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अदानी मामले में विधवा आदिवासी महिला का आरोप निराधार..। तहसीलदार पुसौर ने बताया घटना का सच…।।

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उद्योगकर्मी रजनीकांत राठौर पूरे मामले में संदिग्ध,जल्दी उसके खिलाफ दर्ज कराएंगे एफ आई आर

सिंहघोष/रायगढ़/पुसौर-04.05.23-बीते कल आदिवासी महिला जमीन मामले में तहसीलदार पुसौर एन के सिन्हा पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उसके पति स्व पुरुषोत्तम लाल गोंड के द्वारा ग्राम बड़े भंडार प.ह.न-30 (23) रा.नि.म. बड़े भंडार तहसील-पुसौर जिला – रायगढ़ (छ.ग.) में स्थित भूमि खसरा न -202/4 कुल रकबा 0.085 हेक्ट (0.21 Acre) को पंजीकृत विक्रय पत्र के माध्यम से रतिराम भोय पिता शिवचरण जाति-संवरा से दिनांक 19.11.2022 को खरीदा था।

उसके पश्चयात उक्त भूमि को नामांतरण करने हेतु पटवारी हल्का श्री छबिलाल पटेल से संपर्क करने पर नामांतरण हेतु पचास हजार रुपये की मांग की गई जिसे नहीं देने पर पटवारी द्वारा नामांतरण को निरस्त करने की धमकी दी,साथ ही तहसीलदार न्यायालय में आवेदन करने हेतु बोला गया। उसके पश्च्यात मेरे पति के द्वारा न्यायालय तहसीलदार पुसौर में नामांतरण हेतु आवेदन किया तथा उक्त प्रकरण का सुनवाई हेतु दिनांक 02 जनवरी 2023 को प्रारंभ किया गया तथा प्रकरण के लंबनकाल में मेरे पति पुरुषोत्तम लाल गोंड का निधन दिनांक 03 जनवरी 2023 को ग्राम डोड़की तहसील सक्ति जिला सक्ति में हो गया तथा अधिवक्ता के माध्यम से उक्त प्रकरण का नकल निकालने पर ज्ञात हुआ की रायगढ़ एनर्जी जनरेशन लिमिटेड के अधिकारी श्री किशोर राउत और तहसीलदार पुसौर श्री नंदकिशोर सिन्हा के द्वारा सांठगाठ करके हल्का पटवारी के प्रतिवेदन के आधार पर उक्त नामांतरण आवेदन को दिनांक 10 फरवरी 2023 को निरस्त कर दिया गया है।

महिला ने बताया कि खरीदी की गई भूमि के चौहद्दी से स्पष्ट है की उक्त भूमि कोरबा वेस्ट पावर कंपनी (रायगढ़ एनर्जी जनरेशन लिमिटेड कंपनी लिमिटेड) के बाउंड्री वाल के अंदर स्थित है. तहसीलदार पुसौर के न्यायालय के आदेश के संपूर्ण दस्तावेज को अवलोकन करने से स्पष्ट होता है की मेरे पति पुरुषोत्तम लात गोड जिनका मृत्यु दिनांक 03 जनवरी 2023 को होने के बाद भी तहसीलदार पुसोर के द्वारा दिनांक 16 जनवरी 2023 को नोटिस तमिल कैसे हो गया जबकि मेरे पति की मृत्यु हो चुकी थी। तो नोटिस में उनका हस्ताक्षर कौन किया है और मरे हुए आदमी को नोटिस कैसे तामिल हुआ है जो जाँच का विषय है। मेरे पति पुरुषोत्तम लाल गोंड का शपथपत्री बयान किस दिनांक को लिया गया है जबकि उनकी मृत्यु हो चुकी थी और उनका हस्ताक्षर किसने किया है?

चूकि महिला का आरोप गंभीर था इसलिए मामले का दूसरा पक्ष जानना भी जरूरी था। अतः संबंधित विषय में तहसीलदार पुसौर से मीडिया कर्मियों ने बात की तो घटना का दूसरा पक्ष सामने आया।

तहसीलदार श्री सिन्हा ने बताया कि प्रकरण में कंपनी के मैनेजर किशोर राउत के द्वारा नामांतरण में यह कह कर आपत्ति दर्ज कराई गई है,अदानी व विक्रेता (रतिराम भोय) के मध्य पूर्व में एक अनुबंध था एवं तत्कालीन कलेक्टर से विक्रय अनुमति प्राप्त किया था। इसके अलावा विक्रेता रतिराम अनुबंध के अनुरूप सात हजार रु किराया प्राप्त करता रहा है। इस तरह रतिराम का कम्पनी के साथ रजिस्टर्ड अनुबंध जीवित था। साथ ही इस विषय में कंपनी के एक धूर्त पूर्व कर्मचारी रजनी कांत राठौर को जानकारी थी। उसने कम्पनी प्रबंधन के द्वारा बरती गई लापरवाही का पूरा लाभ लेते हुए प्लांट के अंदर स्थिति उक्त भूमि को दूसरे को बेच कर बेजा लाभ कमाने का सोच लिया था। अतः उसने दो सीधे साधे आदिवासियों को बरगलाकर भूमि का अवैधानिक सौदा शिकायतकर्ता महिला के पति से कर लिया। इसके लिए उसने फर्जी चौहद्दी बना ली। जिसमे मृत राजस्व निरीक्षक स्व.चौधरी का फर्जी हस्ताक्षर और सील लगा लिया। जिसके आधार पर रजनीकांत के द्वारा विवादित भूमि का फर्जी पंजीयन करवाया गया।

पंजीयन उपरांत क्रेता की तरफ से नामंतरण हेतु हल्का पटवारी से संपर्क किया गया। पटवारी ने मामले को विवादित बताते हुए तहसील न्यायालय में पुसौर आवेदन करने के लिए कहा। न्यायालय में मामला आते ही कुछ बड़ी गलतियां सामने आई जिसमें चौहद्दी में पटवारी की जगह आर आई का फर्जी हस्ताक्षर और सील लगा होना पाया गया। वहीं भूमि के नामांतरण के लिए मामले में संदिग्ध रजनीकांत ने तहसील कर्मियों को पैसे का प्रलोभन भी दिया गया। लेकिन मामला विवादित था अतः नामांतरण को विधि संगत तरीके से रोक दिया गया। अब मामले मे कूट रचना और ठगी की बात सामने आ चुकी है। अतः उपरोक्त विषय पर जाँच के लिए पृथक से आदेश किया जाना है। वहीं आगामी कुछ दिनों में विक्रेता रतिराम और आरोपी रजनीकांत के विरुद्ध एफ आई आर हेतु पुसौर पुलिस को हमारे और वास्तविक पीड़ित पक्ष कंपनी के द्वारा निर्देश दिया जाएगा। प्रकरण से जुड़े समस्त दस्तावेजों की छाया प्रति तहसीलदार पुसौर के द्वारा प्रेस को उपलब्ध कराया गया। जिसके अवलोकन के बात यह स्पष्ट हुआ कि

इस तरह तहसीलदार पुसौर नंदकिशोर सिन्हा पर आदिवासी महिला के द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार और मन गडंत पाया गया।

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