रायगढ़

रशुखदारों के कब्जे से कब्जामुक्त हो वार्ड क्रमांक 19 -आशीष शर्मा।। शहर में नजूल भूमि के कब्जेदारों की गति प्रशासन की कार्यवाही से दोगुनी तेज..।

नगर निगम से लेकर शहरी ग्रामों में करोड़ों रुपये मूल्य की सैकड़ों एकड़ सरकारी नजूल भूमि पर भूमाफ़ियायों का अवैध कब्जा और निर्माण,..।।

सिंघघोष/रायगढ़- बीते दिनों आपने यह देखा होगा कि नगर निगम क्षेत्र की कब्जाकारित सरकारी भूमि से अवैध कब्जा हटाने के लिए सक्रिय हुई नगर निगम की टीम ने कई स्थानों को चिन्हांकित करते हुए कार्यवाही की है। हालांकि यह कार्यवाही अभी आधी-अधूरी ही है। इस क्रम में कई अन्य जगहों पर विभिन्न प्रायोजनों के लिए सुरक्षित रखी गई सरकारी नजूल भूमियों पर हो रहे या हो चुके अवैध कब्जों पर प्रशासन की नजर पड़नी अब भी बाकी है।।

शहर के अंदर विभिन्न वार्डों की कई एकड़ भूमि पर कुछ रसूखदार और दबंग प्रवृत्ति के भू-माफियाओं ने बेजा कब्जा और अवैध निर्माण कर रखा है। कई और जगहों पर कब्जे और निर्माण का यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। यही नही कुछ एक वार्डों पर वर्तमान और पूर्व निगम प्रतिनिधियों ने सरकारी नजूल भूमियों की अवैध खरीद-बिक्री में लाखों करोड़ों रुपयों की बेनामी कमाई तक की है। परिणाम यह है कि नए या काम करने वाले जनप्रतिनिधियों को अपने वार्ड में सरकारी भवन बनाने के लिए जमीने नही मिल रही है।

सबसे बुरी स्थिति वार्ड क्रमांक 26/27 की है। जहां कथित तौर पर पूर्व जनप्रतिधियों और उनके संरक्षित लोगो द्वारा बड़े पैमाने ओर सरकारी नजूल भूमि की अवैध खरीद-बिक्री हुई है। शासन के द्वारा विभिन्न मदों के लिए सुरक्षित रखी गई भूमियों पर लगभग पूरी तरह से कब्जा हो चुका है। हाल ही में टी वी टावर के सामने वर्तमान पार्षद श्रीमती पिंकी विमल यादव की गली से लगे वार्ड क्रमांक 27 की एक नजूल भूमि को किसी भूमाफिया के द्वारा 6 से 7 लाख रुपयों में बेचे जाने की पुष्ट सूचना है। इसी तरह वार्ड क्रमांक 26 और 27 से लगे ग्राम पंचायत बड़े अतरमुडा में भी करीब 35 से 40 एकड़ सरकारी नजूल,छोटे झाड़ जंगल भूमि गौचर और सेवा भूमियों की भी बड़े पैमाने पर अवैध खरीद-बिक्री और बेजा कब्जा और निर्माण किया गया है। वर्तमान सरपंच का कहना है कुछ लालची ग्रामीण और शहरी जमीन दलालों ने गांव की सभी सरकारी जमीनों को बेच डाला है जो 3/4 एकड़ जमीन बची है उस पर भी तेजी से अवैध कब्जा जारी है। प्रशासन और राजस्व विभाग से शिकायत का कोई लाभ हमे नही मिलता। सब मिले हुए है। सरपंच बताता है कि कब्जाकारित सरकारी जमीनों की कीमत करोड़ो रुपयों में होगी।

इधर शहरी क्षेत्र का ह्रदय स्थल कहे जाने वाले सजंय काम्प्लेक्स की बेशकीमती सरकारी जमीन पर भी रशुखदारों का दिन-रात कब्जा जारी है।

बताया जा रहा है कि नगर निगम के स्वामित्व और क्षेत्र की इस भूमि की कीमत लगभग डेढ़ सौ करोड रुपए के आसपास होगी। इस जमीन पर अवैध कब्जाधारी न तो निगम को किसी तरह का टेक्स दे रहे हैं न ही भूमि पर अवैध निर्माण को रोका है। इन सबके बावजूद शहर भर की सरकारी जमीनों को कब्जा मुक्त करवाने का प्रयास कर रहे निगम प्रशासन की नजर इव बेशकीमती भूमि पर जारी बेजा कब्जे पर क्यों नही गई इस यक्ष प्रश्न का उत्तर खोजा जाना जरूरी है। वर्तमान में संवेदनशील और सक्रिय निगम आयुक्त के समक्ष इन अवैध कब्जा धारियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए युवा काग्रेसी आशीष शर्मा ने क्षेत्रवासियों के साथ एक लिखित आवेदन प्रस्तुत किया है। उनके कहे अनुसार शहर के सबसे व्यस्ततम इलाके में स्थित इस कीमती जमीन को अवैध कब्जा करने वाले रसूखदार लोगो से कब्जा मुक्त करवाये जाने तक वे लोग लिखा-पढ़ी करते रहेंगे।इनके द्वारा बड़े पैमाने पर बेजा निर्माण के साथ उक्त स्थान का लाखों रुपए का किराया अवैध तरीके से वसूला जा रहा है। कब्जाधारियों ने निर्माण बेजा निर्माण कर सजंय काम्प्लेक्स में छोटी छोटी दुकान और फल बेचने वालों से भी किराया वसूल करते हैं। इनकी हरकतों से परेशान होकर पीड़ित क्षेत्रवासियों ने संजय काम्प्लेक्स की भूमि को उचित कारवाही कर कब्जा मुक्त करवाने के उद्देश्य से निगमायुक्त आशुतोष पांडे, महापौर श्रीमती जानकी काटजू के अलावा जिला कलेक्टर से गुहार लगाई है। उन्हीने मामले की गम्भीरता को समझते हुए आश्वासन दिया है कि जल्द इन कब्जा धारियों को या तो हटाकर या विधिवत शासन द्वारा निर्धारित राशि (152 पर्सेंट की गाइडलाइन के आधार पर) वसूली कर संजय काम्पेल्स को नया स्वरूप दिया जाएगा।।

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