धान परिवहन के नाम पर ट्रांस्पोटरों को अतिरिक्त लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बड़े फर्जीवाड़े की आशंका..

मामले को लेकर जनकारवां ने की प्रमाण सहित शिकायत,कारवाही की प्रतीक्षा..
सिंहघोष/रायगढ:- शासन की कोई भी जनहितकारी योजना में भ्रष्टाचार का रँग कैसे चढ़ाया जाता है।। इस बात का प्रमाण देने की लिए जिले का धान संग्रहन केंद्र और उनसे जुड़े विभाग की करतूत काफी है।।
वैसे शासन की महत्वपूर्ण योजना धान खरीदी कार्य हमेशा विवादों में घिरा रहता है।। फिर वो चाहे धान की तौलाई का मामला हो या फिर धान के रख-रखाव से लेकर धान के परिवहन की प्रक्रिया हो।। सभी जगहों पर घोटाले की बात खुल कर सामने आती रही है।। जबकि विभाग के निरंकुश अधिकारी ऐसे मामलों को सामने लाने पर हमेशा नए-नए नियम कानून का हवाला देकर पल्ला झाड़ते लेते हैं।। सम्बंधित अधिकारी चाहे वह विपणन अधिकारी रायगढ़ हो या उप पंजीयक मैडम उनसे जब भी किसी भी मंडी में हो रही अनियमितता की बात करें तो वो या तो गोल मोल जवाब देकर या फिर शिकायतकर्ता से बदतमीजी कर अपनी तरफ से इस विषय मे कुछ न किये जाने की मंशा जाहिर कर देते है।। उनकी इस आदत से यह प्रतीत होता है कि धान की हेराफेरी से होने वाली मोटी कमाई प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तरीको से इनके घर तक पहुंचती है।।
यही कारण है कि आज मंडियों में गलत प्रबंधन की वजह से धान सड़ रहे हैं जिसकी शिकायत प्रत्येक दिन के हिसाब से इनके पास पहुंचती है लेकिन इनके कान में जूं तक नहीं रेंगती धान परिवहन को लेकर अगर देखा जाए तो इन्होंने शासन के महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर को भी एक हथियार के रूप में बनाकर उपयोग किया जा रहा है या करवाया जा है।।
कैसे होता है परिवहन का खेल
इसे समझने के लिए हम एक उदाहरण लेंते हैं मान लीजिए परिवहनकर्ता ने 6 चक्का ट्रक परिवहन में लगाया और उसमें 450 बोरे धान का परिवहन ही कर सकते हैं।। जो सॉफ्टवेयर बना हुआ है उसमें अगर 500 600 बोरे का परिवहन उक्त वाहन से दिखा जा रहा है ।। तो वही साफ्टवेयर छह छक्का ट्रक में एक्सेप्ट ही नहीं करेंगा तो मंडी संचालको द्वारा उसे 10 चक्का 12 चक्का ट्रक बना दिया जाता है।। कागजों में इससे यह प्रमाणित होता है कि धान खरीदी में परिवहन किए जा रहे ट्रकों में प्रमाणित तौर पर ओवरलोड किया जाता है या बल्फिर बड़ी हेराफेरी की जा रही है। चुकी यह धान खरीदी का मामला है अतः इन ट्रकों पर आरटीओ वाले भी कार्यवाही नही करते हैं,और ना ही पुलिस का इससे कोई लेना देना होता है।। इस तरह बिना डर भय के हेराफेरी का सीधा सीधा लाभ परिवहन कर्ता को मिल जाता है।। उनको कम ट्रिप में ही ज्यादा धान ढुलाई का पेमेंट कर दिया जाता है ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी अधिकारियों को नहीं होती है।। वे सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनकर ट्रांस्पोटरों से सांठगांठ कर लेते है।। ऐसा ही एक मामला यह भी देखने को आया कि जब 1 अट्ठारह चक्का ट्रक धरमजयगढ़ से 820 बोरी धान लेकर रायगढ़ पहुंचा और ट्रांसपोर्ट नगर बाईपास में विगत 4 दिनों से खड़ा था उसे डीजल की उपलब्धता नहीं होने के कारण वह संग्रहण केंद्र लोहरसिंह नहीं जा पा रहा जो के बिना त्रिपाल से ढका हुआ था और इसी बीच हुई बारिश में ट्रक में रखा धान भीग भी गया था।। लेकिन जैसे ही इसकी खबर मीडिया कर्मियों ने डी एम ओ को दी उन्होंने तत्काल परिवहनकर्ता को कह कर उनको डीजल उपलब्ध करवाकर उसे रवाना करवा दिया।।
लेकिन यह नही पता कि 4 दिन से खड़ा वाहन वहां से वापस चला गया वह वाकई संग्रहण केंद्र गया।।
इधर संग्रहण केंद्र की जाने दो वहां तो और भी चौंकाने वाली बात सामने आती है वहां जिस डिलीवरी बुक में ट्रैक्टर में परिवहन बताया जाता है जो कि वास्तव में ट्रक का नंबर होता है।। फिर भी वह लोग ट्रैक्टर की फोटो ना खींच कर ट्रक की उसी नंबर वाली फोटो खींचकर के धान खाली कराते हैं।। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि अगर इसकी बारीकी से जांच हो तो कई अधिकारी कर्मचारी और बेईमान ट्रांस्पोटर भ्रष्टाचार के बड़े मामले में प्रमाणित तौर पर निपटते दिखेंगे।।
खबर है कि उक्त मामले को लेकर जिले का सक्रिय समाजिक संगठन जनकारवां ने कलेक्टर रायगढ़ से लिखित शिकायत की है।। जल्दी ही इस मामले में कारवाही नही की गई तो उनके द्वारा इस प्रकरण की शिकायत गृह मंत्री और कृषि मंत्री छ्ग शासन से करने की बात कही गई है।।