अपराधरायगढ़

मेरी बेटी को जला कर मार डाला गया और पुलिस उसे आत्महत्या बता रही है..।न्याय पाने की आस में नाबालिग बेटी के पिता की दिल दहला देने वाली दास्तां..।। “मुझे न्याय चाहिए”

जिला मुख्यालय के निकटतम ग्राम औरदा तहसील पुसौर में 14 दिसम्बर 2020 की रात हुई थी घटना

नितिन सिन्हा व नवरतन शर्मा की रिपोर्ट,मृतिका के परिजन और ग्रामीणों से मिली जानकारी के आधार पर..

घटनास्थल।

सिंघघोष/रायगढ:- किसी मजबूर पिता के लिए अपनी होनहार बिटिया को खोने का दर्द कैसा होता है,इस बात का एहसास आपको 45 वर्षीय अधेड़ और गरीब पिता सजन बसौर से मिलकर होगा।सजन मुख्यतः छ ग के उस आदिवासी समाज से आते हैं जिनका पारम्परिक पेशा बांस से बनी वस्तुओं का निर्माण और विक्रय करना हैं। परन्तु बदलते समय के सांथ बाजार में जैसे-जैसे प्लास्टिक से बने उत्पाद उतरने वैसे बांस से बनी वस्तुओं की मांग और मूल्य दोनों घटने लगी। पत्नी की असामयिक मौत के बाद अपने वृद्ध माता-पिता और दो प्यारी बच्चियों के भविष्य को सुधारने के लिहाज से सजन बंसौर ने पारम्परिक पेशे से हटकर राजमिस्त्री का काम शुरू किया। घर पर बच्चों की देखभाल वृद्ध माता-पिता के जिम्मे आ गई। इसी बीच लाकडाउन काल में बुरी तरह लड़खड़ाई अर्थवयवस्था को पटरी पर लाने के लिए सजन गांव के बाहर काम लेने लगे। इस दौरान उनकी होनहार बड़ी बेटी आँचल(परिवर्तित नाम) जिससे परिवार का हर सदस्य स्नेह रखता था। उसे आन लाइन पढ़ाई के लिए नया एंड्राईड मोबाइल दिया गया। मोबाइल के माध्यम बिटिया की पढ़ाई ने अलावा अपना सम्पर्क भी बढ़ाया। उसकी सहेली अवनी सतनामी(परिवर्तित नाम)के भाई अशोक मिरी(परिवर्तित नाम)से भी सम्पर्क हुआ। इस विषय मे पिता और दादा-दादी को कोई जानकारी नही थी। थोड़ा बहुत अगर कोई जानता था तो वह मृतिका की छोटी बहन गुड़िया(परिवर्तित नाम)थी।

चुकी मृतिका आँचल की सहेली अवनी का घर आना जाना था,अतः उसके बिगड़ैल नाबालिग भाई की करतूत को लेकर घर के किसी सदश्य का ध्यान ही नही गया। इसी बीच धोखबाज सहेली की मदद से धूर्त और बदमाश अशोक सतनामी ने मृतिका की आपत्तिजनक फ़ोटो और वीडियो बना ली । जिसके बूते वो और उसके सहयोगी मृतिका(आँचल) को परेशान करने लगे। वह परेशान होकर उस लड़के से खुद को अलग करने में लग गई। इधर इस आपराधिक मानसिकता से ग्रस्त लड़के के दिमाग मे कुछ खतरनाक प्लानिंग चल रही थी। उसे पता था कि आँचल के पिता गांव में नही है। उसने सुबह मृतिका के मोबाईल पर फोन कर उसे धमकाया और फिर अपनी बहन के माध्यम से मृतिका को शाम 7 बजे गांव के तलाब के पास बुला भेजा। ठंड की वजह से आँचल की बहन और उसके दादा-दादी जल्दी ही सो गए थे। कमोबेश गांव के ज्यादातर लोग बिस्तर में जा चुके थे। इस कारण छोटी बहन को छोड़कर किसी ने उसे अपनी सहेली के सांथ बाहर जाते नही देखा। इस बीच वो सब कुछ हो गया जो पूरे परिवार को हिला देने के लिहाज से काफी था।

भोर में करीब 4 बजे के आसपास सरपंच ने फोन पर परिजनों को जानकारी दी,कि तुम्हारी बेटी जल गई है और अभी अस्पताल में भर्ती है। जैसे ही परिजन अस्पताल पहुंचे तो उनके होश उड़ गए। इधर पूरे गांव में इस घटना को लेकर चर्चा होने लगी। तलाब के पास मेड़ में जलने का निशान जो आज भी मौजूद है वहा शराब की खाली बोतले डिस्पोजल ग्लास बिखरे दिखे। वही घटना स्थल के उल्ट करीब 250-300 मीटर की दूरी पर मैदान में आँचल के कपड़े बिखरे मिले।

मृतिका ने अस्पताल में पिता को बताया..

सुबह जब आँचल से मिलने पिता अस्पताल पहुंचे तो पाया कि उनकी लाडली बेटी 70 फीसदी जल चुकी थी।डाक्टर उसकी हालत गम्भीर बातए रहे थे। किसी तरह पिता ने घटना के विषय में पूछा,तो उसने बताया कि उन लोगों ने मेरी फ़ोटो वायरल करने की धमकी देते हुए रात को सहेली से बुलाया फिर जबरदस्ती करने की कोशिश की विरोध करने पर तेल डालकर जला दिया इस पर भी मन नही भरा तो तालाब में डूबा दिया। मुझे जिंदा देख सबने मिलकर मुझे अस्पताल में भर्ती करा दिया। वो किसी को कुछ न बताने की धमकी भी दे रहे थे। इस तरह दो दिन अस्पताल में तड़पने के बाद आँचल ने दम तोड़ दिया। पुसौर पुलिस मृतिका की मौत को आत्महत्या बता
कर पल्ला छाडने की कोशिश में थी।

आडियो के सामने आते ही पिता की आशंका सही साबित हुई..

अस्पताल में बेटी की बाते सुनकर जब पिता जिले के पुलिस अधिकारियों के पास न्याय पाने की उम्मीद से गए तो उन्हें जवाब मिला कि तुम्हारी बेटी ने बयान दिया है कि वो आत्महत्या कर रही है। अतः प्रकरण की जांच खत्म हो गई है। सजन की माने तो बेटी उन्हें अलग और पुलिस को अलग तरह बयान नही देगी। और नाबालिग बेटी का बयान हम पालकों की उपस्थिति में क्यों नही करवाया गया.? आत्महत्या करने के लिए घर मे जगह और साधन की कमी नही थी.फिर भी उसे तालाब के किनारे जाना पड़ा क्यों.? आत्म हत्या करने वाले पहले अपने कपड़े आधा किमी दूर नही उतारेगा?? इन सवालों के जवाब में ही घटना का पूरा सच छुपा है। इसी बीच गांव के युवक के द्वारा उन्हें दो आडियो उपलब्ध कराया गया,जिसे सुनकर स्पष्ट हो गया कि मामला जैसा पुलिस दिखाना चाह रही है, वैसा नही है। बकौल पिता की माने तो इस घटना का मास्टरमाइंड आरोपी आदतन बदमाश है उसके विरुद्ध पुसौर थाने में कई गम्भीर शिकायतें है। उसने हाल ही में एक व्यक्ति की जान गाड़ी से दुर्घटना करके ली है।

मुझे और मेरी बेटी को न्याय चाहिए…

पीड़ित सजन भरी आखों से अपनी होनहार बिटिया की सुंदर लिखावट और अंकसूची को दिखाते हुए कहते है कि उन्होंने बीते एक महीने में अपनी बेटी के कथित हत्यारों को सजा दिलाने के उद्देश्य से जिले के सभी अफसरों और विधायकों और मंत्री के आगे गुहार लगाई परन्तु परिणाम सिफर रहा। ऐसे में सिर्फ मुझे ही नही बल्कि मेरे पूरे परिवार का हौसला जरूर टूटा है परन्तु अब हम सभी को लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ(मीडिया) से अपेक्षा है,कि वो उन्हें और उनकी मरहूम बिटिया को न्याय दिलाने में जरूर सार्थक मदद करेगें । इधर घटना स्थल का नजारा और गांव वालों से मिली महत्वपूर्ण जानकारियां बता रही हैं कि मरहूम आँचल के साथ वाकई अन्याय हुआ है। इस लिहाज से पुलिस को ईमानदारी से घटना की दुबारा जांच करनी चाहिए। अन्यथा न्याय पाने को आतुर बंसौर परिवार किसी भी स्तर का संघर्ष करने को तैयार है। वैसे ग्राम औरदा में बेटियों से जबरदस्ती करने के प्रयास में उन्हें आग लगाकर मार डालने की यह तीसरी घटना है। क्रमशः-

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