मेडिकल अपशिष्ट निपटान में बड़ी लापरवाही हुई उजागर,एनजीटी के आदेशों और मापदंडों की उड़ रही धज्जियां,संक्रमण फैलने का बना है खतरा…।।
चंद रुपयों के लालच में अरोमा सोसल सर्विस कर रहा लोगों की जान के साथ खिलवाड़।
सिंहघोष/रायगढ़- रायगढ़ नगर निगम एवं पर्यावरण अधिकारी की लापरवाही के चलते अस्पतालों से निकलने वाले जैव चिकित्सा अपशिष्ट निपटान की जगह नहीं होने का बहाना लेकर बड़े रामपुर के पचधारी वाले मार्ग में केलो नदी के समीप ही ठोस अपशिष्ट को सड़क के दोनों ओर खुले में डाल दिया जा रहा हैं। कचरे का निपटान करने वाले ठेकेदार द्वारा चंद रुपयों की लालच में संक्रमित मेडिकल अपशिष्ट पदार्थ से कांच की शीशी या प्लास्टिक एवं अन्य कबाड़ चुना जा रहा है जो कि पूर्णता गलत है और वहा काम करने वाले मजदुर बिना मास्क,बिन हैंड ग्लव्स के काम कर रहे है ना ही मेडिकल अपशिष्ट निपटान वाले क्षेत्र में ना कोई बाउंड्री है और खुले में मेडिकल अपशिष्ट को डंप किया जा रहा है इस कोरोनावायरस के कहर को देखते हुए संक्रमण फैलने का और भी ज्यादा खतरा मंडरा रहा है। जहां जिला प्रशासन एक ओर कोरोनावायरस से बचने के लिए जागरूक किया जा रहा है और वही एक और मेडिकल अपशिष्ट को खुले में डंप करके जिले वासियों को संक्रमण फैलने का न्योता दे रहे हैं। जो आने वाले समय मे रायगढ़ शहर के लोगों के लिए जहर का काम करेगा।
क्योंकि शहर का समूचा कचरा एवं अस्पताल से निकलने वाली मेडिकल वेस्ट को यहां डंम्प किया जा रहा है और इस मेडिकल वेस्ट अपशिष्ट को छाटकर बिना किसी रीसाइक्लिंग के कबाड़ी में बेचा जा रहा है।
गौरतलब है कि ठोस अपशिष्ट के निपटान हेतु पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तरफ से 2016 को एक अधिसूचना जारी की गई थी जिसमें विस्तृत रूप से ठोस अपशिष्ट के सभी प्रकार कर परिसंकटमय कचरे के निपटारे सम्बंधी प्रक्रिया दी गई है जिसके अनुसार ही ठोस अपशिष्ट का निपटान होना चाहिए। इस अधिसूचना में अपशिष्ट के सोधन-भंडारण एवं निपटान के साथ-साथ पैकेजिंग,लेबलिकरण, परिवहन आदि से सम्बंधित पूरी जानकारी दी गई है जिसमें स्पष्ट है कि ऐसे में ठोस अपशिष्ट के खुले में नही डाला जा सकता है।चारों तरफ से घिरा हुआ होना चाहिए तथा मापदंडों की बात करें तो कड़े नियम तय हैं चिकित्सा अपशिष्ट निपटान के लिए तथा लापरवाही बरते जाने पर कड़ी कार्यवाही का उल्लेख भी है साथ ही भारत सरकार तथा एनजीटी के अनुसार अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को काफी गंभीर संक्रमित एवं जानलेवा माना गया है। किंतु निर्धारित मापदंडों के अनुरूप विधिवत मेडिकल अपशिष्ट का निपटान नहीं किया जा रहा है।ऐसे में यह ठोस अपशिष्ट आगे जाकर शहर के लोगों हेतु महामारी भी ला सकता है। इस मामले में जिला प्रशासन,निगम प्रशासन एवं क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण विभाग मौन क्यो?? जबकि अपशिष्ट निपटान करने वाले को नियमों का उल्लेख सहित अनुबंध भी होते हैं।
अपशिष्ट को लेकर अलग-अलग प्रावधान
भारत सरकार द्वारा प्रारूप नियम अर्थात् परिसंकटमय और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और सीमापारिय संचलन) नियम 2016 का और भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय की अधिसूचना सं.का.अ 2015 के अनुसार ठोस अपशिष्ट को उसकी नुकसान पहुंचाने की क्षमता,रासायनिक आधार पर प्रदूषण के आधार पर अलग-अलग पैकेजिंग,निपटारा, परिवहन आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है जबकि पर्यावरण अधिकारी एवं नगर निगम प्रशासन इस निपटारे का पर्यवेक्षण करते है ऐसे में ठोस अपशिष्ट को एक ही स्थान पर डाल दिया जाना वो भी नदी किनारे अपराध की श्रेणी में आता है। यदि इसी प्रकार से अपशिष्ट का विनिष्टिकण होना चाहिए ताकि कोई महामारी या बीमारी फैलती है तो अपशिष्ट देने वाला,परिवहन करने वाला,पर्यवेक्षण करने वाला,रिपोर्ट बनाने वाला आदि सभी दोषी माने जायंगे।
कोविड वेस्ट का नही हुआ विनिष्टिकरण
कोरोना संकट के दौरान कोविड-19से सम्बंधित अपशिष्ट और हॉस्पिटल तथा कोरोनाटाईन सेंटर से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट तथा ठोस अपशिष्ट को विनिष्टि करण किया जाना था जो नियमानुसार नहीं हुआ।बल्कि बड़े रामपुर स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड में डाल दिया गया।और जब वह जगह भी भर गई तो केलो नदी जाने वाले सड़क पर ही दोनों ओर खुले में उसे डाल दिया जा रहा है जबकि उसका विनिष्टि करण होना था।और केलो नदी में ही वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगा है जो पानी साफ कर शहर को वितरित होता है ऐसे में कई अपशिष्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से साफ नही होते है और वे पानी मे घुलकर पानी सप्लाई के माध्यम से लोगों के घरों में और शरीर में प्रवेश कर सकते है जिसे बड़ा खतरा हो सकता है। ऐसे में यह लापरवाही अपराध के बराबर है।
अरोमा सोशल सर्विस नियमो की उड़ा रहे है धज्जियां
अरोमा सोशल सर्विस मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल का काम कर रही है जो रामपुर ट्रेचिंग ग्राउंड में इस काम को करती है।लेकिन इस जगह पर विनिष्टिकरण के बाद बचे हुए अवशेष डालने चाहिए न कि बायो मेडिकल वेस्ट। रामपुर में वेस्ट डिस्पोजल को निगम के अपशिष्ट के साथ ही मिलाकर सड़क के दोनों ओर डाल रही है जो नियम के विरुद्घ है।लेकिन अपिष्ट और मेडिकल वेस्ट को लेकर किसी भी संस्था एवं निगम जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नही दे रहे है।
रामपुर इलाके में रोज सुबह से लेकर देर शाम तक 20 से अधिक बार छोटा हाथी वाहन के डाले में अस्पतालों से मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल को डंम्प करती है। यहां यह भी बताना लाजमी होगा कि रामपुर में ही पचधारी है जहां से पानी एकत्रित कर शहर में फिल्टर करके सप्लाई की जाती है। बड़े रामपुर क्षेत्र में वर्षो से सड़क के दोनों एयर कचरा डम्प है। और प्रतिदिन कबाड़ चुनकर बेचा जा रहा है।
बरहाल अब यह देखना लाजिमी होगा कि खबर प्रकासन के बाद जिला प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर क्या कार्यवाही करती है या जिला प्रशासन भी स्वास्थ्य विभाग और पर्यावरण विभाग की तरह अरोमा सोशल सर्विस को मौन सुकृति प्राप्त है।