छातामुड़ा हल्का स्थित रोड़ नेशनल हाईवे से लगे प्राकृतिक नाले को पाटकर अस्तित्व समाप्त करने वालों के खिलाफ गांधीनगर मोहल्ले वासियों ने खोला मोर्चा….।।

30 दिवस के भीतर प्राकृतिक नाले से कब्जा मुक्त ना होने से धरना प्रदर्शन एवं उग्र आंदोलन की चेतावनी….।।
सिंहघोष/रायगढ़-२१.०३.२२- प्राकृतिक नाले पर अतिक्रमण करने वालो के खिलाफ गांधीनगर के मोहल्ले वासियों ने मोर्चा खोल लिया है। बरसाती पानी के निकासी का प्रमुख माध्यम प्राकृतिक नाला पाटकर कब्जा किए जाने से क्षेत्र वासियों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। गत वर्ष चंद घंटों की बारिश में पूरा क्षेत्र जलमग्न हो गया था और नेशनल हाईवे पर लगभग 4 फीट पानी भर गया था। बहुत से लोगों के मकान पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गए थे। वर्तमान में उड़ीसा रोड नेशनल हाईवे के किनारे छातामुड़ा हल्का स्थित प्राकृतिक नाले (खसरा 160) को पाटकर नाले के अस्तित्व पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया गया है। वार्ड क्रमांक 33 के निवासियों ने जिला कलेक्टर को लिखित शिकायत देकर प्राकृतिक नाले के अस्तित्व को बचाने की गुहार लगाई है. तथा अतिक्रमण पर रोक लगाते हुए दोषियों पर कार्यवाही की मांग की गई है! मोहल्लेवासियों द्वारा 30 दिवस के भीतर प्राकृतिक नाले से कब्जा मुक्त ना होने पर धरना प्रदर्शन एवं उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई है।
आइये जानते है क्या मामला…..
गांधीनगर (वार्ड क्र 33) के मोहल्ले वासियों ने अपनी लिखित शिकायत में उल्लेख किया है कि हम सब वार्ड क्रमांक 33 के निवासी हैं, यह वार्ड बाईपास ओड़िशा रोड़ नेशनल हाईवे के दोनों ओर क्रमशः गांधीनगर भाग-1 और गांधीनगर भाग-2 में बसा हैं! नेशनल हाईवे के किनारे वर्षों से स्थित प्राकृतिक नाला (खसरा नंबर 160) है. जिससे बरसात की पानी का निकासी हो जाता हैं. यह नाला नवापारा वार्ड 34 से होकर आती थीं, वर्तमान में नेशनल हाईवे के किनारे भूस्वामी का नाम बाबूलाल अग्रवाल और सजन अग्रवाल निवासी लाल टंकी के द्वारा नाले पर अतिक्रमण का कार्य जोर-शोर से चल रहा है। हम मोहल्ले वासियों के द्वारा मना करने पर भी लगातार निर्माण कर रहा है। गत वर्ष मात्र 4 घंटे की बारिश से पूरा वार्ड जलमग्न हो गया यहां तक कि पानी निकासी ना होने की वजह से नेशनल हाईवे पर 4 फीट पानी जम गया था, जबकी नेशनल हाईवे की सतह से लगभग 6 फीट से 10 फीट नीचे मोहल्ले वासियों का मकान बना हुआ है, ऐसे में एकाएक घर में पानी घुसने से अफरा तफरी मच गई थी और काफी जद्दोजहद करना पड़ा मोहल्ले वासियों को बहुत नुकसान भी हुआ था। कई लोगों के मकान पूरी तरह से टूट कर गिर चुके थे। स्थिति ऐसी बन गई थी कि सामुदायिक भवन में प्रभावित 2 दर्जन से अधिक परिवारों को शरण लेना पड़ा था। और निगम आयुक्त को हम मोहल्ले वासियों के द्वारा मौखिक रूप से क्षेत्र में राहत बचाओ अभियान के दौरान प्राकृतिक नाले पर अतिक्रमण किए जाने की शिकायत की थी. क्षेत्र में बरसात की पानी के निकासी का प्रमुख माध्यम नाला है। जिसे लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है, पूर्व में वार्ड क्रमांक 34 स्थित नाले की ऊपरी छोर बड़े हिस्से को एक रसूखदार राइस मिलर के द्वारा कब्जा कर लिया गया है, तथा नाले के निचले हिस्से कि ओर नेशनल हाईवे पर स्थित कोल्ड स्टोरेज के द्वारा बड़े पैमाने पर नाले पर कब्जा किया जा चुका है! अब वर्तमान में इन दोनों के मध्य हिस्से को मिट्टी पाटकर समतल कर प्राकृतिक नाले के अस्तित्व को ही समाप्त दिया गया है, तथा धड़ल्ले से बाउंड्री वॉल का काम चालू है! बरसात के पानी को निर्बाध रूप से निकासी हेतु प्राकृतिक नाले के अस्तित्व को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है! ताकि भविष्य में हम मोहल्ले वासियों को भविष्य में बरसात के दिनों में विगत वर्ष की भांति बाढ़ स्थिति का सामना करना ना पड़े। आने वाली बरसात काफी नजदीक है, बरसात के पूर्व नाले को अतिक्रमण मुक्त कराया जाना चाहिए। तथा प्राकृतिक नाली के अस्तित्व को मिटाने वालों पर कठोर कार्यवाही की जावे,अगर जिला प्रशासन हम मोहल्ले वासियों की शिकायत को गंभीरता से नहीं लेता है और 30 दिवस के भीतर प्राकृतिक नाले से अतिक्रमण मुक्त होगा तो हम क्षेत्रवासी धरने पर बैठ जाएंगे तथा नेशनल हाईवे को चक्का जाम करने हेतु बाध्य होंगे! जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
आवेदन के अंत में मोहल्ले वासियों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा है कि हम मोहल्ले वासियों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए उपरोक्त नाले पर चल रहे अतिक्रमण को तत्काल निर्माण कार्य को रोक लगाते हुए मामले की जांच की जावे तथा प्राकृतिक नाले के अस्तित्व को समाप्त करने वाले दोषी लोगों पर दंडात्मक कार्यवाही करें. हम मोहल्लेवासी सदैव आपके आभारी रहेंगे।
बहरहाल मोहल्ले वासियों को जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही का आश्वासन देते हुए आवेदन पर मार्क कर संबंधित विभाग को जांच के आदेश दिए हैं। चूँकि प्राकृतिक नाले पर अतिक्रमण करना बेहद ही गंभीर मामला है। और अगर वाकई में प्राकृतिक नाले पर अतिक्रमण किया गया है तो जिला प्रशासन को जल्द से जल्द नाले को अतिक्रमण मुक्त कराया जाना जरूरी है!ताकि क्षेत्रवासियों को आने वाले बरसात के दिनों में जलभराव की स्थिति का सामना करना ना पड़े। अब यह देखना होगा कि बरसात के पानी निकासी का प्रमुख माध्यम प्राकृतिक नाले के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन किस प्रकार की कार्रवाई करेगी।