जिले में बढ़ते प्रदूषण को लेकर अनोखा विरोध प्रदर्शन..। जिला पर्यावरण अधिकारी के पुतले को डस्ट और नाले का प्रदूषित पानी अर्पित किया गया..।।


सिंघघोष/रायगढ़- शहर की प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था जनकारवां के निवेदन पर शहर के कई पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता दोपहर तीन बजे जिला पर्यावरण विभाग के कार्यालय भवन के सामने जुटे। उन्होंने शहर और जिले में लगातार बढ़ रहे पर्यावरण प्रदूषण के प्रति जिला पर्यावरण विभाग की निष्क्रियता को लेकर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया। सामाजिक संस्था जनकारवां ने जिला पर्यावरण अधिकारी का पुतला बनवाया,फिर खुद और निमंत्रित जनों से पुतले पर शहर के चारों तरफ फैली औद्योगिक धूल(डस्ट) और नदी नालों के प्रदूषित पानी को पुतले पर डलवाया तथा पर्यावरण विभाग की कार्यशैली को लेकर उनके विचार जाने।
जनकारवां के संस्थापक नरेंद चौबे ने बताया कि जिस तरह जिले में पर्यावरण प्रदूषण के हालात बने है। उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि जिला पर्यावरण विभाग कुम्भकर्णीय निंद्रा में जा चुका है। जिले की आबोहवा में पूरी तरह से औद्योगिक धूल मिल चुकी है लोगों का सांस लेना दुभर हो चुका है कमोबेश यही हाल जिले के अधिकांश प्राकृतिक जल स्रोतों का है जिले और शहर के अधिकांश नदी,नाले और तालाब का पानी उपयोग विहीन हो चुका है। हाल ही में तमनार तहसील के ग्राम सरईपाली में अवैध रूप से स्थापित उद्योग रूपाणाधाम और सुनील इस्पात के द्वारा गांव के एक मात्र बड़े तलाब को प्रदूषित करने के कारण तालाब की मछलियां मर गई थी। तालाब का पानी बुरी तरह से सड़ कर महँकने लगा है। इस घटना को लेकर ग्रामीणों में बहुत नाराजगी देखी गई थी। इस बात को लेकर उन्होंने कई बार जिला पर्यावरण विभाग में शिकायतें दी पर कारवाही नही हुई। इसी तरह शहर के वार्ड नंबर 34 और 41 के बीच छाता मुड़ा क्षेत्र में निस्तारी का एकमात्र साधन नाले का है। इसे बिलाई नाला कहा जाता है। इसे भी कृष्णा सॉल्वेंट नाम के उद्योग ने पूरी तरह से प्रदूषित कर दिया है। कुछ साल पहले यहां रहने वाले सैकड़ो लोग खाने-पीने से लेकर निस्तारित के लिए इस नाले का प्रयोग करते थे। परंतु आज इस नाले का पानी उपयोग करना तो दूर उसके बगल से गुजरना पड़े तो नाक में रुमाल बांधना पड़ता है। इस मामले में भी पर्यावरण अधिकारी को जानकारी दिए जाने के बाद भी उन्होंने कोई कारवाही नही की। इस तरह शहर के घरों पेड़-पौधों में विषैली राख की परतें जमा हो चुकी है जिसकी वजह से हवा में सांस लेने के दौरान लोग जाने अनजाने राख फांक रहे है। यह सब कुछ जिला पर्यावरण विभाग और अधिकारी को नही दिखता है। उन्हें फोन करने पर वो न तो फोन उठाते है न ही किसी मामले में कोई कारवाही करते है। अतः हमें मजबूर होकर विरोध का यह तरीका अपनाना पड़ गया है। शायद नींद में सोया विभाग और अधिकारी जाग जाएं।।