चमत्कारिक संयोग : 27 साल बाद फिर ’11ए’ सीट बनी जीवनदायिनी, अहमदाबाद प्लेन क्रैश में इकलौते बचे रमेश विश्वास की कहानी

अहमदाबाद विमान हादसे के बाद एक चौंकाने वाला संयोग सामने आया है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के क्रैश में जहां 297 लोगों की मौत हो गई, वहीं एकमात्र बचे यात्री रमेश विश्वास ने बताया कि वे प्लेन की 11ए सीट पर बैठे थे — और यही सीट उनकी जान बचाने का कारण बनी।
कैसे बची जान?
रमेश ने बताया कि जैसे ही प्लेन ने टेक-ऑफ किया, कुछ ही सेकंड में तेज धमाके के साथ वह क्रैश हो गया। उसी वक्त प्लेन का एक दरवाजा टूट गया और वो सीट समेत बाहर गिर पड़े। इस अकल्पनीय घटना में जहां पूरी फ्लाइट और आसपास का क्षेत्र तबाह हो गया, वहीं रमेश को मामूली चोटें आईं और वे जीवित बच निकले। डीडी न्यूज से बातचीत में उन्होंने कहा,
“कुछ क्षणों के लिए लगा कि मेरी भी मौत हो गई है, लेकिन जब आंखें खुलीं, तो खुद को जीवित पाया और तुरंत वहां से भागने की कोशिश की।”
1998 में भी हुआ था ऐसा ही हादसा
रमेश की कहानी सुनकर थाईलैंड के प्रसिद्ध एक्टर-सिंगर रुआंगसाक लोयचुसाक के रोंगटे खड़े हो गए। वजह? 11 दिसंबर 1998 को थाई एयरवेज की फ्लाइट TG261 भी क्रैश हुई थी, जिसमें 146 में से 101 लोगों की मौत हो गई थी — और उस हादसे में रुआंगसाक की सीट भी 11ए थी।
रुआंगसाक ने फेसबुक पर लिखा,
> “भारत में हुए हालिया हादसे में जीवित बचे यात्री की सीट वही थी — 11ए — जिस पर मैं 27 साल पहले बैठा था।”
रुआंगसाक की पोस्ट का अंश
थाई भाषा में लिखी गई पोस्ट में उन्होंने बताया कि वह हादसा आज भी उन्हें डराता है और उन्होंने उसके बाद 10 साल तक कोई उड़ान नहीं भरी। उनके पास उस समय बोर्डिंग पास नहीं था, लेकिन न्यूजपेपर रिपोर्ट्स में पुष्टि हुई थी कि वे 11ए पर ही बैठे थे।
सोशल मीडिया पर चर्चा में 11A
अब इस असाधारण संयोग को लेकर सोशल मीडिया पर ‘11A मिरेकल सीट’ ट्रेंड कर रही है। लोग इसे किस्मत, चमत्कार और नियति से जोड़कर देख रहे हैं। दो अलग-अलग दशकों, दो देशों और दो भीषण विमान हादसों में एक ही सीट पर बैठे दो लोगों का जीवित बच जाना आश्चर्यजनक संयोग बन गया है।
हादसे में गईं 297 जानें
बता दें कि 13 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन जा रही AI-171 (Boeing 787 Dreamliner) उड़ान भरते ही क्रैश हो गई थी। विमान में सवार 242 लोगों में से 241 की मौत हो गई, जबकि नीचे गिरने से मेडिकल कॉलेज मेस में भी 56 लोग मारे गए। इस भयावह हादसे में रमेश विश्वास अकेले जीवित बचे, जो अब इलाजरत हैं और उनका स्वास्थ्य स्थिर बताया जा रहा है।