रायगढ़

फील कोलवाशरी की जनसुनवाई को लेकर ग्रामीण नाराज…।।

नियमों को ताक में रख कोल वासरी की 21 को जनसुनवाई का ग्रामीण कर रहे विरोध…। जंगली जानवरों का रहवास में विस्तार का पुरजोर विरोध कर रहे ग्रामीण…।।

सिंहघोष/रायगढ़-१४.०४.२२- जिले के घरघोड़ा तहसील के ग्राम नवापारा में स्थित फील कोल बेनिफिकेशन प्रा लिमि के विस्तार के लिए जन सुनवाई प्रशासन के इशारों पर चुपचाप ढंग से 21अप्रैल 2022 किये जाने की चर्चा गर्म है। सम्भावित जन सुनवाई को लेकर ग्रामीण बुरी तरह से नाराज है। उनका कहना है कि उद्योगपतियों के प्रभाव में जिला प्रशासन और पर्यावरण विभाग इस कदर असंवेदनशील हो चुका है कि उसे ग्रामीणों की समश्याओं और पर्यावरण से कोई लेना देना नही है। प्रशासन यह भली भांति जनता है कि प्रस्तावित जन सुनवाई जो पूरे तरीके से असंवैधानिक और नियम विरुद्ध है। इसका स्थानीय स्तर पर जमकर विरोध होगा। इसलिए अधिकारी ग्रामीणों को चुपचाप बिना बताए जनसुनवाई करवाने की तैयारी में लगे है।

ग्रामीण कहते है कि नियमतः जनसुनवाई के पूर्व कंपनी प्रबन्धन और प्रशासन के द्वारा एक माह पूर्व ही गाँव मुनादी कराई जाती है। ग्राम पँचायत से अनापत्ति ली जाती है और प्रभावित ग्रामीणों बातचीत कर उनका पक्ष भी जाना जाता है। परन्तु प्रस्तावित जन सुनवाई की जानकारी तक नही दिया जाना समझ से परे है।प्रशासन की शह पर कोलवाशरी की नियम विरुध्द जनसुनवाई को लेकर ग्रामीणों का कंपनी प्रबंधन पर आरोप है,कि कंपनी ने जन सुनवाई को लेकर क्षेत्रवासियों कोई जानकारी नही दी है। जबकि कम्पनी की स्थापना ही इस हाथी प्रभावित क्षेत्र में गलत तरीके से की गई थी। कम्पनी ने स्थापना के बाद से ही क्षेत्र में इतना प्रदूषण फैलाया है कि लोगों का जीना हराम हो गया है ऐसे में उसके विस्तार के बाद के हालात के बारे में सोंच कर ही हम चिंतित हो उठे है।

अतः प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण,युवा संगठन के साथ सामाजिक संगठनों ने खुले तौर पर कहा है कि अगर जनसुनवाई होती है तो खुले रूप विरोध दर्ज कराया जाएगा। जिसकी पूरी जिम्मेदारी कम्पनी प्रबन्धन और जिला प्रशासन की होगी। कंपनी के आने के बाद से ही हमारी जल जंगल जमीन सभी कुछ बर्बाद हो गया है। हम जंगल क्षेत्र के निवासी है वनोपज महुवा, डोरी,चार,तेंदूपत्ता जैसे वनोपज ही हमारी जीविका चलती रही है। कंपनी से फैलने वाले धूल-डस्ट से हमारे जंगल तो नष्ट हो ही चुके है हमारी जमीनों और खेतों में भी कोयले की काली जहरीली परत चढ़ गई है। हमारी जमीनों पर खेती हकने भी बन्द हो गया है। जबकि कम्पनी की तरफ से प्रभावितों को न तो रोजगार दिया गया है न ही भूमि का उचित मुआवजा दिया है। कोलवाशरी के कारण आस पास की खेती की जमीन प्रदूषण की मार से बंजर होने लगी हैं। कभी फसलों और वनोपज के मामले में अग्रणी रहने वाले हमारे इस क्षेत्र में अब नाम मात्र की ही खेती होती है वनोपज एकत्र करने का काम भी खत्म हो चुका है । इसके साथ भारी प्रदूषण के कारण लोगो में विभिन्न तरह की जानलेवा बीमारियां भी फैलने लगी है । फील बेनिफिशियल के कारण पहले से प्रदूषण का दंश झेल रहे हम लोग अब और कोलवाशरी के विस्तार के पक्ष में बिलकुल भी नही हैं।हमारे क्षेत्र में बचे खुचे जंगल में अब भी सांभर,हांथी,खरगोश जैसे वन्य जीव रहते है।प्रशासन के द्वारा कोलवाशरी के विस्तार के साथ हमारे और उनके जीवन को खतरे में डाला जा रहा है। अतः इस जनसुनवाई का हम पुरजोर विरोध करते है।

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