फील बेनिफिशियल कोल प्रा.लि. की अवैधानिक जन सुनवाई कागजी तौर पर पूरी की गई:-राजेश त्रिपाठी

प्रशासन और सत्ता पक्ष के नेताओ को स्थानीय लोगो और पर्यावरण की कोई चिंता नही…। जानलेवा हो चुके माहौल के बाद भी कम्पनियों के अवैधानिक विस्तार में लगा प्रशासन…।।
सिंहघोष/रायगढ़-21.04.22-जिले के घरघोड़ा तहसील के ग्राम टेंडा नवापारा में स्थित फील कोल बेनिफिकेशन प्रा.लि. के विस्तार के लिए आज सम्पन्न हुई जन सुनवाई को लेकर यह कहा जा रहा है, कि भले ही जिला प्रशासन के शह और कम्पनी के बाउंसरों सहित स्थानीय गुंडा तत्वों के दम पर चुपचाप ढंग से 21अप्रैल 2022 के दिन कागजी तौर पर पूरी करा दी गई हो।परन्तु नियम विरुद्ध ढंग से संचालित कोलवाशरी की जनसुनवाई को लेकर पर्यावरणीय मुद्दों पर अच्छी दखल रखने वाले बुध्दिजीवी वर्ग (जिन्हें भ्रष्ट और बेईमान सरकारी तंत्र से इतर अपने निजी स्वार्थों से परे जिले की निरंतर बिगड़ती पर्यावरणीय स्थिति और सैकड़ों -हजारों उद्योग प्रभावित लोगों के स्वास्थय और जानमाल की चिंता है) ने कंपनी प्रबंधन और जिला प्रशासन के विरुद्ध लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है।
इसकी शुरुवात उन्होंने जन सुनवाई के विरोध में वहां बैठे पीठासीन अधिकारी को दिए अपने सारगर्भित विरोध पत्र में कर दिया है। आगे समय पर उचित कार्यवाही न होने पर आप लोग माननीयों उच्च न्यायलय बिलासपुर और n.g.t. न्यायालय में आवेदन(पिटीशन) फ़ाइल करने की तैयारी में जुटे हैं।।
इसे लेकर जनचेतना के राजेश त्रिपाठी का कहना है कि अब तक सैकड़ो जन सुनवाईयों का प्रत्यक्षदर्शी रहने के कारण मैने लगभग प्रत्येक जन सुनवाई में प्रशासनिक लोगो को ही आम जन के विरोध और उद्योग पतियों के पक्ष में खड़े देखा है। लेकिन आज सम्पन्न हुई जन सुनवाई में प्रशासनिक अधिकारी मूक दर्शक और कम्पनी के बाउंसर तथा स्थानीय कोल माफिया और गुंडा तत्वों को आम जनों के विरोध में खड़े देखा है। यहां इनके द्वारा जन सुनवाई में विरोध के स्वर को दबाने के लिए खुलेआम शराब और पैसे बांटे जाने की चर्चा गरम है। जनसुनवाई में उपस्थिति लोगों ने बताया कि कम्पनी द्वारा पोषित स्थानीय गुंडा तत्वों और 10 से ज्यादा बाउंसरों ने जनसुनवाई के दौरान विरोध कर्ताओं में से किसी एक के साथ मारपीट भी की है और कुछ लोगों को धमकाया भी है। कुल मिलाकर धन बल और जन बल अर्थात खुली गुंडागर्दी के साए में जनसुनवाई सम्पन्न कराई गई है।
कम्पनी प्रबन्धन को इस नगत का डर था कि विरोध कर्ता ग्रामीण या अन्य व्यक्ति जन सुनवाई के समय कम्पनी के उन अवैधानिक कृत्यों को उजागर न कर दे,जिंसमे 10 एकड़ से अधिक वन विभाग की जमीन पर बेजा कब्जा करना और चार एकड़ भूमि का डायवर्शन करा कर करीब 22 एकड़ जमीन पर कोल वाशरी का अवैधानिक संचालन का मुद्दा मुखर रूप से उठ न जाए। इस लिहाज से तैयारी की गई थी।
विरोध पत्र में दी गई बिंदुवार जानकारी कुछ इस तरह से है.
प्रति,
श्रीमान पीठासीन अधिकारी/ जिला अध्यक्ष रायगढ़ छत्तीसगढ़
विषय / फील कोल वेनिफिट प्राइवेट लिमिटेड वाशरी के विस्तार की जनसुनवाई का विरोध करने बाबत
महोदय,
विषयांतर्गत लेख है,कि निम्नलिखित बिंदुओं को लेकर हम रायगढ़ जिले के टेंडा नवापरा में कोल वाशरी के विस्तार की जनसुनवाई का विरोध करते हैं।
1/ केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना दिनांक 14 सितंबर 2006 के अनुसार किसी भी पर्यावरणीय जन सुनवाई हेतु आवेदन के 45 दिवस के अंदर राज्य सरकार जनसुनवाई का आयोजन करवाएगी अगर किसी कारण बस आवेदन के 45 दिवस के अंदर राज्य सरकार जनसुनवाई का आयोजन नहीं कर पाती उन परिस्थितियों में केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय एक समिति का गठन करेगा एवं जनसुनवाई का आयोजन करवाएगा इन परिस्थितियों में 20/4/2022 को होने वाली जनसुनवाई के आवेदन से 45 दिवस दिवस के ऊपर हो गए हैं इसलिए राज्य सरकार को जनसुनवाई करवाने का कोई अधिकार नहीं है इसलिए हम जनसुनवाई का विरोध करते हैं।
2/केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय के 14 सितंबर 2006 के आदेश अनुसार जन सुनवाई हेतु परियोजना के 10 किलोमीटर क्षेत्र के अंदर आने वाले प्रभावित क्षेत्र के गावों को हर ग्राम पंचायत में आइए नोटिफिकेशन दिया जावेगा एवं प्रचार प्रसार हेतु ग्राम स्तर पर दीवाल लेखन मुनादी पोस्टर पंपलेट एवं समाचार पत्रों के माध्यम से प्रचार किया जाना चाहिए जो जिला पर्यावरण संरक्षक मंडल बिलासपुर द्वारा प्रभावित क्षेत्र के गांवों में नहीं किया गया है जिसके कारण 20/4/2022 को होने वाली जनसुनवाई की जानकारी उपलब्ध नहीं है इसलिए उपरोक्त जनसुनवाई को तत्काल निरस्त किया जाए।
3/कंपनी द्वारा कंपनी द्वारा पूर्व में स्थापित कंपनी में पर्यावरणीय नियमों का पालन नहीं किया गया है जो कि केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय के दिए गए शर्तों के अनुसार पर्यावरण नियमों का पालन किया जाना था कॉल बांसुरी के चारों तरफ वृक्षारोपण पानी का छिड़काव एवं बम जी बाल का निर्माण किया जाना था जो कंपनी द्वारा अब तक नहीं किया गया है जिससे आसपास के क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर प्रदूषण का प्रभाव लोगों के जीवन पर पड़ा है इसलिए कंपनी को विस्तार हेतु अनुमति प्रदान ना किया जाए।
4 /यह क्षेत्र हाथी प्रभावित क्षेत्र है जहां आए दिन हाथियों का आवागमन लगा रहता है इस क्षेत्र के लोगों को अपने जीवन यापन के लिए जंगलों से तेंदूपत्ता महुआ हर्रा बहेड़ा आमला जैसे उत्पाद प्रभावित होने के कारण रोजगार पर सीधा प्रभाव पड़ेगा जिससे लोगों में रोजगार के लिए पलायन करना होगा इसलिए आज की आयोजित होने वाली जनसुनवाई का हम व्यापक पैमाने पर विरोध करते हैं।
5 /यह क्षेत्र यह क्षेत्र पांचवी अनुसूची क्षेत्र है जहां ग्रामसभा को विशेषाधिकार है की ग्राम पंचायत के अंदर संचालित होने वाली गतिविधियों के लिए सबसे पहले ग्रामसभा से अनुमति लेनी होती है परंतु कंपनी द्वारा किसी भी प्रकार से ग्राम सभा से आज पर्यंत तक किसी भी प्रकार की कोई अनुमति नहीं ली गई है जो स्थानीय लोगों के भारत के संविधान का आर्टिकल 21 का सीधा सीधा उल्लंघन है।
6/कोल वाशरी कंपनी द्वारा भूजल दोहन पूर्व से किया जा रहा है जिसके कारण आसपास के क्षेत्रों में जल स्तर दिन पर दिन गिर रहा है जिसकी वजह से आसपास के क्षेत्र में जो गांव हैं वहां जल संकट पैदा हो गया है अगर कंपनी के विस्तार की अनुमति प्रदान की जाती है उन परिस्थितियों में कंपनी द्वारा वर्तमान जल दोहन से 2 गुना ज्यादा भूजल दोहन किया जाएगा जिससे वह क्षेत्र जल संकट से गुजरने की स्थिति में आ जाएगा जिसका प्रभाव वहां के रहने वाले लोगों पर सीधा सीधा पड़ेगा इसलिए वर्तमान में कंपनियों की 20 तारीख की जनसुनवाई की अनुमति देना किसी भी तरह से उचित नहीं होगा इसलिए इस कंपनी की जनसुनवाई का हम विरोध करते हैं।
7/कंपनी द्वारा जो ईआईए नोटिफिकेशन बनाया गया है इसमें परियोजना के प्रभावित क्षेत्र के 10 किलोमीटर क्षेत्र में पढ़ने वाले गांवों का अध्ययन नहीं किया गया है जिसमें आगनबाडी में पढ़ने वाले बच्चे प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे मिडिल स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे एवं क्षेत्र में पढ़ने वाले जल प्रदूषण वायु प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण का किसी भी प्रकार का अध्ययन नहीं किया गया है यह ईआईए नोटिफिकेशन रिपोर्ट पूर्ण रूप से फर्जी है इसी आइए नोटिफिकेशन का राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन पहले जांच करवाएं इसके बाद जनसुनवाई की प्रक्रिया का विधि सम्मत पालन करें।
8/कंपनी द्वारा कंपनी द्वारा प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को पूर्व में सीएसआर मत के तहत जो कार्य करने के लिए कहा गया था आज पर्यंत तक कंपनी द्वारा प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों के अपने सीएसआर मद के तहत किसी भी प्रकार का कोई कार्य नहीं करवाया गया है जिस क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर आक्रोश है अगर किसी भी प्रकार की घटना दुर्घटना होती है जिसकी जिम्मेदारी कंपनी एवं जिला प्रशासन की होगी इसलिए आयोजित होने वाली जनसुनवाई का हम विरोध करते हैं।
9/जहां पर यह कंपनी स्थापित है वहां के आसपास के क्षेत्रों जंगल बहुल क्षेत्र हैं जहां लोगों की आजीविका का मूल कृषि पशुधन वनोपज है जो कंपनी के स्थापित होने से काफी ज्यादा प्रभावित हुआ है एवं अगर कंपनी को विस्तार की अनुमति दी जाती है जिससे आसपास का पर्यावरणीय क्षेत्र काफी ज्यादा प्रभावित होगा जिसका प्रभाव आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों पर पड़ेगा इसलिए इस जनसुनवाई का हम विरोध करते हैं
10/इस कंपनी के आसपास और कई कंपनियां एवं कुल बांसुरी स्थापित हैं जिसकी सूचना ईआईए नोटिफिकेशन में कंपनी द्वारा लोगों को ना तो दी गई है एवं ना ही वह पढ़ने वाले पर या बनी दुष्प्रभावों की जानकारी लोगों को दी गई है जिसके कारण यहां के रहने वाले मूल निवासियों को पड़ने वाले दुष्प्रभाव की जानकारी नहीं है इसलिए बेहतर यह होगा कि जमीनी स्तर पर ईआईए नोटिफिकेशन का ग्राम स्तर पंचायत स्तर पर पुनः तैयार करवाई जाए और इसके बाद जनसुनवाई की अनुमति हेतु पुनः विचार किया जाए।
अतः आज की आयोजित होने वाली जनसुनवाई का हम व्यापक पैमाने पर विरोध करते हैं एवं राज्य सरकार जिला प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि तत्काल प्रभाव से इस जनसुनवाई को निरस्त किया जाए।