
रसूखदारों के बच्चे लाकर आम आदमी का सरकार ने उड़ाया है मजाक, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल करें हस्तक्षेप
रायगढ । लॉक डाउन में फसे नौनिहालों में भेदभाव करते हुए राजस्थान के कोटा से केवल 15 छात्रो को गुपचुप तरीके से 8 दिन पहले छत्तीसगढ़ लाकर गौरेला आश्रम में फिर बिलासपुर के एक होटल में क्वारंटाइन किये जाने का मामला छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। जबकि प्रदेश के 800 से ज्यादा बच्चे लॉक डाउन में राजस्थान के कोटा में फंसे हुए हैं जिसमे से 200 बच्चे रायगढ जिले के है। क्या छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार आम आदमी और रसूखदारों के बच्चो में भेद नही कर रही है ?
उक्ताशय का आरोप लगाते हुए भाजपा नेता आलोक सिंह ने कहा है कि एक प्रतिष्ठित न्यूज़ वेव पोर्टल ने इस बात का खुलासा किया है कि कोटा से 15 छात्र जो कथित रूप से रसूखदार घरों के हैं उन्हें तो 8 दिन पहले ही बुलाया जा चुका है । यह बेहद आश्चर्य जनक और घोर निंदनीय है कि सरकार बच्चो में उनके माता पिता की हैसियत खोज रही है। रायगढ जिले के उच्च शिक्षा मंत्री को मामला संज्ञान में ले कर जिले के 200 बच्चो के अविभावकों को ही नही पूरे प्रदेश के 800 से ज्यादा पेरेंट्स को यह स्प्ष्ट करना चाहिए कि उनका या उनके बच्चों का कसूर क्या है ?
आलोक सिंह ने कहा है कि यह प्रश्न इस लिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि अभी हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बसे भेज कर इन बच्चों की वापसी की बात कही थी जबकि आज के समाचार पत्र इस बात से इनकार कर रहे है कि इन बच्चों को वापस लाया जाएगा अलबत्ता राजस्थान में ही उनकी परेशानियों के हल की बात कही गई है। एक तरफ केवल 15 बच्चो पर दरियादिली और दूसरी ओर बाकी बच्चो के साथ सौतेला व्यवहार सरकार पर सवालिया निशान लगाता है।
आलोक सिंह ने कहा है कि कल सोमवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया को जानकारी दी थी कि यूपी की तर्ज पांच राज्यों के मुख्यमंत्री कोटा में कोचिंग के लिए रह रहे छात्रों को गृह राज्य ले जाने के लिए तैयार हो गए हैं। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, प. बंगाल, असम व गुजरात के मुख्यमंत्रियों ने इस पर सहमति दे दी है। जल्द ही इन राज्यों के छात्र अपने घर के लिए रवाना होंगे। दूसरी ओर राज्य के अफसर मीडिया को जानकारी दे रहे है कि बच्चे वापस नहीं लाये जाएंगे। इससे अलहदा 15 बच्चो को गुपचुप ला कर क्वारंटाइन किया जा रहा है। ये सब बातें सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर करती है।
आलोक सिंह ने कहा है कि इससे पहले भी छत्तीसगढ़ सरकार के एक मंत्री अपनी बेटी के विदेश से आने पर उसे दिल्ली के सरकारी भवन में रुकवा कर व्हीआईपी ट्रीटमेंट दिए जाने का मामला सूर्खियां बटोर चुका है। अब मासूम बच्चो में भेदभाव की खबरे है। ऐसी खबरें आम जनता में सरकार के प्रति अविश्वास पैदा करती है जो कोरोना की महामारी से लड़ रही जनता की मनः स्थिति के लिए ठीक नही है। सरकार सभी बच्चों की वापसी का मार्ग प्रशस्त करे। इनमें से ज्यादातर बच्चे नाबालिग और कम आयवर्ग या मध्यम क्लास के आविभावको के बच्चे है जिन्होंने अपनी जरूरतों का गला घोंट कर अपने बच्चो के सपने पूरे करने अच्छी शिक्षा के लिए कोटा भेजा है।