़ाई लड़ रहे थे।

जब सत्ताधारी पार्टी के कैबिनेट मंत्री और खरसिया विधायक के प्रतिनिधि से स्कूल प्रबंधन इस तरह का व्यवहार करता है वो भी कुछ दिनों की फीस देरी पर जबकि अब तक कभी ऐसा नही हुआ है कि फीस देने में हमारी तरफ से कोई देरी हुई है। तो फिर आम पालकों के सांथ इनका व्यवहार कैसा होता होगा,उसकी कल्पना करिए।

वहीं इस मसले को लेकर स्कूल प्रबंधन का कहना है कि, उत्तरपुस्तिका नही देने जैसी कोई बात नही हुई है। फीस को लेकर मेदिनी जी को कोई व्यक्तिगत इश्यू है। हमने सिर्फ स्कूल फीस ही मांगी है आंसरशीट नही देने को हमने नही कहा है

जबकि जिले के नए जिला शिक्षा अधिकारी आर पी आदित्य से उनके मोबाइल +91 94241 52005 पर काल कर स्कूल प्रबन्धन के विरुद्ध पालक की शिकायत के विषय में जानकारी चाही तो उनका कहना था कि उन्होंने स्कूल की प्रिंसिपल को बुलाया है पहले उनसे बात कर लेने दीजिये फिर कारण स्पष्ट हो पायेगा।।

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