बेमौत मारा जा रहा है बारहमासी बाल समुंद नाला…।।

भूमाफियाओं के अवैध अतिक्रमण की वजह से अस्तित्व का संकट उत्पन्न…।।
सिंहघोष/रायगढ़.10.11.22. शहर की जीवन दायनी केलो नदी के बाद प्राकृतिक पानी का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत बालसमुंद इन दिनों अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
ऐसा सिर्फ इस वजह से हो रहा है कि नाले के दोनो पाटों में स्थित सरकारी जमीन पर बड़े पैमाने में अवैध अतिक्रमण किया गया है। अतिक्रमण की यह प्रक्रिया पिछले 10 से 12 सालों में काफी बढ़ी है। आज की वर्तमान स्थिति की बात करें तो प्रशासन के नाक के ठीक नीचे क्षेत्र में सक्रिय दर्जनों भूमाफियाओं ने नाले की 80 फीसदी सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर घर,बाड़ी,कालोनी,दुकान और सड़क जैसे तमाम बड़े निर्माण करा लिए है।
इस वजह से इस बारहमासी नाले का आकार सिमट कर नाली के जैसे हो गया है।

कौहाकुंडा से लेकर अतरमुड़ा तक नाले के पूरे पाट पर सैकड़ों अवैध निर्माण हो चुके है।
इसे लेकर यह आशंका जताई जा रही है कि यदि नाले से समय रहते अवैध कब्जा नहीं हटाया गया तो आने वाले सालों के बारिश के मौसम में इसका पानी आसपास के क्षेत्र को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। इस बात की शिकायत स्थानीय लोगों ने दर्जनों बार नगर निगम प्रशासन और स्थानीय पार्षदों से की है।
परंतु कार्यवाही के अभाव के अकारण नाला के पाटों पर अवैध निर्माण और कब्जा किया जाना आज भी बदस्तूर जारी है।
कौहाकूंडा नाले पर ताजा अवैध कब्जा अतरमुड़ा के मिश्रा गली में पानी प्लांट के पास सूर्यविहार कालोनी के ठीक पीछे नाले के दूसरे पाट पर किया जा रहा है। ये वही स्थल है जहां अवैध प्लाटिंग की लगातार शिकायतें आ रही थीं। जिसके खिलाफ आधी अधूरी कार्यवाही आज से करीब दो साल पहले तत्कालीन एसडीएम रायगढ़ और निगम प्रशासन ने किया था। जिसके बाद बिना वैध प्रक्रियाओं के मात्र क्षेत्र के हल्का पटवारी के कथित संरक्षण अथवा साझेदारी में अवैध प्लाटिंग पुनः कुछ महीनों के विराम के बाद स्थानीय भूमाफियाओं के सहयोग से चालू हो गया था। बताया जाता है कि यहां करीब 40 से 50 डिसमिल नाले की भूमि पर जमीन कारोबारियों ने अवैध कब्जा कर नाले की प्राकृतिक स्थिति पूरी तरह से बदल दिया है। अवैध अतिक्रमण वाली इस जगह में बारहमासी कौहाकुंडा नाला किसी शहरी नाली की तरह नजर आने लगा है।
नाले के पाटों पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ अक्सर स्थानीय लोगों ने आवाज उठाते रहे है,ताकि बारिश के दिनों में लोगों को बड़ी परेशानी झेलनी नहीं पड़े। इसके बाद भी नगर निगम प्रशासन और राजस्व विभाग चुप्पी साधे बैठा रहा।
कहने को तो शहर में करीब 40 से 50 नाले हैं। इनमें से कुछ प्रमुख नालों पर लगातार अवैध कब्जा होते रहा है। ऐसी स्थिति लंबे समय से बनी हुई है। कुछ नालों पर तो अवैध कब्जा करते हुए मकान का निर्माण करते हुए लोग निवास भी कर रहे हैं। खास बात यह है कि हर साल नालों में पानी का बहाव नहीं होने से समस्या होती है। इसके बाद भी निगम के आला अधिकारी नाले में अवैध कब्जे को लेकर गंभीर नहीं हो पाए हैं। इस कारण से नदी नालों और तालाबों के तट पर अवैध कब्जा लगातार बढ़ता ही ही गया।
प्रशासन की खानापूर्ति कार्रवाई की वजह से बीते कुछ साल में नालों में अवैध कब्जे की वजह से कई क्षेत्रों में बाढ़ आ गई थी। इसके बाद निगम प्रशासन होश में आया और अवैध कब्जा करने वालों को खदेड़ा गया था, लेकिन कुछ समय बाद कार्रवाई ठप हो गई और अवैध कब्जा शुरू हो गया।