रायगढ़

जिस अनुबंध के आधार पर मचा रहे हंगामा, उसे खुद ही कोर्ट में नकार दिया था आरआईयूएस ने

  • एप्टेल कोर्ट में सुनवाई के दौरान लिखित तौर पर पॉवर अनुबंध को शून्य और अवैध बताया था
  • अब उसी के आधार पर बिजली की आपूर्ति के लिए दबाव बनाते हुए कर रहे चक्काजाम

सिंहघोष/रायगढ़.11.07.22.रायगढ़. जिंदल स्टील एंड पॉवर से बिजली आपूर्ति के जिस एग्रीमेंट के आधार पर आरआईयूएस द्वारा दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है, उस एग्रीमेंट को खुद आरआईयूएस ने ही एप्टेल (एपीलेंट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी) में मानने से इनकार करते हुए लिखित तौर पर शून्य घोषित कर दिया था। पहले एप्टेल और फिर उच्च न्यायालय के संबंधित फैसले में भी इस अनुबंध के शून्य होने का उल्लेख है। इसलिए जिंदल स्टील एंड पॉवर पर अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन का आरोप पूरी तरह निराधार है।
पूंजीपथरा स्थित औद्योगिक पार्क में बिजली की आपूर्ति को लेकर आरआईयूएस के द्वारा पिछले तीन दिनों से हंगामा मचाया जा रहा है। इंडस्ट्रियल पार्क को जाने वाले मुख्य रास्ते पर संगठन के सदस्यों ने चक्काजाम कर रखा है। इस वजह से दर्जनों वाहन सड़क के दोनों ओर तीन दिनों से फंसे हुए हैं। आवागमन भी पूरी तरह बाधित है। आरआईयूएस के सदस्यों द्वारा जेएसपी द्वारा 30 जून, 2018 को दोनों पक्षों के बीच हुए अनुबंध की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाया जा रहा है। इस संबंध में जेएसपी के प्रवक्ता ने बताया कि 30 जून, 2018 को जेएसपी एवं आरआईयूएस के बीच एक अनुबंध हुआ था। इसके तहत सीएसपीडीसीएल की दर से 25 प्रतिशत कम दर, जो न्यूनतम 4 रूपये से कम नहीं होगी, पर आरआईयूएस को बिजली की आपूर्ति की जाएगी। 13 अप्रैल, 2022 को नई दिल्ली में एपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी में अपील क्रमांक 100/2016 एवं 72/2016 की सुनवाई के दौरान आरआईयूएस ने लिखित तौर पर इस अनुबंध को स्वीकार करने से ही इनकार कर दिया। एप्टेल को दिए गए अपने लिखित कथन में आरआईयूएस ने इस अनुबंध को अवैध और शून्य बताया था। एप्टेल ने अपने आदेश के पैराग्राफ बी-5 और बी-6 में इस संबंध में उल्लेख भी किया है। 14 जून, 2022 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा डब्ल्यूपीसी 2566/2022 में 14 जून, 2022 को दिए आदेश में भी इस बात का उल्लेख है कि आरआईयूएस ने जेएसपी के साथ बिजली की आपूर्ति के लिए किए गए अनुबंध को मानने से इनकार किया है। माननीय उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में विद्युत नियामक आयोग के समक्ष आवेदन कर टैरिफ फिक्सेशन के आदेश दिए थे। इस संबंध में आयोग के समक्ष आवेदन के साथ ही अर्जेंट हियरिंग की अपील भी जेएसपी द्वारा की गई है, ताकि जल्द से जल्द बिजली की दर का निर्धारण किया जा सके। अभी इस मामले में दर का निर्धारण नहीं हो सका है और वाद आयोग के समक्ष लंबित है।
इसके बावजूद जेएसपी द्वारा पूर्व में हुए समझौते के अनुसार ही निरंतर विद्युत आपूर्ति की जा रही है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि पूरा देश वर्तमान में कोयले के संकट से जूझ रहा है। आपूर्ति में कमी के साथ ही कोयले की कीमत भी आसमान छू रही है। जिंदल स्टील एंड पॉवर का संयंत्र भी कोयले की कमी के कारण पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पा रहा। ऐसे में सभी उद्योगों को पूरी बिजली की आपूर्ति करना संभव नहीं है। जेएसपी द्वारा सभी उद्योगों को आंशिक आपूर्ति निरंतर की जा रही है और किसी भी उद्योग की बिजली काटी नहीं गई है। अधिक दर पर उत्पादन और कम दर पर आपूर्ति के कारण जेएसपी को हर रोज बड़ा नुकसान भी हो रहा है।
इसके बाद भी असामाजिक तत्वों द्वारा जनता और प्रशासन को दिग्भ्रमित करनें के लिए झूठा अनर्गल प्रचार किया जा रहा है। जिंदल स्टील एंड पॉवर ने हमेशा अपने वादों और सामाजिक दायित्वों को पूरा किया है।

तीन दिनों से सड़क पर फंसे वाहन
शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का भरोसा दिलाकर तीन दिनों से मुख्य मार्ग पर चक्काजाम कर रहे उद्योगपतियों की वजह से इंडस्ट्रियल पार्क के अन्य उद्योगों, ग्रामीणों एवं अन्य राहगीरों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तीन दिनों से चक्काजाम के कारण दर्जनों भारी वाहन सड़क पर फंसे हुए हैं। उद्योगपति स्थानीय लोगों और ग्रामीणों के वाहन नहीं रोकने की बात कह रहे हैं, लेकिन सड़क पर फंसे हुए भारी वाहनों के कारण सभी राहगीरों को आवागमन में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वाहन के चालक और कर्मचारी भी तीन दिनों से एक ही जगह पर फंसे हुए हैं और उन्हें भी बड़ा नुकसान हो रहा है।

पावर प्लांट के नहीं, डीआरआई के लिए कोयले की आपूर्ति की बात
आरआईयूएस के उद्योगपतियों द्वारा यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि कुछ दिनों पहले ही जेएसपी ने स्पंज आयरन आधारित उद्योगों को कोयला उपलब्ध कराने की घोषणा की है। अगर कोयले की वाकई कमी है, तो यह आपूर्ति कैसे की जाएगी! वास्तविकता यह है कि स्पंज आयरन आधारित उद्योगों को डीआरआई के लिए कोयला उपलब्ध कराने की बात कही गई है, जबकि बिजली उत्पादन में पॉवर प्लांट के लिए कोयला चाहिए। दोनों उपयोग अलग-अलग हैं। उद्योगपति यह तकनीकी बात भली भांति समझते हैं, लेकिन लोगों को भ्रमित करने के उद्देश्य से इस तरह के अनर्गल आरोप लगाए जा रहे हैं।

देशभर के बिजली उत्पादकों से मंगवाई गई बोली
इस बीच जेएसपी द्वारा इंडस्ट्रियल पार्क के उद्योगों को जरूरत के अनुसार पूरी बिजली आपूर्ति के लिए भी सतत प्रयास किए जा रहे हैं। कंपनी ने अन्य उत्पादकों से बिजली खरीदकर उद्योगों को आपूर्ति करने का प्रयास भी शुरू कर दिया है। भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा संचालित दीप पोर्टल के माध्यम से कंपनी ने शॉर्ट टर्म पॉवर सप्लाई के लिए देशभर के उत्पादकों से निविदा आमंत्रित की थी। सोमवार को ही यह प्रक्रिया पूरी हुई। कंपनी इस संबंध में आगे की प्रक्रिया की तैयारी कर रही है।

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