रायगढ़

“सलाम साहेब” और इस तरह शहर का वीर बेटा कर्नल विप्लव पत्नी बच्चे सहित विदा हो गया…।।

“सलाम साहेब” ये शब्द थे उस माँ के जिसके अपने कर्नल बेटे को अंतिम सलामी दी…।।

सिंहघोष/रायगढ़-15.11.21- मणिपुर अलगवावादी हमले में शहीद हुए कर्नल विप्लव उनकी पत्नी व मासूम पुत्र की पार्थिव काया तय समयानुसार दोपहर करीब 12 बजे जिंदल एयरपोर्ट पहुंची। जहा सांसद श्रीमती गोमती साय, छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल,रायगढ़ जिले के सभी विधायक,जिला कलेक्टर भीम सिंह,प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह मीणा व पुलिस विभाग के दर्जनों अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे। शहीदों की अंतिम विदाई के लिए जिले भर लोग बड़ी संख्या में यहां आए।

पूरा शहर भारत माता की जय के नारों के साथ देशभक्ति गीतों से गुंजायमान हो उठा। दोपहर तक जिले की जनता का बड़ा हुजूम अपने वीर बेटे और उसके शहीद पत्नी,बच्चे को श्रद्धांजलि देने उमड़ पड़ा।

सेना के विशेष विमान से शहीद विप्लव त्रिपाठी व उनकी पत्नी और बच्चे का पार्थिव शरीर रायगढ़ लाया गया। जिंदल एयरपोर्ट पर सेना के जवान भी उपस्थित रहे एयरपोर्ट से शहीद कर्नल के घर आते तक रास्ते भर लोगो की भीड़ घरों से निकलती और सड़क के दोनों तरफ खड़ी नज़र आई। सभी ने पुष्प गुच्छ व फूल मालाओं से जगह-जगह शहीद कर्नल व उनके परिवार को अपनी श्रद्धांजलि दी। उंसके बाद कर्नल विप्लव त्रिपाठी उनकी पत्नी व पुत्र का पार्थिव शरीर उनके निवास स्थान लाया गया।

जहां माता-पिता ने अपने शहीद पुत्र को सेल्यूट किया। तिरंगे से लिपटे अपने वीर बेटे का पार्थिव शव को देख भावुक हुई मां “सलाम साहेब” कह उठी। यहां परिजनों व मित्रों ने अंतिम दर्शन कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। फिर आम जनता के अंतिम दर्शन के लिए शहीद कर्नल की पार्थिव काया रामलीला मैदान में रखी गई। रामलीला मैदान में शहीद के अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। निर्धारित समयानुसार रामलीला मैदान से शहीद की शवयात्रा मुक्तिधाम की ओर रवाना हुई,इसके साथ ही विप्लव त्रिपाठी अमर रहे के नारों से पूरा शहर गुंजायमान हो उठा।

हिन्दू परम्परा के अनुसार महिलाएं अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट नही जाती है परन्तु आज इस परंपरा को तोड़ते हुए हज़ारों की संख्या में महिलाए सर्किट हाउस मुक्तिधाम पहुँची और शहीद विप्लव त्रिपाठी व उनकी पत्नी व पुत्र के दाह संस्कार में शामिल हुई।

कर्नल विप्लव त्रिपाठी को मुखाग्नि उनके छोटे भाई ने दी,जो स्वयं भारतीय सेना में कर्नल के पद पर सेवारत है। मुखाग्नि के पूर्व सैन्य सम्मान के साथ तीनो शहीदों को असम राइफल्स के जवानों के द्वारा “गार्ड ऑफ ऑनर” दिया गया। देश प्रेम का जज़्बा त्रिपाठी परिवार में आज़ादी के पूर्व से ही रहा है। शहीद विप्लव त्रिपाठी के दादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सांसद थे। वे संविधान निर्माण समिति के सदस्य भी थे। उनके पिता सुभाष त्रिपाठी रायगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार है। शहीद परिवार को मुखाग्नि कर्नल साहब के छोटे भाई कर्नल अनय ने दी जो खुद भारतीय सेना में है। शहीदों की चिंताओं पर जैसे ही अग्नि प्रज्वलित की गई,वैसे ही पूरा श्मशान घाट भारत माता की जय,वंदे मातरम और शहीद विप्लव अमर रहे जैसे नारों से गूंज उठा। अंतिम विदाई के लिए आए लोग भाव विभोर हो उठे।अंतिम संस्कार के समय श्मशान घाट पर हजारो की संख्या में लोग उपस्थित रहे व सभी ने नम आंखों से शहीदों को अंतिम विदाई दी।

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