स्वच्छता दिवस पर विशेष : सफाई की फ्रंट लाइन पर खड़ी रहने वाली दीदियां विषम परिस्थियों में मुस्कुराती और स्वच्छता का संदेश देतीं है।

स्वच्छता दीदियों से स्वच्छ है पूरा शहर..।।
दीदी कचरा दे दो… की आवाज या फिर गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल.. की धुन पर हर सुबह आमजन अपने घर के कचरों को देने के लिए बाहर आते हैं और अलसुबह उनकी मुलाकात होती है स्वच्छता दीदी से।
स्वच्छता का पैगाम देने वाली स्वच्छता दीदी डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए सुबह से निकल पड़ती है और हर घर में दस्तक देती हैं।

शहर के 48 वार्डों के डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का काम 207 स्वच्छता दीदी के कंधों पर हैं। हर एक को कम-से-कम 400 घरों से कचरा कलेक्शन करना होता है। कचरे से भरे हाथ-रिक्शा को खींचना वह भी महिला द्वारा हर किसी को अचंभित करता है लेकिन वह मुस्कुराते हुए अपना फर्ज निभा रही हैं।
स्वच्छता दिवस-माह-साल की सबसे बड़ी इकाई यही हैं।
स्वच्छता और स्वास्थ्य का करीबी रिश्ता है| अस्वच्छता के कारण संक्रमण फैलता है जो लोगों को बीमार करता है खासकर बच्चों में। कोरोना काल में भी हाथ धोने पर बल दिया गया है जिससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
कोरोना संक्रमण काल में भी जब लॉकडाउन हुआ तब भी लोगों के घरों से कचरा लेने का काम दीदियों ने बंद नहीं किया। इस दौरान 13 दीदियां संक्रमित हुई लेकिन किसी और का मनोबल नहीं टूटा। शहर को स्वच्छ रखने का प्रण लिये दीदियों की बदौलत आज पूरा जिला स्वच्छ है। उन्हें मास्क, एप्रेन, ग्लब्स, साड़ी, जूता, कैप, आई कार्ड, हैंडवास लिक्विड, सेनेटाइजर, फिनाइल, सोडियम हाइपो क्लोराइड नगर निगम द्वारा दिया गया है। अपनी जिम्मेदारी के लिए प्रतिबद्ध स्वच्छता दीदी की जिम्मेदारी अब बढ़ गई है।
कोरोना संक्रमण के कठिन समय में वे स्वच्छता का कार्य बखूबी कर रही हैं। स्वच्छता के प्रति जागरूकता से इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है। अब वह कचरा कलेक्शन के साथ लोगों को इस महामारी के रोकथाम के लिए आगाह भी कर रही हैं और उन्हें समझाइश भी दे रही हैं। स्वच्छता दीदी निरंतर लोगों को सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। वह मेहनत और लगन से यह कार्य करती है।
घर से कचरा उठाने के बाद इन दीदियों का काम खत्म नहीं होता। सभी मणिकंचन केंद्र में इकट्ठी होती हैं और रूह कंपा देने वाले गंध में कचरों को अलग-अलग करती हैं। इसके बाद कोरोना वायरस संक्रमण की संभावना को देखते हुए कचरे में पृथकीकरण के पहले निश्चित मात्रा में सोडियम हाइपो क्लोराइट डालती हैं। उसके बाद पृथकीकरण का कार्य किया जाता है, जिसमें वायरस नष्ट हो जाता है। सूखा कचरा जैसे पानी की बॉटल, कांच, लोहा, टिन जैसे सामान कबाड़ी वाले को दे देते हैं। इससे जो आय होती है उसे स्वच्छता दीदी को ही दे दिया जाता है। वहीं गीले कचरे को शहर से बाहर कपोजिट सेट में भेज दिया जाता है इससे खाद बनाया जाता है। खाद से होने वाली आय निगम के खाते में जाती है।
लोगों का भरपूर सहयोग मिलता है
50 साल की सबसे उम्रदराज स्वच्छता दीदी फूलकुंवर यादव कहती हैं बीते 4 साल से वह डोर-टू-डोर कचरा उठाने का काम कर रही हैं। शुरू-शुरू में हाथ-रिक्शा खींचने में समस्या हुई लेकिन अब आदत हो गई है। गंध की समस्या कभी नहीं रही। इस काम को करने में उन्हें फक्र महसूस होता है।
इसी तरह 45 साल की रामबाई जोगी जिनके कंधे पर केलो विहार, पंजरी प्लाट के करीब 900 घरों से कचरा उठाने की जिम्मेदारी है कहती हैं कि वह सुबह 6 बजे से उनका दिन शुरू होता है और दोपहर तक काम चलता है। लोगों से भरपूर सहयोग मिलता है। सुबह की चाय कई बार लोगों के घर ही हो जाती है। एक तरह से लोगों और हमारे बीच रिश्ता बन गया है।
गर्व है स्वच्छता दीदियों पर : आयुक्त
नगर निगम आयुक्त आशुतोष पाण्डेय कहते हैं कि आज गली-मोहल्लों में जो कचरा नहीं दिखता और शहर इतना साफ है वह इन स्वच्छता दीदियों के कारण ही है। स्वच्छता दिवस पूर्णत: इन्हीं को समर्पित है। जिन परिस्थितयों और माहौल में यह काम करती हैं हर किसी के वश में नहीं है। हमें इन स्वच्छता दीदियों पर गर्व है। कोराना काल में संक्रमण के मद्देनजर सभी का समय-समय पर मेडिकल चेकअप कराया जाता है। स्वच्छता की पहली लाइन पर खड़ी इन दीदियों में 13 कोरोना से संक्रमित भी हुई और उससे ठीक भी हुईं।
मैं हमेशा दीदियों के साथ : महापौर
महापौर जानकी काटजू कहती हैं शहर सफाई व्यवस्था की मुख्य आधार स्तंभ इन दीदियों की जितनी तारीफ की जाए कम है। गली-गली जाकर हाथ रिक्शा से कचरा कलेक्शन करना आसान नहीं है। “यह इनकी जीवटता ही है जो इन्हें अथक परिश्रम करने का साहस और ऊर्जा देती है। मैं इन स्वच्छता दीदियों के साथ हमेशा से खड़ी थी हूं और रहूंगी”